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Y. B
Yasmin Bano ©Y. B मुंशी प्रेमचंद जी (धनपतराय श्रीवास्तव) की अपनी पत्नी के साथ फोटो जिसमें उन्होंने फटे जूते पहने हुए हैं। इस फोटो को देखकर महान लेखक हरिशंकर परसाई जी ने एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था "सोचता हूँ, यदि फोटो खिंचवाने की अगर यह वेश-भूषा है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग वेश-भूषा नहीं होंगी। इसमें वेश-भूषा बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खींच जाता है। यह व्यक्ति पोशाक बदल भी नहीं सकता क्योंकि इसने भारत की जनता के मर्म को छुआ है। इस की पोशाक के पीछे #गोदान जै
मुंशी प्रेमचंद जी (धनपतराय श्रीवास्तव) की अपनी पत्नी के साथ फोटो जिसमें उन्होंने फटे जूते पहने हुए हैं। इस फोटो को देखकर महान लेखक हरिशंकर परसाई जी ने एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था "सोचता हूँ, यदि फोटो खिंचवाने की अगर यह वेश-भूषा है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग वेश-भूषा नहीं होंगी। इसमें वेश-भूषा बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खींच जाता है। यह व्यक्ति पोशाक बदल भी नहीं सकता क्योंकि इसने भारत की जनता के मर्म को छुआ है। इस की पोशाक के पीछे #गोदान जै
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हर एक गृहस्थ की भाँति होरी के मन में भी गऊ की लालसा चिरकाल से संचित चली आती थी। यही उसके जीवन का सबसे बड़ा स्वप्न, सबसे बड़ी साध थी। बैंक सूद से चैन करने या जमीन खरीदने या महल बनवाने की विशाल आकांक्षाएँ उसके नन्हे से हृदय में कैसे समातीं! #गोदान #गोदान#प्रेमचन्द
GAUTAM SHAKUNTALA GOSAI
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read more✍️ रोहित
The story is 300 के लगभग कहानियां और 14 बड़े उपन्यास गोदान, गबन, बाजार-ए-हुस्न, सेवा सदन, कर्मभूमि, कायाकल्प, मनोरमा, निर्मला, प्रतिज्ञा, रंगभूमि, कर्बला, पूस की रात आदि रचनाओं के रचनाकार मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन पर उन्हें नमन..... हिंदी का विराट आसमान था चहक उठा, भर गए ऐसी हैं उड़ान मुंशी प्रेमचंद। हिंदी की समृद्धि हेतु अपना अमूल्य वक्त, करके चले गए हैं दान मुंशी प्रेमचंद। जीवित किया था उपन्यास की परंपरा को, लिख गये गबन, गोदान मुंशी प्रेमचंद। योगदान जो दिया था उसके लिए कहें तो, हिंदी के लिए थे वरदान मुंशी प्रेमचंद।।
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