Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best आवास Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best आवास Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutआवास के बारे में जानकारी, आवास के बारे में, आवास योजना की लिस्ट प्रधानमंत्री, आवास योजना मुख्यमंत्री की लिस्ट, किरायेदारों के लिए आवास योजना,

  • 7 Followers
  • 56 Stories

Krish Vj

Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "आशियाना" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:

read more
ग़म ना होगा,तुम तन्हा ना होगी, ना होगी अश्कों की बारिश 
आशियाना सुकून का होगा, यहीं मेरी दिल की अब ख़्वाहिश  Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "आशियाना"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।

Example:

नरेश होशियारपुरी

Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "आशियाना" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:

read more
Ashiana unki nigahon mein humne is liye banaya hai....
Ki humare dil ko unke siwa nhi koye dusra bhaya hai....
 Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "आशियाना"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।

Example:

Gopal Lal Bunker

आवास
~~~~~~

गेह जगह है वास की, रहे बने आवास।
मनुज बसे जब नेह से, गेह रहे उल्लास।।

घर बनता है नेह से, सुखमय शांति निकेत।
परिजन फिर फूले फले, होकर सब समुपेत।।

भाग्यवान को घर मिले, और मिले सुख चैन।
भाग्य फले दिन रैन फिर, सुन सुन वर के बैन।।

दादा दादी मात पितु, करते जिस घर वास।
बनता घर वह स्वर्ग है, संतति पलती खास।।

नर सच्चा घर पालता, और पालता संत।
पाल संस्कार घर हृदय, बनता सच्चा कंत।।

 #दोहा #दोहे #आवास #घर #जिंदगी #glal #yqdidi #कोराकाग़ज़

Anita Saini

Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "आशियाना" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:

read more
"रिहायशी" पसंद नहीं आयी तुम्हें मेरी
"आशियाना" दिल का तो आज भी तेरा मुन्तज़िर है Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "आशियाना"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।

Example:

Arjuna Bunty

जिंदगी की भागम भाग से थक कर अकेले अलग थलग पर जाए आपके हालात दिलों में है दूरियां और न हो कोई पास एक ही सहारा है दोस्तों, वो अपना प्यारा आवास।। #Arjuna Bunty #आवास #depression chandra_the_unique Nikhilchauhan77 Appy Negi Appu Cutipie Mohit Singh

read more
 जिंदगी की भागम भाग से थक कर 
अकेले अलग थलग पर जाए आपके हालात
दिलों में है दूरियां और न हो कोई पास
एक ही सहारा है दोस्तों, वो अपना प्यारा #आवास।।
#Arjuna Bunty
#आवास 

#depression  chandra_the_unique Nikhilchauhan77 Appy Negi Appu Cutipie Mohit Singh

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 17 - सात्विक त्याग कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन। संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।। (गीता 18।9)

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
17 - सात्विक त्याग

कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन।
संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।।
(गीता 18।9)

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 6 – अलोभ 'अर्थानर्थेक्षया लोभम्' वे दोनों मित्र थे। सगे भाइयों में भी ऐसा सौहार्द कम ही देखा जाता है। यद्यपि दोनों की प्रकृति उनके शरीर की बनावट के समान सर्वथा भिन्न थी; किंतु इस वैषम्य का उनकी मैत्री पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
6 – अलोभ

'अर्थानर्थेक्षया लोभम्'

वे दोनों मित्र थे। सगे भाइयों में भी ऐसा सौहार्द कम ही देखा जाता है। यद्यपि दोनों की प्रकृति उनके शरीर की बनावट के समान सर्वथा भिन्न थी; किंतु इस वैषम्य का उनकी मैत्री पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 7 – धर्म-धारक 'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।' 'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
7 – धर्म-धारक

'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।'

'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 74 - सङ्कल्प 'दादा, ये राक्षस बहुत बुरे होते हैं।' श्यामसुंदर ने अपने विशाल दृग बड़ी विचित्र भंगी से अग्रज की ओर उठाये। 'हम सब असुरों को मार देंगे।' दाऊ के भ्रूमण्डल भी कठोर हुए और वह अपने छोटे भाई के पास बैठ गया। कन्हाई इतना गंभीर बने, उसका यह नित्य प्रसन्न चंचल अनुज इस प्रकार सचिन्त दिखायी दे-दाऊ इसे किसी प्रकार सह नहीं सकता। कल जब गोचारण से गोष्ठ में लोटे, बाबा की पेरों पर एक बिचारी बुढिया रो रही थी। झुकी कमर, कांपते अङ्ग, पके केश, झुर्री पड़ा शरीर-हाथ में लठिया टेककर वह बड

read more
|| श्री हरि: ||
74 - सङ्कल्प

'दादा, ये राक्षस बहुत बुरे होते हैं।' श्यामसुंदर ने अपने विशाल दृग बड़ी विचित्र भंगी से अग्रज की ओर उठाये।

'हम सब असुरों को मार देंगे।' दाऊ के भ्रूमण्डल भी कठोर हुए और वह अपने छोटे भाई के पास बैठ गया। कन्हाई इतना गंभीर बने, उसका यह नित्य प्रसन्न चंचल अनुज इस प्रकार सचिन्त दिखायी दे-दाऊ इसे किसी प्रकार सह नहीं सकता।

कल जब गोचारण से गोष्ठ में लोटे, बाबा की पेरों पर एक बिचारी बुढिया रो रही थी। झुकी कमर, कांपते अङ्ग, पके केश, झुर्री पड़ा शरीर-हाथ में लठिया टेककर वह बड

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile