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Best भगवती Shayari, Status, Quotes, Stories

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Juhi Grover

महिला है भगवती, पुरुष है अग़र भगवान, 
क्यों न मानव का मानव से समान हो सम्मान। #पुरुष 
#महिला 
#समान 
#सम्मान 
#भगवान 
#भगवती 
#yqhindi 
#bestyqhindiquotes

i am Voiceofdehati

🕉️ माता ब्रह्मचारिणी🚩 🔶"#मार्कंडेय_पुराण" के अनुसार आदिशक्ति #मां_दुर्गा के "तृतीय रूप" का नाम है "ब्रह्मचारिणी" "ब्रह्म" का अर्थ है, "तपस्या" "चारिणी" यानी "#आचरण" करने वाली 🔶–" वेदस्तत्त्वं तपो ब्रह्म ” –🔶 वेद, तत्व और तप तथा ब्रह्म, तप का आचरण करने वाली #भगवती जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया . #जय_माता_दी #नवरात्रि #yqsnatni

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🕉️ माता ब्रह्मचारिणी🚩

🔶"मार्कंडेय पुराण" के अनुसार आदिशक्ति मां दुर्गा के "द्वितीय रूप" का नाम है "ब्रह्मचारिणी" "ब्रह्म" का अर्थ है, "तपस्या" "चारिणी" यानी "आचरण" करने वाली

🔶–" वेदस्तत्त्वं तपो ब्रह्म ” –🔶 

वेद, तत्व और तप तथा ब्रह्म, तप का आचरण करने वाली भगवती  जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया . 🕉️ माता #ब्रह्मचारिणी🚩

🔶"#मार्कंडेय_पुराण" के अनुसार आदिशक्ति #मां_दुर्गा के "तृतीय रूप" का नाम है "ब्रह्मचारिणी" "ब्रह्म" का अर्थ है, "तपस्या" "चारिणी" यानी "#आचरण" करने वाली

🔶–" वेदस्तत्त्वं तपो ब्रह्म ” –🔶 

वेद, तत्व और तप तथा ब्रह्म, तप का आचरण करने वाली #भगवती  जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया .
#जय_माता_दी #नवरात्रि #yqsnatni

SK pant

#you #say #anything #Twowords Sahiba Sehar Nagme Mohabbat Motivation.shakti Vishakha Vasu Nitika niki

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प्रेम और वासना में भेद है,
केवल इतना कि वासना पागलपन है जो क्षणिक है और इसलिए वासना पागलपन के साथ ही दूर हो जाती है;

लेकिन प्रेम गंभीर है उसका अस्तित्व शीघ्र नहीं मिटता/

#भगवती चरण वर्मा ❤️

©SK pant #you 
#say
#anything 

#Twowords  Sahiba Sehar Nagme Mohabbat Motivation.shakti Vishakha Vasu Nitika niki

Sanu Mishra

"वेदान्तप्रतिबोधिता विजयते विन्ध्याचलाधीश्वरी" वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥ श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण भगवती का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का है, जिनकी आराधना से प्राणी सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है। नवरात्री दुर्गा पूजा पहले तिथि – माता शैलपुत्री की पूजा

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 "वेदान्तप्रतिबोधिता विजयते विन्ध्याचलाधीश्वरी"

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम।
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥

श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण भगवती का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का है, जिनकी आराधना से प्राणी सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है।

नवरात्री दुर्गा पूजा पहले तिथि – माता शैलपुत्री की पूजा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 4 - अकाम 'असंकल्पाज्जयेत् कामम्' काम जानामि ते मूलं संकल्पात् सम्भविष्यसि।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
4 - अकाम

'असंकल्पाज्जयेत् कामम्'

काम जानामि ते मूलं संकल्पात् सम्भविष्यसि।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 14 - कोप या कृपा 'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है। 'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
14 - कोप या कृपा

'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है।

'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 9 - श्रद्धा की जय आज की बात नहीं है; किंतु है इसी युगकी क्या हो गया कि इस बात को कुछ शताब्दियाँ बीत गयी। कुलान्तक्षेत्र (कुलू प्रदेश) वही है, व्यास ओर पार्वती की कल-कल-निदनादिनी धाराएँ वही हैं और मणिकर्ण का अर्धनारीश्वर क्षेत्र तो कहीं आता-जाता नहीं है। कुलू के नरेश का शरीर युवावस्था में ही गलित कुष्ठ से विकृत हो गया था। पर्वतीय एवं दूरस्थ प्रदेशों के चिकित्सक व्याधि से पराजित होकर विफल-मनोरथ लौट चुके थे। क्वाथा-स्नान , चूर्ण-भस्म, रस-रसायन कुछ भी तो कर सका होता। नरेश न उच्छृं

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|| श्री हरि: ||
9 - श्रद्धा की जय

आज की बात नहीं है; किंतु है इसी युगकी क्या हो गया कि इस बात को कुछ शताब्दियाँ बीत गयी। कुलान्तक्षेत्र (कुलू प्रदेश) वही है, व्यास ओर पार्वती की कल-कल-निदनादिनी धाराएँ वही हैं और मणिकर्ण का अर्धनारीश्वर क्षेत्र तो कहीं आता-जाता नहीं है।

कुलू के नरेश का शरीर युवावस्था में ही गलित कुष्ठ से विकृत हो गया था। पर्वतीय एवं दूरस्थ प्रदेशों के चिकित्सक व्याधि से पराजित होकर विफल-मनोरथ लौट चुके थे। क्वाथा-स्नान , चूर्ण-भस्म, रस-रसायन कुछ भी तो कर सका होता।

नरेश न उच्छृं

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