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सुनिल कौशिक
Waah modi ji waah, HappyBdayPMModi 56 इंच का सीना है.... 112 इंच का जिगरा... अरे आज अपने ताऊ का जन्मदिन है... तुम मौज ल्यो.... होके जमा बेफिक्रां.... 😊😁😊😁😊 #HappyBdayPMModi#
Satz Kotiyal
संपर्क टूटा हैं मगर, उम्मीदें उससे बंधी हुई थी, हर धड़कन फिर वो थमा गया । इंच इंच भर बढ़ते देखा, हौसला फिर डिगा गया ।। दिल फिर टूटा, ख्वाहिश टूटी..., सबका मन भरा सा था । संपर्क टूटने से पहले..., फासला बस ज़रा सा था ।। विफल हुई शायद ये कोशिश, हार से नहीं घबराऊंगा । ये मिशन चांद पे जाना तो था, अबके चांद ही ले आऊंगा ।। Pround momet for India....one more successful moon mission....sad for the lander failure....proud on our scientists...proud to be Indian.... Dedicated to #DrKSivan sir (Isro Chairman) #isro #proudindian #nojotoapp #hindiwriters #hindipoetry #moonmission
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read moreAbhishek Vyas Rayshree
बो सरहद पे वतन के लिए इंच इंच कट गया। कह गया है ले माँ तेरे दूध का कर्ज पट गया।
mk_lover_writes
वतन वतन वतन ओ मेरे वतन आ हिला दे आज ये गगन बन के शोला आज हम चलेंगे दुश्मन पे गाज बनके हम गिरेंगे ना तो हम रुकेंगे ना झुकेंगे क्या हैं हम जहां से हम कहेंगे रुकावटें है तोड़ देनी सारी आज हम पड़ेंगे सब पे भारी कदम कदम मिशाल सा रखेंगे और तोड़ देंगे तोड़ देंगे तोड़ देंगे..... ..... सारी दुनियां का भरम वतन वतन ......... आ हिला दे आज ये गगन अंश क्या है वंश भी मिटादे ख़ाक में मिलाके तू सुलादे बूंद बूंद लहू का हिसाब ले जवाब उनको गोलियों की आग दे चला चल चला चल तू चला चल हो आसमान या हो धरातल वर्तमान में तू ऐसा करके बदल दे आने वाला कल सीमाओं के बाग पड़े उजड़े खिला दे उनमें आज तू कमल तिरंगे की शान को बढ़ाके बढाके बढ़ाके ........ दुश्मन को आज करदे तू दफन वतन वतन वतन ........ आ हिला दे आज ये गगन सीमा पे तू जलजला वहादे तिरंगा आसमान में फैहरादे सारी तू शियासते भुला दे बुनियाद दुश्मनों की तुम हिला दे मां के सीने का दर्द है कम करना तू इंच इंच का हिसाब करना आंखों को जो उठाके बात करते उनके दिलों में डर है आज भरना ये रात फैसले की आज आयी दम भरके आज निकलो तुम शिपाही अरे आज हमसे आज हमसे आज हमसे ....... दुश्मन भी यहां आके करेगा नमन वतन वतन वतन आ हिला दे आज ये गगन जय हिन्द वतन वतन वतन
वतन वतन वतन
read moresshahbaj
Ok geniuses answer it. एक तालाब में एक कमल है जो हर रोज अपने size का दोगुना हो जाता है for example अगर पहले दिन एक इंच का तो दूसरे दिन दो इंच तीसरे दिन चार और चौथे दिन आठ अगर वो तीस दिन में पूरे तालाब को cover कर लेता है तो आधे तालाब को cover करने में कितने दिन लगेंगे
Adwait Vats
कविता -खड़ा हूँ मकान की तरह मैंने मकान खुद खड़े होकर बनवाया ताकि देख सकूँ धीरे धीरे खड़े होना कैसा होता है यूँ कईं पौधों को सामने बडे होते देखा है पर मकान पौधा नहीं होता उसे बड़े होते नहीं खड़े होते देखना होता है देखना होता है इंच इंच नाप से कहीं कुछ छूट ना जाए ये ज़मीन है, जिंदगी नहीं नींव की गहराई में उतरते पत्थरों से समझा ऊंचाई पाने के लिए कितना नीचे उतरना पड़ता है यह उतरना कपड़े सा उतरना नहीं है किसी परिन्दे का आसमान से उतरने सरीखा पावन है चारों ओर उठती दीवारें देखकर अपने कद का अनुमान होने लगा जिस रोज उन पर रखी गई छत उसी दिन से आसमान छोटा गया जैसे छोटे हो जाते हैं हम बड़ा मकान बनाने के गुरुर में दरवाजे पर टंगी नेम प्लेट चीख चीख कर कह रही है जमीन का ये टुकड़ा अब आजाद नहीं है धरती के उसी टुकड़े पर मैं खड़ा हूँ मकान की ही तरह --
Sanjay Saw
#DearZindagi हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,पहला चरण कैंची और दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी........ तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पापा या चाचा चलाया करते थे तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था। "कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे। और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और "क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है । आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से मरहूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था। हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नही होता था,गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए। अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में । मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! "जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं । इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए ! और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी। और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी । हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा ! पहला चरण कैंची दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी (फिर बादशाहों वाली फीलिंग्स)
Shashank Singh
इंच इंच के जद्दोजहद में जिंदगी अपनी गुज़ार दी हिस्से की बारी में बस चार गज़ ज़मीं हासिल उसे
Rishabh Goel
मैं और तुम साथ बैठे हैं मुझमें और तुममें पाँच इंच का फ़ासला है पर मेरे पास अपनी एक पाँच इंच की दुनिया है तुम्हारे पास अपनी एक पाँच इंच की दुनिया है मैं अपनी दुनिया में ख़ुश हुन तुम अपनी दुनिया में ख़ुश हो और ये दुनिया, जहाँ मुझमें-तुममें पाँच इंच का फ़ासला है ये शायद है ही नहीं पाँच इंच की दुनिया पाँच इंच की दुनिया #Nojoto #NojotoHindi #NojotoTMP #Hindi #Love #phones #shortstory Internet Jockey
पाँच इंच की दुनिया पाँच इंच की दुनिया #nojotohindi #NojotoTMP #Hindi #Love #phones #ShortStory Internet Jockey
read moreAvinash ke 'अल्फ़ाज'
(Wife) छोड़कर जा रहे हो हमको,वतन की रखवाली तेरा काम है. जीतकर तू लौट आना, प्रिये तुझमें बसती मेरी ये जान है. (Sister) बांध रही हूँ राखी तुमको, भाई अब फर्ज अदा करना है. पुकार रही भारत माँ तुमको, रक्षा उनकी तुमको करना है. (Father) बेटे तू हिम्मत से लड़ना, युद्ध फतह तुझे करना है, जिससे खुद मौत है डरता, उसे मौत से क्यों डरना है. (Mother) कर ली इस माँ की सेवा, अब धरती माँ की सेवा करना है. लाल तू इंच इंच कट जाना, पर इंच भी पीछे नहीं हटना है. ऐ मेरे वतन के लोगों! वीरगाथा (#part_1) A Indian soldier who just got married, received a letter from #IndianArmy that a war has started at boarder & he must go to protect his mother land. His whole family meets him and say these lines to him: भारत माँ एक बहादुर सिपाही जिसकी अभी शादी हुई होती है, उसे खबर मिलती है कि सीमा पे युद्ध की शुरुआत हुई है और भारत माँ की रक्षा के लिए उसे जाना होगा.
ऐ मेरे वतन के लोगों! वीरगाथा (#PART_1) A Indian soldier who just got married, received a letter from #IndianArmy that a war has started at boarder & he must go to protect his mother land. His whole family meets him and say these lines to him: भारत माँ एक बहादुर सिपाही जिसकी अभी शादी हुई होती है, उसे खबर मिलती है कि सीमा पे युद्ध की शुरुआत हुई है और भारत माँ की रक्षा के लिए उसे जाना होगा.
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