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AVINASH SINGH

##पीया के आंगनवा##

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Smart sumit गुप्ता

Prinal Royal Gend Lal Sen shivam kumar mishra Vaishali Chauhan rohit singh

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जब भी पीया करो !!

अपनी जुबान से कहो कायदे में रहे,
कोई तारीफ न करे तो केंची न चलाये,
जब भी तुम पीया करो।।

तुम बेईमान होंगे तो लड़खड़ाओगे खुद,
जमीं पर बेसुध कहीं गिर-पड़ जाओगे तुम,
तुम गिरे तो किसी और को मत गिराना,
जब भी तुम पीया करो।।

अपना मज़ा है पीने के बाद मेज़ लगा कर
अपनी सच बोलो गैरों पर इल्ज़ाम लगा कर
अपनी औकात से ज्यादा दिखाया न करो
जब भी तुम पीया करो।। Prinal Royal Gend Lal Sen shivam kumar mishra Vaishali Chauhan rohit singh

Beyond The Poetry

क्यों न बचपन फिर से जिया जाए सुनहरी यादों की वो शबनम को पीया जाए क्यों न बचपन फिर से जिया जाए लिहाफ़ तो है आरामदेह पर आँखों में अब नींद नहीं चलो आँचल में माँ के, सुकूँ से पलभर सोया जाए मारे जाएं चौके छक्के..कुछ खिड़कियों के शीशों को फोड़ा जाए

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क्यों न बचपन फिर से जिया जाए
सुनहरी यादों की वो शबनम को पीया जाए
क्यों न बचपन फिर से जिया जाए

लिहाफ़ तो है आरामदेह पर आँखों में अब नींद नहीं
चलो आँचल में माँ के, सुकूँ से पलभर सोया जाए

मारे जाएं चौके छक्के..कुछ खिड़कियों के शीशों को फोड़ा जाए
घुसकर आँगन में दबे पांव, क्यों न अमरूदों को तोड़ा जाए
जो गर आहट हो जाए कोई, तो सरपट घर को दौड़ा जाए

कभी पिट्ठू तो कभी लट्टू ,कभी लुका छिपी खेला जाए
लूटी जाएं कुछ पतंगे, तो कभी पालने में झूला जाए
रहें मस्त बस अपनी मस्ती में, तमाम सब कुछ भूला जाए

सीखते हुए साइकिल चलाना, हर बार गिरकर उठा जाए
पीपल की छांव में घंटों, चलो यारों के संग बैठा जाए
कोई आए और मनाए तो सही, क्यों न बेवज़ह ही रूठा जाए

गुल्लक में खनकती सिक्कों की, वो आवाज़ को सुना जाए
क्यों न छोटे छोटे वो मासूम सपनों को बुना जाए
हर दम जो साथ दें, चलो ऐसे दोस्तों को चुना जाए

चलो मिलकर घरौंदे रेत के बनाएं तो कभी मिटाए जाएं
नन्ही मुठ्ठीयों में लेकर रेत फिर जी भर कर फेंकी जाए
सपनों के इक आँगन में उमंगों की धूप सेंकी जाए

अंधी रक़ाबत का है ये ज़माना,खो गई है अब वो बेफिक्र हँसी
चलो खिलखिलाती हँसी के बंद दरवाजों को फिर खोला जाए
पा लिया है सब कुछ, या फिर बहुत कुछ खो चुके 
क्यों न लम्हों के तराजु में ये सब तौला जाए

जिंदगी की कश्ती में हैं जो नाकामियों की दरारें कुछ
बचपन के बेबाक़ हौसलों से क्यों न उन्हें सिया जाए
धुँधली यादों की तस्वीरों को चलो फिर पहले सा किया जाए

क्यों न बचपन फिर से जिया जाए
सुनहरी यादों की वो शबनम को पीया जाए
क्यों न बचपन फिर से जिया जाए #NojotoQuote क्यों न बचपन फिर से जिया जाए
सुनहरी यादों की वो शबनम को पीया जाए
क्यों न बचपन फिर से जिया जाए

लिहाफ़ तो है आरामदेह पर आँखों में अब नींद नहीं
चलो आँचल में माँ के, सुकूँ से पलभर सोया जाए

मारे जाएं चौके छक्के..कुछ खिड़कियों के शीशों को फोड़ा जाए

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