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Abhi Shrivastav
ज़ेहन से निकालकर कुछ यादें मैंने यूं पन्नों पे उतारी है। आंखों में हैं आँसू और दिल में दर्द अब भी जारी है। तरपता हूं पल-पल मैं कैसी ये बेकरारी है। खो दिया है खुद को मैंने और मेरी तन्हाई अब भी जारी है। ज़ेहन से निकालकर कुछ यादें मैंने यूं पन्नों पे उतारी है......... #ज़ेहन #पन्नों #यादें #nojotohindi
#ज़ेहन #पन्नों #यादें #nojotohindi
read moreHarpal Shayar
मैं रोज जाता हूँ मस्जिद में वक्त में से वक्त निकालकर देकर आता हूँ मैं आंसू खुदा को तेरी खुशियों के बदले निकालकर हरपाल #NojotoQuote
Shyamal Kumar Rai
बचपन में एक रुपए का सिक्का निगल गया था मा ने गले से सिक्का निकलकर जिंदगी बचाई थी आज सिक्कों में फसी जिंदगी से जिंदगी निकालकर ना जाने क्यों सिक्कें बचा रहा हूं। सपनो को अपने गिरवी रख दिया है मैंने किसी और के महत्वाकांक्षाओं का बोझ उठा रहा हूं आज सिक्कों में फसी जिंदगी से जिंदगी निकालकर ना जाने क्यों सिक्कें बचा रहा हूं। सिक्के,जिंदगी और औसत #रिफ्लेक्शन
सिक्के,जिंदगी और औसत #रिफ्लेक्शन
read moreShyamal Kumar Rai
“बचपन में एक रुपए का सिक्का निगल गया था,मा ने गले से सिक्का निकालकर जिंदगी बचाई थी। आज सिक्को में फसी जिंदगी से जिंदगी निकालकर ना जाने क्यों मैं सिक्के बचा रहा हूं। खुशियों से कमाएं पैसे और पैसे से कमाई खुशियों का जब भी मैं औसत निकाल रहा हूं,ना जाने क्यों हर हिसाब में मै पैसे ज्यादा और खुशियां कम पा रहा हूं। ना जाने क्यों मै सिक्को में फसी जिंदगी से जिंदगी निकालकर मैं सिक्के बचा रहा हूं।” सिक्के,जिंदगी और औसत। #ConflictsofLife
सिक्के,जिंदगी और औसत। #ConflictsofLife
read moreEron (Neha Sharma)
कीमत कपड़े की ठंड का मौसम था ठंडी हवा चल रही थी। रामु सड़क पर चला जा रहा था। अचानक एक दुकासन देखकर रुक गया। खुद से बाते करते हुए साला इतने सारे कपड़े, अपन के पास तो पहनने को भी नही हैं और इन लोगों को देखो पुतले को पहना दिए हैं। तभी दुकान का मालिक दुकान से बाहर आकर। “भाग यहां से हाथ मत लगा खराब हो जाएगा, कुछ लेना है तो बोल वरना निकल यहां से”। काहें को इसके मुंह लगते हो इसकी औकात भी है खरीदने की, कहीं से भी मुंह उठाकर चले आते हैं ऐसे लोग, दुकान पर खड़ा ग्राहक बोल उठा। ये पुतले वाली ड्रेस मुझे दे दीजिये मेरे
ठंड का मौसम था ठंडी हवा चल रही थी। रामु सड़क पर चला जा रहा था। अचानक एक दुकासन देखकर रुक गया। खुद से बाते करते हुए साला इतने सारे कपड़े, अपन के पास तो पहनने को भी नही हैं और इन लोगों को देखो पुतले को पहना दिए हैं। तभी दुकान का मालिक दुकान से बाहर आकर। “भाग यहां से हाथ मत लगा खराब हो जाएगा, कुछ लेना है तो बोल वरना निकल यहां से”। काहें को इसके मुंह लगते हो इसकी औकात भी है खरीदने की, कहीं से भी मुंह उठाकर चले आते हैं ऐसे लोग, दुकान पर खड़ा ग्राहक बोल उठा। ये पुतले वाली ड्रेस मुझे दे दीजिये मेरे
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