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वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। तस्माच्च देवा बहुधा संप्रसूताः साध्या मनुष्याः पशवो वयांसि। प्राणापानौ व्रीहियवौ तपश्च श्रद्ध सत्यं ब्रह्मचर्यं विधिश्च ॥ तथा 'उसी' से अनेकानेक देवगण उत्पन्न हुए हैं, उसी से साधुगण, मनुष्य तथा पशु-पक्षी उत्पन्न हुए हैं, प्राण तथा अपान वायु, धान तथा जौ (अन्न), तप, श्रद्धा, सत्य, ब्रह्मचर्य तथा विधि-विधानों का प्रादुर्भाव 'उसी' से हुआ है। And from Him have issued many gods, and demigods and men and beasts and birds, the main breath and downward breath, and rice and barley, and askesis and faith and Truth, and chastity and rule of right practice. ( मुंडकोपनिषद २.१.७ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद् #देव #उत्पत्ति #creation #god #sanatandharm #Hindu
GUNJAN GAUR
विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है। शुभ प्रभात
shuny manthan
विज्ञान मानता है कि ब्रम्हांड, जीवन का निर्माण ( Creation ) स्वत: भौतिक शास्त्र के नियमों के अनुसार हुआ है। अन्य शास्त्रों में भी कहा गया है कि शिव की उत्पत्ति भी स्वत: हुई है। इसीलिए उन्हें स्वयंभुव् ( या शंभू ) कहा गया है। स्वत: स्फूर्त उत्पत्ति ( Self creation ) का सिद्धांत हमारे यहाँ पहले से मौजूद है। एक अदृश्य महाशक्ति के अस्तित्व को भी सभी धर्म स्वीकार करते हैं। #Loneliness
Usha Dravid Bhatt
अनन्त शब्दों का भार , संसार के भौतिकवाद से लेकर प्राकृतिक रहस्य , विज्ञान जो दुनियाँ के विकास का आधार है , श्रृष्टि की आलोकिक रचना , गणित का रहस्य जिनके द्वारा भूत भविष्य और वर्तमान के साथ सौरमण्डल की समस्त गणना ,घटना क्रम , अध्यात्म , श्रृष्टि की उत्पत्ति से लेकर आदि काल खण्डों का समस्त वर्णन , उस अदृश्य शक्ति की महिमा उनकी उत्पत्ति का महानतम रहस्य । सार जिनको - संसार के भौतिक ,सामाजिक , सांस्कृतिक , आध्यात्मिक , वैज्ञानिक , युद्ध की राक्षसी वृत्ति आदि - आदि की शाब्दिक रचनात्मक प्रवृत्ति से गुजरना पडा हो ,उनके भार और गहराई का आंकलन मानव मस्तिष्क की गणना से भी पृथक है । एक शब्द और शब्दों से ही समस्त ग्रन्थों का निर्माण ,जब एक शब्दके महत्व और गहराई का माप नहीं किया जा सकता तो किताबें उनके भारीपन और गहराई का अन्दाजा लगाना तो अपनी अल्प बुद्धि की क्षमता से परे है । "" जै श्री कृष्ण ""। किताबों की गहराई
किताबों की गहराई
read morePakhi Gupta
विचार से कार्य की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके भाग्य की उत्पत्ति होती है
read morerajendra gupta
विचार से कर्म की उत्पत्ति होती हैं कर्म से आदत की उत्पत्ति होती हैं आदत से चरित्र की उत्त्पति होती हैं औऱ चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती हैं - बौद्ध कहावत #NojotoQuote
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