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स्मृति.... Monika
#यह कविता 2002में लिखी गई, शीर्षक है - #तव स्मृति, अनुकृति हूँ मैं ✍️
sudhanshu
|अथ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् || devi apradh kshama stotram :- न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः | न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ||१|| विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् | तदेतत् क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ||२|| पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः | मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ||३|| जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया | तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ||४|| परित्यक्ता देवा विविधविधसेवाकुलतया मया पञ्चा शीतेरधिकमपनीते तु वयसि | इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ||५|| श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा निरातङ्को रङ्को विहरति चिरं कोटिकनकैः | तवापर्णे कर्णे विशति मनु वर्णे फलमिदं जनः को जानीते जननि जननीयं जपविधौ ||६|| चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपतिः | कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ||७|| न मोक्षस्याकांक्षा भवविभववाञ्छापि च न मे न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः | अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपतः ||८|| नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभिः | श्यामे त्वमेव यदि किञ्चन मय्यनाथे धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ||९|| आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि | नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ||१०|| जगदम्ब विचित्र मत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि | अपराधपरम्परापरं न हि माता समुपेक्षते सुतम् ||११|| मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि | एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु ||१२|| ॐ ||
स्मृति.... Monika
हे महात्मा ! तुम महान आत्मा, सत्य, अहिंसा ही थे तव जीवन आधार, जिनसे करते थे तुम असीम प्रेम व्यवहार, 'करो या मरो 'की भावना का देते थे उदगार | और सफल होते गए सदा, कभी न मानी हार, भारत माँ की रक्षा हेतु सहे अगणित पीड़ा -प्रहार, होकर घृणा से विलग जग में बाँटा प्यार ही प्यार | एक ही आदर्श था जीवन में "सादा जीवन उच्च विचार, थी एक ही अभिलाषा "राम -राज्य "का स्वप्न होवें साकार, यही अभिलाषा लिए ह्रदय में तज दिया निज जीवन प्राण | हे भारत के योगी किशन !अब कब लोगे भारत में अवतार, कर रही जनता जनार्दन बस तव आगमन का इंतजार, बस तव आगमन का इंतजार |||| Happy Birthday #Mahatma Gandhi ji
Happy Birthday #Mahatma Gandhi ji
read moreRohini Pande
#तव कुशीत विसावते# प्रीतभाव व्यक्तताना सख्या अव्यक जरी मी राहते, स्पर्श होता तुझा लाडका तव कुशीत मी विसावते..१ मोहिनी तुझी व्यापृत मनी गंध देही या तुझाच तो, होऊन राधा तुझीच कान्हा श्वास आवर्तनी तू राहतो..२ अशी खुमारी तुझ्या प्रीतीची पल्लवते बघ तनामना, धुंद होते रे रासरंगी ध्यासात नित्य तव मोहना..३ भान नुरले तव विना कसले लय श्वासांची तुझ्यात गुंतली, राधा मोहन एकरूप दोघे अस्तित्व प्रीतरूपे भूतली..४ चिरंजीव प्रीत या जगी भावरूप इथे चराचरी, उच्चारता ही प्रीतनाम दिसे राधिका नि श्रीहरी..५ रोहिणी तुज कुशीत विसावते प्रीतभाव व्यक्तताना सख्या अव्यक जरी मी राहते, स्पर्श होता तुझा लाडका तव कुशीत मी विसावते..१
तुज कुशीत विसावते प्रीतभाव व्यक्तताना सख्या अव्यक जरी मी राहते, स्पर्श होता तुझा लाडका तव कुशीत मी विसावते..१
read moreDipak S Gavale
आस तुझी,ध्यास तुझा या देही भरला,तो श्वास तुझा.. एक झुळूक तु मंतरलेली, तव गंधाने मोहरलेली... सांजवेळ ही अशी खुलावी... तव मीठीत ती ही वीरघळलेली... @दिप... shivam kumar mishra ❤️गुमनाम💔
shivam kumar mishra ❤️गुमनाम💔
read moreपरिलोक
नको वाटते असे तुझे पुन्हां पुन्हां बरसणे, त्या बहराने मोहरणे आता झेपणे नाही... नको वाटते शृंगाराने तुझिया लुब्ध होणे, उपासक तव रूपाचा होणे आता जमणे नाही... नको वाटते मजवरी तव धारांनी बरसणे, पावसाशी सलगी करणे आता सोसणे नाही... नको वाटते तुझे माझ्यासाठी हार मानणे, खोटा खोटा खेळ जिंकणे आता भुलणे नाही... नको वाटते प्रेमाचे हे बंध विसरूनी जाणे, नजरेत मीच माझ्या गवसणे आता होणे नाही... #love
Poetry with Avdhesh Kanojia
मेरे शिक्षक हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप। तप की सजीव मूरत हैं आप।। पद कमल आपके नमन करूँ। तव ज्ञान दान से झोली भरूँ।। मुझ ज्ञानक्षीण पर करी कृपा। प्रगटाया वह जो मुझमे छिपा।। जैसे इक क्षीर में उत्पाद बहुत। माखन दधि और मलाई घृत।। वैसे एक आप में गुण हैं अनेक। तव चरणों का करूँ अभिषेक।। रहे वरद हस्त मेरे सिर पर। इतनी करुणा करना मुझ पर।। आज्ञा हो साधारण या विशेष। प्रस्तुत है तव सेवक अवधेश।। ✍️अवधेश कनौजिया हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप। तप की सजीव मूरत हैं आप।।
हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप। तप की सजीव मूरत हैं आप।।
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गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी परम शांत जय गणनायक। अतुलनीय छवि भालचन्द्र जय स्कलपूज्य जय वरदायक।। अभय प्रदाता जय सुख दाता जय परब्रह्म जय अविनाशी । परम शान्त सुखराशि गजानन एकदंत सब घट वासी।। जय चर्चित चंदन प्रभु तव वन्दन धूम्रवर्ण जय पाप शमन। सकल जीव तव सुत शिवनंदन चरण कमल शत कोटि नमन।। ✍️अवधेश कनौजिया© गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी
गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी
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Happy Janmashtami हे कृष्णा श्रीकृष्ण रसामृत प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तुम वर्षा हम चातक प्रभु तुम ही सबके पालक। बस जाऊँ मैं हे मुरारी चरणों में आपके हूँ सन्मुख नतमस्तक आपके प्रताप के। रंग चुका हूँ रंग में मैं हे माधव आपके चिन्ह मुझपे दिखते हैं आपकी ही छाप के। तुम सम दाता नहीं कोई भी मैं तव द्वारे एक याचक। प्रभु तुम वर्षा हम चातक प्रभु तुम ही सबके पालक। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तुम वर्षा हम चातक प्रभु तुम ही सबके पालक। आपमें में राधा श्याम आप भी हो राधा में आप सर्वमुक्त प्रभु बंधते नहीं बाधा में। आप पूर्ण पुरुषोत्तम हर विधि हूँ आधा मैं पर सुध बुध खो जाती है नाम कृष्ण राधा में। है नाम तव एक सायक मोह माया मुक्ति दायक। प्रभु तुम वर्षा हम चातक प्रभु तुम ही सबके पालक। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तुम वर्षा हम चातक प्रभु तुम ही सबके पालक। #श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण रसामृत ..................... प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
#श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण रसामृत ..................... प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
read moreRam Paul Ram Paul
काली काली कोयलिया जव गीत खुशी से गाती है। तव तव जानेमन तुम्हारी याद वहुत तड़पाती है।। काली काली घटा उमड़ कर वादल जव वरसाती है। तव तव तेरी यादें मेरे दिल में आग लगाती हैं।। Savita Veer Esha Joshi Haimi Kumari Kalavati Kumari Lakshmi Srivastav
Savita Veer Esha Joshi Haimi Kumari Kalavati Kumari Lakshmi Srivastav
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