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sanju dhaliwaal
दूआ सै मेरी इस राम तै मेरी बची होई उमर भी तेरे लादे।। मेरी चिन्ता ना सै बस एक भगत सिंह जिसा शेर बणा दे।। बॉडर पै तेरा एक लाल देश की रुखाली नै लादे।। जितनी मेरी जिंदगी सै माँ मेरी या जिंदगी राम तेरै लादे।। "तेरा लाडला संजीव" एक जवान फोजी भाई भी एक माँ का लाल सै।। उन्ने ना भुल्या करो लडलयो।। ।।जय जवान।। ।।जय किसान।।
एक जवान फोजी भाई भी एक माँ का लाल सै।। उन्ने ना भुल्या करो लडलयो।। ।।जय जवान।। ।।जय किसान।।
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मेरे मोहल्ले की कहानी क्या कह दूँ क्या कह दूँ मैं उस ऊन वाले की कथा था कभी जो ऊन लादे इस गली में घूमता रंगून के रेसे बताकर झूठ भी था बोलता ऊन जिसका सदा उन अमीरों को महंगा लगा वो मर गया पूरी रात ना था घर गया वो मर गया वो जाड़े की शाम थी कौड़ी ना आज साथ थी तीनो विधवाओं की भूख थी राह उसकी देखती वो चमकता चाँद था उस बढाते पूस का था तो कपकपात। मगर लौट कर जाएगा न घर डर, बहनो की भूख का उस ऊन वाले की कथा रोज जो बाट जोहती चूल्हा जलातीं है संसार के तावे पे सपनों की रोटी पकाती है घंटी सुनते ही जो दौड़ आती है लौट कर आंगन में वो चूल्हा बुझाती हैं वो दो हड्डी कंकाल का अकेले था झेलता छत और चूल्हे की व्यथा दुखते पेटों की दास्तां उस ऊन वाले की कथा ऊन के वो रंग सारे वो उन चहरों में चाहता था इसलिए तो ऊन लादे गली शहरों में घूमता था कपकपाती देह में वो तेज बोलता था यही की गुलगुल गुलाबी ऊन ऐसी ना पाओगे कहीं वही फटी पतलून संग जर्जर सी बुशट में बिलखती तस्वीर से लिपटा हुआ खत शब्द खत के गूंजते थे शाम सुबह दोपहर कि खुद खाना बाद देकर तीनों को जहर खत में वो दो के चिल्लर भी तो थे जो जहर खाने को बाबा ने चहेते को दिए मुस्कराता था आज वो अंतिम गोला बेचकर आज तो जलसा मनेगा मंद मंद ये सोचकर फूलता था ना समाता चिल्लारों को देखकर जेब में खोंस लेता हर बार नयन सेककर बचपन तो था वहीं पर सपने गरीबी ले गयी था कमाता तो क्या हुआ उम्र महज चौदह की थी साइकल चलाता जा रहा था ठाकुर के खेत से हो गयी गलती उस रात लौंडे से सेठ के धुत्त होकर , गाली सुनाता चला रहा था कार भी जो गलती पहलें हूई थी हो गई इस बार भी बुढ़िया दौड़ी सुन हाल अपने लाल का चिथड़े कंकड़ से बीनकर चूर लायी कंकाल का बहन बोली हे पापी शत कोटि प्रभात दिए होते ना हो पाया इतना तो राखी वाले हाथ दिए होते कचहरी बैठी अंगूठे लगवा गए बुढ़िया पहले इसके कुछ कहती गुंडे घर मे आ गए हत्या नही दुर्घटना कहकर कालिख भी पोत गए और फेक चिल्लर मुँह पर कर स्वाभिमान पर चोट गए ऊन वाले कि कथा #मेरा भारत महान
ऊन वाले कि कथा #मेरा भारत महान
read moreMadhav Chaudhary
मेरी हस्ती हड्डी खाल, मिट्टी डाल, इसमें मेरा कौन कमाल, मिट्टी डाल... खुदको गर पाना है तो निर्मोही बन, सोने के अंबार निकाल, मिट्टी डाल... खुदको सर पर लादे-लादे फिरता था, वासिफ तू भी है हम्माल, मिट्टी डाल... by Dr. Wasif Yaar Sir... (lines from ghazal "Mitti Daal") No Words for this awesome creation... Wasif Sir King of ghazal... #life #ghazal #zindagi #maut #shayari #hindi #drwasif
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