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Amrendra Kumar Thakur
हम मान नही सकते, पुरुष की भीड़ ने। दो स्त्रियो को निर्वस्त्र कर दिया, काश! वहां एक भी पुरुष होता। ©Amrendra Kumar Thakur #मणिपुर #Manipur #सोसायटी
Nikita Yadav
यह देश कर्म धर्म देश है। जहां पर कई लोग रहते है जहा कभी किसी के साथ भेद भाव नही किया जाता है ये हमारा देश है इसे दिल से प्यार करो। इस मिट्टी की इज्जत करो... यह देश हमारे साथ हैं हम देश के साथ है यह हमारा कर्म पूजा है।।। जय हिंद।। जय माता।।। ©Nikita Yadav #सोसायटी #इंडिया #love #army
@non_existing_creations
।।हम लोगो के हिसाब से जीते रहते हैं लोग अपने हिसाब से जीते रहते हैं और जिंदगी छोटी होती चली जाती है।। ©RITIK RAGHUWANSHI #सोच #सोसायटी #SunSet
Santosh Kumar
इंसान कुछ इस तरह हैवान हो जाता है ज़िन्दगी बचाने वाला ही लहूलुहान हो जाता है रोती है धरती भी अपनी बदकिस्मती पर जब हिंसा कुछ लोगों का अरमान हो जाता है मरहम के बदले पत्थर मिलते हो जिस किसी दयार में उससे बड़ा नहीं जहन्नुम इस पूरे संसार में। #Moradabad_Violence , #सोसायटी #समाज #हिंसा #हिंदी #hindisahitya #hindipoetry #corona #hindipoems #Nojoto
Amit Kushwaha
ज्यादा कुछ नहीं इंसान को इंसान समझने वाला बचपन चाहिए। बड़े होकर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई उच्च नीच में बटने वाला पाखंड नहीं। #सोसायटी
Geeta Panjwani
बचपन और पहला दोस्त मिट्टी की चार ईंटे ।। यंहा वंहा से चुनकर लाया हुआ पेपर कागज कचरे सा -);; ये थी मेरी रसोई घर । बहुतछोटी थी मैं बहुत ज्यादा 3 या 4 कक्षा में ।। एक खुला सा बडा मैदान था घर के सामने कुछ दिनो से बंजारे रहने आए थे यंहा ।। कुठ नया बन रहा था उसी के मजदूर थे ।। रोज देखती थी उनकी औरते और मर्द साथ काम पे निकल जाते थे ।। उनके बच्चे मिट्टी मे खेलते रहते थे ।।मौज से मजे से ।। ये सब रोज का था ईसलिए आम लगता था एक दिन बहुत मायूस दिखे वो बच्चे ।। खेल भी नही रहे थे ।। मुझे न बचपन से ही हर बात जान ने का बडा शौक रहता है ।। पुछ लिया मैने " ऑए तूम क्यु दुखी हो ।।खेलो न खेल क्यु नही रहे ?? गरीब बेचार चुप रहे ।।जवाब न दिया ।। "बाड में जाओ "कहकर मैं निकल गई ।।। पर मुझे चैन न आया ।।।क्यूकि रो रहे थे यार दो तीन छोटे छोटे बच्चे ।। अब मैं अपने असली रूप में आ गई और गुस्से से पुछा । "बताते हो के नही "??। नही तो कल ही तूम लोगो को भगा देंगे यंहा से देख लेना ।।मेरे प्पा सेकर्टरी है सोसायटी के हमारा ही राज चलता है ।।"" मेरी धमकी काम कर गई ।। " हमारी मां रोज हमारे लिए खाना बनाके जाती है रात को बारिश की वजह से सुबस चुला जला ही नही अब हमे बहौत भुख लगी है ।।।" है भगवान ।मैं भले कितनी भी शैतान थी बचपन में पर ईस तरह किसी को भुखा नही देख सकती थी ।। " कौन कौन क्या लाएगा" मेरी टोली से पुछा ?? आता जाता हम मे से किसी को कुछ नही था पर तैयार सारे हो गए थे।।। " मीना मैं आलू लेके आती हु ।तु पौंआ ले आ ।।सीमा राई और हरा धनिया ले आ तेल मसाले सब एक एक लाओ ।। मिट्टी की चार ईंट का चुल्हा ।। थोडा सा गासलेट ।बहुत सारा कचरा ।घर के पेपर ।।। मेरी अगवानी ।।। तेल मे राई डाली ।।जल गई " अरे ईसने तो जला दिया "" उसने कहा "हा तो तू मत खाना" बोल दिया मैने ।।मेरी हुशारी तो बचपन से ही सुबानअल्लाह है ।। मुजे आज भी याद है ।।पुरे कच्चे थे आलू नमक थोडा ज्यादा था और ।।। पौंआ नही ।।पुरे पौंआ का हलवा बनाया था मैने। मुझे कूया पता पानी नही डलता ?? खैर साथ मे आलु भी उभाले ।।मैं टीम लीडर थी तो घर के सारे आलू उठा लायी थी ।। हमने उनके साथ बैठकर थोडा थोडा खाया ।। वो सचमुच बहुत भूखे थे यार ।।। हाथ से भर भर के ईतना कच्चा पक्का खाना खा गए ।।।। उनहोने खाना खाया और हम सभने मार मम्मी की ।।। अरे हा ।। सच्ची में ।। हमारी सोसायटी "तारक महेता का उलटा चश्मा " जैसी थोडे ही थी ।।। ईसलिए सबको मार मिली ।। मुझे अपनी मम्मी की मार और बाकी सारी म्मियो की डांट ।। After all leader जो ठहरे अपुन ।। पहली रसोई पे हमेशा ।। पारितोषक ।।या खरची मिले ।एसा जरूरी नही कभी कभी मार डांट भी मिलता है ।। समझा ।।।
saumya
इत्तेफ़ाक ए इश्क़ love story part two read in caption मै उसके ख्यालों में खोया हुआ था बार बार उसका चेहरा मेरे सामने आ रहा था क्या हो रहा था मुझे ....थोड़ा मूड फ्रेश करने के लिए सोसायटी से बाहर निकला तभी मैने देखा खुशी रोड के बीच में थी और उसका ध्यान कहीं और था मै चिला रहा था खुशी खुशी वाहा से हटो लेकिन वो सुन नहीं रही थी मै दौड़ कर उसको धक्का दिया हम दोनों साथ में गिर गए खुशी तुम पागल हो क्या कोई रोड पर ऎसे खड़ा होता है वो बस सुन रही थी मै चिला रहा था तुम्हे कुछ हो जाता तो मै एक पल के लिए डर गया था तभी वो बोली तुम्हें तो चोट लगी है ब्लड आ रहा है मै
मै उसके ख्यालों में खोया हुआ था बार बार उसका चेहरा मेरे सामने आ रहा था क्या हो रहा था मुझे ....थोड़ा मूड फ्रेश करने के लिए सोसायटी से बाहर निकला तभी मैने देखा खुशी रोड के बीच में थी और उसका ध्यान कहीं और था मै चिला रहा था खुशी खुशी वाहा से हटो लेकिन वो सुन नहीं रही थी मै दौड़ कर उसको धक्का दिया हम दोनों साथ में गिर गए खुशी तुम पागल हो क्या कोई रोड पर ऎसे खड़ा होता है वो बस सुन रही थी मै चिला रहा था तुम्हे कुछ हो जाता तो मै एक पल के लिए डर गया था तभी वो बोली तुम्हें तो चोट लगी है ब्लड आ रहा है मै
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