Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best विराजमान Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best विराजमान Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutविराजमान का अर्थ, विराजमान meaning in english, विराजमान होणे अर्थ, विराजमान होणे,

  • 6 Followers
  • 57 Stories

ओम नमः शिवाय

*श्री #तिरुमला तिरुपती #बालाजी #मंदिर को #अमेरिका के एक #भक्त ने #ब्रह्मोत्सव में जिस #वाहन पर श्री #वेंकटेश्वर #भगवान #विराजमान होते हैं वह सभी वाहन स्वर्णो से बनाकर दिये है। जरूर दर्शन करें **🙏🏻🙏🏻

read more

Juhi Grover

वहाँ ध्वनि प्रतिध्वनि की गूँज,
कण कण में विराजमान थी।
गूँज रहा था लहरों का संगीत,
और प्रतिध्वनि में थी मधुरता।

चाहतों का बहता था समन्दर,
और प्रतिध्वनि में थी शीतलता।
वो तेरी मुस्कुराहट का अंदाज़,
और मन की पावन चंचलता।

सांझ का रूप दिखलाता नभ,
और उसके रंगों की सुन्दरता।
मन भावन था प्रकृति का शोर,
शान्त हुई थी मनकी विह्वलता।

तेरी न मौजूदगी में भी ध्वनि ही,
तेरी चाहत ही महसूस हुई थी।
वहाँ ध्वनि प्रतिध्वनि की गूँज तो
कण कण में ही विराजमान थी। #ध्वनि 
#प्रतिध्वनि
#विराजमान
#yqdidi
#yqbaba
#yqquotes
#yqpoetry
 #yqchallenge

MOHIT KUMAR BHATRA

मेरे शिव मेरे दिल में हैं। 
 विराजमान ! विराजमान ! ।

©MOHIT KUMAR BHATARA #विराजमान !

#Sawankamahina

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
5 - भक्ति-मूल-विश्वास

'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है।

'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

@nil J@in R@J

read more
नवरात्र पांचवा दिन

स्कंदमाता

नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कहते है की इनकी कृपा दृस्टि से व्यक्ति को विद्या और ज्ञान का वरदान प्राप्त होता है. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा. भगवान स्कन्द देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। भगवान स्कंद माँ की गोद में बालरूप में विराजमान है. इनकी चार भुजाएं हैं और दाए हाथ में माँ पुत्र स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। माँ के एक हाथ में कमल का फूल तो दूसरे हाथ की भुजा वरमुद्रा में है. कमल के आसन पर विराजमान माँ का रंग सफ़ेद(श्वेत वर्ण) है कमल पर विराजमान होने के कारण इनका एक नाम पद्मासना भी पड़ा. सिंह इनका वाहन है ममता का प्रतीक माँ का ये रूप भक्तो को प्रेम का आशीर्वाद देता है.
 #NojotoQuote

Aghori amli

हमारी अयोध्या राजनीती के चश्मे को उतार कर तो देखो बाबू सरयू सुनाती अवध की स्वभिमानी कहानी जहाँ दिल दिल में बस्ते श्री राम है , घर घर श्री राम के धुनि रमाये दीवाने जिनकी मेहनत को करे दुनिया प्रणाम अंधियारे को गुम करती

read more
हमारी अयोध्या 

राजनीती  के  चश्मे  को  उतार कर  तो देखो  बाबू
 सरयू  सुनाती  अवध  की  स्वभिमानी  कहानी 
           जहाँ  दिल दिल  में   बस्ते श्री राम है , 
      घर  घर  श्री  राम   के  धुनि  रमाये  दीवाने 
      जिनकी  मेहनत  को  करे  दुनिया  प्रणाम 
              अंधियारे  को  गुम  करती

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 9 - श्रद्धा की जय आज की बात नहीं है; किंतु है इसी युगकी क्या हो गया कि इस बात को कुछ शताब्दियाँ बीत गयी। कुलान्तक्षेत्र (कुलू प्रदेश) वही है, व्यास ओर पार्वती की कल-कल-निदनादिनी धाराएँ वही हैं और मणिकर्ण का अर्धनारीश्वर क्षेत्र तो कहीं आता-जाता नहीं है। कुलू के नरेश का शरीर युवावस्था में ही गलित कुष्ठ से विकृत हो गया था। पर्वतीय एवं दूरस्थ प्रदेशों के चिकित्सक व्याधि से पराजित होकर विफल-मनोरथ लौट चुके थे। क्वाथा-स्नान , चूर्ण-भस्म, रस-रसायन कुछ भी तो कर सका होता। नरेश न उच्छृं

read more
|| श्री हरि: ||
9 - श्रद्धा की जय

आज की बात नहीं है; किंतु है इसी युगकी क्या हो गया कि इस बात को कुछ शताब्दियाँ बीत गयी। कुलान्तक्षेत्र (कुलू प्रदेश) वही है, व्यास ओर पार्वती की कल-कल-निदनादिनी धाराएँ वही हैं और मणिकर्ण का अर्धनारीश्वर क्षेत्र तो कहीं आता-जाता नहीं है।

कुलू के नरेश का शरीर युवावस्था में ही गलित कुष्ठ से विकृत हो गया था। पर्वतीय एवं दूरस्थ प्रदेशों के चिकित्सक व्याधि से पराजित होकर विफल-मनोरथ लौट चुके थे। क्वाथा-स्नान , चूर्ण-भस्म, रस-रसायन कुछ भी तो कर सका होता।

नरेश न उच्छृं

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile