Find the Best आदम Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutआदम जात का अर्थ, आदम हवा, दर्रा आदम खेल, क्रिएशन ऑफ आदम,
manju Ahirwar
बोला कृष्ना से – ‘बहन, सो जा मेरे अनुरोध से बच नहीं सकता है वो पापी मेरे प्रतिशोध से’ पड़ गई इसकी भनक थी ठाकुरों के कान में वे इकट्ठे हो गए सरपंच के दालान में दृष्टि जिसकी है जमी भाले की लंबी नोक पर देखिए सुखराज सिंह बोले हैं खैनी ठोंक कर ‘क्या कहें सरपंच भाई! क्या ज़माना आ गया कल तलक जो पाँव के नीचे था रुतबा पा गया कहती है सरकार कि आपस में मिलजुल कर रहो सुअर के बच्चों को अब कोरी नहीं हरिजन कहो देखिए ना यह जो कृष्ना है चमारों के यहाँ पड़ गया है सीप का मोती गँवारों के यहाँ जैसे बरसाती नदी अल्हड़ नशे में चूर है न पुट्ठे पे हाथ रखने देती है, मगरूर है भेजता भी है नहीं ससुराल इसको हरखुआ फिर कोई बाँहों में इसको भींच ले तो क्या हुआ आज सरजू पार अपने श्याम से टकरा गई जाने-अनजाने वो लज्जत ज़िंदगी की पा गई वो तो मंगल देखता था बात आगे बढ़ गई वरना वह मरदूद इन बातों को कहने से रही जानते हैं आप मंगल एक ही मक्कार है हरखू उसकी शह पे थाने जाने को तैयार है कल सुबह गरदन अगर नपती है बेटे-बाप की गाँव की गलियों में क्या इज्जत रहेगी आपकी’ बात का लहजा था ऐसा ताव सबको आ गया हाथ मूँछों पर गए माहौल भी सन्ना गया क्षणिक आवेश जिसमें हर युवा तैमूर था हाँ, मगर होनी को तो कुछ और ही मंज़ूर था रात जो आया न अब तूफ़ान वह पुरज़ोर था भोर होते ही वहाँ का दृश्य बिलकुल और था सिर पे टोपी बेंत की लाठी सँभाले हाथ में एक दर्जन थे सिपाही ठाकुरों के साथ में घेर कर बस्ती कहा हलके के थानेदार ने – ‘जिसका मंगल नाम हो वह व्यक्ति आए सामने’ निकला मंगल झोपड़ी का पल्ला थोड़ा खोल कर इक सिपाही ने तभी लाठी चलाई दौड़ कर गिर पड़ा मंगल तो माथा बूट से टकरा गया सुन पड़ा फिर, ‘माल वो चोरी का तूने क्या किया?’ ‘कैसी चोरी माल कैसा?’ उसने जैसे ही कहा एक लाठी फिर पड़ी बस, होश फिर जाता रहा होश खो कर वह पड़ा था झोपड़ी के द्वार पर ठाकुरों से फिर दरोगा ने कहा ललकार कर – “मेरा मुँह क्या देखते हो! इसके मुँह में थूक दो आग लाओ और इसकी झोपड़ी भी फूँक दो” और फिर प्रतिशोध की आँधी वहाँ चलने लगी बेसहारा निर्बलों की झोपड़ी जलने लगी दुधमुँहा बच्चा व बुड्ढा जो वहाँ खेड़े में था वह अभागा दीन हिंसक भीड़ के घेरे में था घर को जलते देख कर वे होश को खोने लगे कुछ तो मन ही मन मगर कुछ ज़ोर से रोने लगे ‘कह दो इन कुत्तों के पिल्लों से कि इतराएँ नहीं हुक्म जब तक मैं न दूँ कोई कहीं जाए नहीं’ यह दरोगा जी थे मुँह से शब्द झरते फूल-से आ रहे थे ठेलते लोगों को अपने रूल से फिर दहाड़े, ‘इनको डंडों से सुधारा जाएगा ठाकुरों से जो भी टकराया वो मारा जाएगा’ इक सिपाही ने कहा, ‘साइकिल किधर को मोड़ दें होश में आया नहीं मंगल कहो तो छोड़ दें’ बोला थानेदार, ‘मुर्गे की तरह मत बाँग दो होश में आया नहीं तो लाठियों पर टाँग लो ये समझते हैं कि ठाकुर से उलझना खेल है ऐसे पाजी का ठिकाना घर नहीं है जेल है’ पूछते रहते हैं मुझसे लोग अकसर यह सवाल ‘कैसा है कहिए न सरजू पार की कृष्ना का हाल’ उनकी उत्सुकता को शहरी नग्नता के ज्वार को सड़ रहे जनतंत्र के मक्कार पैरोकार को धर्म, संस्कृति और नैतिकता के ठेकेदार को प्रांत के मंत्रीगणों को केंद्र की सरकार को मैं निमंत्रण दे रहा हूँ आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों के घनी अमराइयों की छाँव में गाँव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही या अहिंसा की जहाँ पर नथ उतारी जा रही हैं तरसते कितने ही मंगल लँगोटी के लिए बेचती हैं जिस्म कितनी कृष्ना रोटी के लिए ©manju Ahirwar #आदम गोंडवी #chamron की गली
LOL
©KaushalAlmora #कला #ठहराव #रोजकाडोजwithkaushalalmora #kaushalalmora #life #आदम #coronaeffects #yqdidi
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read moreGurdeep Kanheri
जिन समन्दरों में वफाये कश्ती ना हो उनके साहिल वफ़ा कैसे करें जहाँ हर आदम हो शक्ल बाघ की मुहब्बत की हिफाजत भला कैसे करें ©Gurdeep #आदम बाघ
#आदम बाघ
read moreUmar Shaikh
#नफस फरमाने इलाही - अल्लाह ने जो हज़रत आदम को जन्नत में एक पेड़ के करीब जाने और इस का फल खाने मना किया था हुकमे इलाही - अल्लाह ने जो फरिश्तों और इब्लिस को आदम को सजदा करने का हुक्म दिया था #Nafs , #Nojoto
umar SHAIKH
#नफस फरमाने इलाही - अल्लाह ने जो हज़रत आदम को जन्नत में एक पेड़ के करीब जाने और इस का फल खाने मना किया था हुकमे इलाही - अल्लाह ने जो फरिश्तों और इब्लिस को आदम को सजदा करने का हुक्म दिया था #Nafs , #Nojoto
*alf@z-e-dil* (Akash Singh)
क्या ऐसे ही आंखों में सबको वो हूर मिलता है क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है क्या ऐसे ही आंखों में खोने लगते है सब ये क्या ऐसे ही उस एक के होने का फितूर मिलता है क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है क्या इन्हीं आंखों से वो ख्वाब सजते हैं जमाने के क्या इन्हीं आंखों में डूब जाने का डर हुज़ूर मिलता है क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है क्या ऐसे ही आंखें शर्म से झुकती हैं उनके होने से क्या ऐसे ही उनके होने का गुरूर मिलता है क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है क्या ऐसे ही आंखों आंखों में बातें होती है क्या ऐसे ही होठों को मुस्कुराने का सुरूर मिलता क्या ऐसे ही, बन के इश्क़ आदम को कोहिनूर मिलता है.. #hindipoetry #hindiwriters #kavitayein
#hindipoetry #hindiwriters #kavitayein
read moreanoop dhaval
कुछ कहते गर , तो वो रूठ जाते यूँ अंजीर आदम के फूल सा पर ख़ता उनकी भी तो नही -२ उन्हें क्या पता हमें मनाना नही आता ।। अंजीर आदम -गूलर(एक ऐसा फल जिसमें फूल अविद्यमान रहता है )
Rajesh Raana
हर शख्स अपनी नाक पर बैठा हुआ हैं , ज्यों उल्लू कोई शाख़ पर बैठा हुआ हैं । (१) बाजार में तगादियों की कमी नही है कोई , धन्ना सेठ भी इसी धाक पर बैठा हुआ है । (२) दिखता ही नही उसके सिवा कोई और मुझे, दिलबर मेरा, मेरी आँख पर बैठा हुआ है। (३) तेरी गली में आऊं और क़त्ल हो जाऊ, रक़ीब मेरा बस इसी ताक पर बैठा हुआ है । (४) इतनी जल्दी से न खुद को कमतरी से देख, कुज़ागर तेरा अभी तो चाक पर बैठा हुआ है । (५) ज़मी का होकर आसमाँ को नापने चला "राणा" आदम तू तो अभी अपनी राख़ पर बैठा हुआ है । (६) हर #शख्स अपनी #नाक पर बैठा हुआ हैं , ज्यों #उल्लू कोई #शाख़ पर बैठा हुआ हैं । (१) #बाजार में #तगादियों की कमी नही है कोई , #धन्ना सेठ भी इसी #धाक पर बैठा हुआ है । (२) #दिखता ही नही उसके #सिवा कोई और मुझे,
Deepansh Mittal
सुन आदम, ओ रे आदम;आदम की, औलाद तू तू जो सोचे, तो तू मिट्टी; जो सोचे तो, फौलाद तू है दुनिया ये, अंश-विष्णु; विष्णु इसका, रखवाला तू जो कोसे, तो तू रावण, जो पूजे तो, प्रहलाद तू इंसान से, इंसानियत है; है इंसान से, हैवानियत तू जो चाहे, तो तू ब्राह्मण; जो चाहे तो, जल्लाद तू है आत्मा तो, बुद्ध जीवी; मरके भी मरती नहीं तू जो देखे, तो तू जीवित; जो देखे तो, नाशाद तू अच्छा हुआ खो दिया, जिसे पाके, दिल था रो दिया तू जो माने, तो तू जीता; जो माने, तो बरबाद तू जीवन मृत्यु, मृत्यु जीवन; एक सिक्के के, दो पहलू हैं तू जो चाहे तो, अनुवाद बन; जो चाहे तो, अपवाद तू माँ शब्द में, वो ममता है; विधाता, जिसमे रमता है जो तू पलता तो तू बेटा है; जो पाले तो, दामाद तू ये सलाखें तो बेकसूर हैं; देख कोसों तुझसे दूर हैं जो 'मन माने' तो तू बंदी है, जो 'मन ठाने' तो आज़ाद तू सुन आदम, ओ रे आदम;आदम की, औलाद तू तू जो सोचे, तो तू मिट्टी; जो सोचे तो, फौलाद तू है दुनिया ये, अंश-विष्णु; विष्णु इसका, रखवाला तू जो कोसे, तो तू रावण, जो पूजे तो, प्रहलाद तू इंसान से, इंसानियत है; है इंसान से, हैवानियत तू जो चाहे, तो तू ब्राह्मण; जो चाहे तो, जल्लाद तू
सुन आदम, ओ रे आदम;आदम की, औलाद तू तू जो सोचे, तो तू मिट्टी; जो सोचे तो, फौलाद तू है दुनिया ये, अंश-विष्णु; विष्णु इसका, रखवाला तू जो कोसे, तो तू रावण, जो पूजे तो, प्रहलाद तू इंसान से, इंसानियत है; है इंसान से, हैवानियत तू जो चाहे, तो तू ब्राह्मण; जो चाहे तो, जल्लाद तू
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