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HintsOfHeart.
"मन बहुत सोचता है कि उदास न हो पर उदासी के बिना कैसे रहा जाये? शहर के दूर के तनाव दबाव कोई सह भी ले, पर यह अपने ही रचे एकांत का दबाव कैसे सहा जाए !" ©HintsOfHeart. #अज्ञेय. #Self-isolating_loneliness
HintsOfHeart.
"तुम्हारे नैन पहले भोर की दो ओस-बूँदें हैं अछूती, ज्योतिमय, भीतर द्रवित मानो विधाता के हृदय में जग गयी हो भाप करुणा की अपरिमित...." ©HintsOfHeart. #Good_Night 💖 #अज्ञेय - ('नख शिख' से)
#good_night 💖 #अज्ञेय - ('नख शिख' से)
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Jorwal
#hindi_poetry #अज्ञेय #tumharesaath Shayar Abhiraaj Kashyap Sujata jha Praveen Storyteller कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211 saloni toke alfazon ki khumari
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#अज्ञेय#मेरे_देश_की_आँखें Er.ABHISHEK SHUKLA Anshu writer Shayar Abhiraaj Kashyap saloni toke alfazon ki khumari gudiya
read more@thewriterVDS
"अज्ञेय" अपने प्रेम के उद्वेग में मैं जो कुछ भी तुमसे कहता हूँ, वह सब पहले कहा जा चुका है। तुम्हारे प्रति मैं जो कुछ भी प्रणय-व्यवहार करता हूँ, वह सब भी पहले हो चुका है। तुम्हारे और मेरे बीच में जो कुछ भी घटित होता है उससे एक तीक्ष्ण वेदना-भरी अनुभूति मात्र होती है—कि यह सब पुराना है, बीत चुका है, कि यह अभिनय तुम्हारे ही जीवन में मुझसे अन्य किसी पात्र के साथ हो चुका है! यह प्रेम एकाएक कैसा खोखला और निर्थक हो जाता है! . ©@thewriterVDS अपने प्रेम के उद्वेग में #अज्ञेय #प्रेम #प्रति #पहले #सब #वेदना #अनुभूति #पुराना #पात्र #kinaara
सतीश तिवारी 'सरस'
#अज्ञेय जी की क़लम से👇 मन बहुत सोचता है कि उदास न हो पर उदासी के बिना रहा कैसे जाये? शहर के दूर के तनाव-दबाव कोई सह भी ले, पर यह अपने ही रचे एकांत का दबाव सहा कैसे जाये! नील आकाश,तैरते से मेघ के टुकड़े; खुली घासों में दौड़तीं मेघ-छायाएँ, पहाड़ी नदी: पारदर्श पानी, धूप-धुले तल के रंगारंग पत्थर, सब देख बहुत गहरे कहीं जो उठे, वह कहूँ भी तो सुनने को कोई पास न हो- इसी पर जो जी में उठे वह कहा कैसे जाये! मन बहुत सोचता है कि उदास न हो, न हो, पर उदासी के बिना रहा कैसे जाये! (साभार) ©सतीश तिवारी 'सरस' #मन_बहुत_सोचता_है
@Sushilkumar_Sushil
||अज्ञेय की कविता ||~|| प्रार्थना का एक प्रकार||~ कितने पक्षियों की मिली-जुली चहचहाट में से अलग गूँज जाती हुई एक पुकार : मुखड़ों-मुखौटों की कितनी घनी भीड़ों में सहसा उभर आता एक अलग चेहरा : रूपों, वासनाओं, उमंगों, भावों, बेबसियों का उमड़ता एक ज्वार जिसमें निथरती है एक माँग, एक नाम— क्या यह भी है प्रार्थना का एक प्रकार । ©@Kavi_sushilkumar_Sushil #अज्ञेय #प्रार्थना ||अज्ञेय की कविता ||~|| प्रार्थना का एक प्रकार||~ कितने पक्षियों की मिली-जुली चहचहाट में से अलग गूँज जाती हुई एक पुकार : मुखड़ों-मुखौटों की कितनी घनी भीड़ों में सहसा उभर आता एक अलग चेहरा : रूपों, वासनाओं, उमंगों, भावों, बेबसियों का
#अज्ञेय #प्रार्थना ||अज्ञेय की कविता ||~|| प्रार्थना का एक प्रकार||~ कितने पक्षियों की मिली-जुली चहचहाट में से अलग गूँज जाती हुई एक पुकार : मुखड़ों-मुखौटों की कितनी घनी भीड़ों में सहसा उभर आता एक अलग चेहरा : रूपों, वासनाओं, उमंगों, भावों, बेबसियों का
read moreCalmKrishna
.............. ©CalmKrishna हर सांस का अगियार होता तब कहीं बनते हैं रिश्ते... #Prem #प्रेम #देह #अज्ञेय