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Lalit Kashyap
!!पराया घर!! रोक लेते अपनी नादानियों को नाराज़गी से पहले! यूँ वहाशियत का नज़ारा न होता तो अच्छा होता काश तुमने रिश्तों को समझा होता तो अच्छा होता!! लाख समझाया था ज़िन्दगी का खालीपन तुझे! मेरी बातों पर ऐतबार हुआ होता तो अच्छा होता काश तुमने रिश्तों को समझा होता तो अच्छा होता!! अपना घर जला लिया तुमने औरो की सुन सुन कर! एक बार तो विश्वास किया होता तो अच्छा होता काश तुमने रिश्तों को समझा होता तो अच्छा होता!! पराये घर में माफी नही मिलती गुस्ताखियो पर बहन! सोच कर कदम उठाया होता तो अच्छा होता काश तुमने रिश्तों को समझा होता तोअच्छा होता!! रूठ जाती है किस्मत मिलता है तिरस्कार ज़माने से गर मुझे अपना समझा होता तो अच्छा होता काश तुमने रिश्तों को समझा होता तो अच्छा होता!! #जय गुरू जी #ललित कश्यप स्टोन आई
Lalit pandey
वो मिली ऐसे.. जैसे कभी जाएगी ही नहीं... गई ऐसे.. जैसे कभी मिली ही नहीं... #ललित पाण्डेय
Lalit pandey
ज़िन्दग़ी के अंजुमन का बस यही दस्तूर है, बढ़ के मिलिये और मिल कर दूर होते जाइये... #ललित पाण्डेय
THAKUR LALIT SINGH RAGHUWANSHI
ना कर तमन्ना ये दिल तू किसीको पाने की बड़ी बेदर्द निगाहेँ है इस ज़माने की खुद ही को बनाले इतना बुलंद की लोग तमन्ना रखे सिर्फ तुझे ही पाने की #ललित#
Parnassian's Cafe
क़सूर दिल का था ख़ामोखा नजरों को बदनाम किया। आगाज़-ए-मोहब्बत ने"ललित" तेरा ऐसा काम किया।। आगाज़-ए-मोहब्बत। #प्रेम #दिल #क़सूर #आगाज़ #मोहब्बत #नज़र #बदनाम #ललित #काम
__official_lalit__
मिलती हो जब तुम कभी हमसे तो ख़ामोश हो जाता हूं में, देख कर किसी और के साथ तुमे मैं अंदर ही अंदर जलने जलने लगता हूं, प्यार तो करता हूं मैं यही फील करता हूं, देख कर किसी और के साथ तुमे मैं अंदर ही अंदर जलने जलने लगता हूं। #ललित कुमार# जलने लगता हूं। Kanika Girdhari Deepika Dubey Vìjáy kûmär Pinky Kumari Nirmal Kumari
जलने लगता हूं। Kanika Girdhari Deepika Dubey Vìjáy kûmär Pinky Kumari Nirmal Kumari
read moreAjeet Malviya Lalit
कालेज नामा (कैप्सन में पढें) कालेज नामा भाग १ अजीत मालवीय 'ललित' स्कूल की पढ़ाई पूरी करके उच्च शिक्षा के लिए बड़े से शहर का रुख किया तो ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ा गांव की धूल मिट्टी को छोड़कर अब मैं एक बहुमंजिला इमारतों वाले शहर में अपने घर की यादों को तलाश कर रहा था रात करीब आठ बजे गर्मी के दिन थे ट्रेन से उतरा तो ढेर सारा शोर शराबा बहनों की तीक्ष्ण ध्वनि कानों को अप्रिय लग रही थी। जैसे तैसे ठिकाने पर पहुंचा और दूसरे दिन से शुरुआत होती है दौड़ भाग और सिर्फ दौड़-भाग की, कॉलेज पहुंचता हूं ।
कालेज नामा भाग १ अजीत मालवीय 'ललित' स्कूल की पढ़ाई पूरी करके उच्च शिक्षा के लिए बड़े से शहर का रुख किया तो ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ा गांव की धूल मिट्टी को छोड़कर अब मैं एक बहुमंजिला इमारतों वाले शहर में अपने घर की यादों को तलाश कर रहा था रात करीब आठ बजे गर्मी के दिन थे ट्रेन से उतरा तो ढेर सारा शोर शराबा बहनों की तीक्ष्ण ध्वनि कानों को अप्रिय लग रही थी। जैसे तैसे ठिकाने पर पहुंचा और दूसरे दिन से शुरुआत होती है दौड़ भाग और सिर्फ दौड़-भाग की, कॉलेज पहुंचता हूं ।
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