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Best पेड Shayari, Status, Quotes, Stories

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Sunil Kumar Sharma

#good_evening_images Hindistory #पेड.......

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White पेड से बडे बिल्डिंग्स, 
पेड कहा गये?

©Sunil Kumar Sharma #good_evening_images 
#NojotoHindistory 
#पेड.......

Sunil Kumar Sharma

#Lake Hindistory #पेड...........

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White पेड, जल जीवन 
और मनमीत।

©Sunil Kumar Sharma #Lake 
#NojotoHindistory 
#पेड...........

Sunil Kumar Sharma

Hindistory #पेड..............

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Vivek Mayur

क्या भारतीय सरकार को 2.5 लाख पेड से ज्यादा हीरे है ?

#SaveBuxwahaForest

©Vivek Mayur क्या #भारतीय #सरकार को 2.5 लाख #पेड से ज्यादा #हीरे है ?

#SaveBuxwahaForest

#World_Forest_Day #buxwahaforest #saveforest #forestcutting #IndianGovernment #

MR VIVEK KUMAR PANDEY

#पेड के पतो

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"पे ड के पतो कि पुजा तब तक होती है 
जब तक वो डालियो से जुडा रहता है 
लेकिन वो पता नीचे गिरा तब आग 
में उसे जोख दिया जाता है ".।

©MR VIVEK KUMAR PANDEY #पेड के पतो

nk

वरगद का पेड अपने नीचे कीसी भी
पेड को पनपने नही 
देता
आप लोगो का क्या राय है! #Worldhabitatday

Anjana Gupta Astrologer

दशहरा

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रावण क्यों नहीं मरता...? हर साल मारना जरूरी क्यों?

 सबके अंदर है इन्हें कैसे मारे इसीलिए 10 देवियों का 10 महाविद्या का उपयोग किया जाता है हमारी कुंडली में .. यही बात बताई गई है लग्न से दसवे स्थान तक हमें कर्म करना है बिना कर्म के हमारा कुछ नहीं हो सकता है यह कर्म करने में हमें 10 तरह की चीजों से गुजरना होता है तब हमें स्वर्ग मिलता है ।10वा स्थान स्वर्ग है।
**विजयादशमी ( पूरा दिन शुभ मुहूर्त ) विजय मुहूर्त ( दोपहर 14:05 से 14:52 तक ) (संकल्प, शुभारम्भ, नूतन कार्य,  अस्त्र-शस्त्र-दशहरा ( 8अक्टूबर 2019) मंगलवार के दिन शाम को जब सूर्यास्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय हो वो सर्व सिद्धिदायी विजय काल कहलाता है |*
*हमारे देश मे वर्ण व्यवस्था के तहत श्रावणी ब्राह्मण का त्यौहार है, दशहरा क्षत्रीय का ,दीपावली वेश्यो का ,और होली शूद्रो का।
*सर्वत्र विजय देने वाला*
*ये दशहरे के दिन शाम को घर पे ही स्नान आदि करके, दिन के कपडे बदल शमी मे कलावा बांधे व आश्त्र शस्त्र की पूजा करे।और शमी की तने की छाल अपने पास रखे।परिक्रमा करके 
 शाम सरसो के तेल का दीपक शमी के पेड पर चार मुखी लगाए।
शमी पेड के नीचे 
गौरी जी को स्थापित करे जिसे सालभर पूजन मे रखे।(पूजा सुपाडी के रूप मे)

 *" राम रामाय नम: ।  "*
  तो रामजी का नाम मंत्र जपते है - या रामरक्षा का पाठ करे।
अपने वाहन मे राम रक्षा कवच पूजा करके रखे।
नीले पुष्प से अपराजिता देवी का ध्यान करे।
*"ॐ अपराजितायै नमः " *ये मंत्र जप
3 *"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।*
*कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥" १ माला कर ले उस विजय काल में कर सकते है।
पान का पते का प्रयोग देवी के रसो से जुडा जो हमे स्वास्थ्य की दृष्टि से दशहरे मे खाना चाहिए पित्त का शमन करता है दशहरा

Anjana Gupta Astrologer

दशहरा

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**विजयादशमी ( पूरा दिन शुभ मुहूर्त ) विजय मुहूर्त ( दोपहर 14:05 से 14:52 तक ) (संकल्प, शुभारम्भ, नूतन कार्य,  अस्त्र-शस्त्र-दशहरा ( 8अक्टूबर 2019) मंगलवार के दिन शाम को जब सूर्यास्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय हो वो सर्व सिद्धिदायी विजय काल कहलाता है |*
*हमारे देश मे वर्ण व्यवस्था के तहत श्रावणी ब्राह्मण का त्यौहार है, दशहरा क्षत्रीय का ,दीपावली वेश्यो का ,और होली शूद्रो का।
*सर्वत्र विजय देने वाला*
*ये दशहरे के दिन शाम को घर पे ही स्नान आदि करके, दिन के कपडे बदल शमी मे कलावा बांधे व आश्त्र शस्त्र की पूजा करे।और शमी की तने की छाल अपने पास रखे।परिक्रमा करके 
 शाम सरसो के तेल का दीपक शमी के पेड पर चार मुखी लगाए।
शमी पेड के नीचे 
गौरी जी को स्थापित करे जिसे सालभर पूजन मे रखे।(पूजा सुपाडी के रूप मे)

 *" राम रामाय नम: ।  "*
  तो रामजी का नाम मंत्र जपते है - या रामरक्षा का पाठ करे।
अपने वाहन मे राम रक्षा कवच पूजा करके रखे।
नीले पुष्प से अपराजिता देवी का ध्यान करे।
*"ॐ अपराजितायै नमः " *ये मंत्र जप
3 *"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।*
*कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥" १ माला कर ले उस विजय काल में कर सकते है।
पान का पते का प्रयोग देवी के रसो से जुडा जो हमे स्वास्थ्य की दृष्टि से दशहरे मे खाना चाहिए पित्त का शमन करता है
अंजना ज्योतिषाचार्य दशहरा

Tanu Vyas

खुशियों का दौर फिर आयेगा...

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हार के चंद परेशानियो से , निकल चुकी थी घर से...
थक कर बैठी इक पेड के नीचे पनाह लिये...
सिर झुकाए मैं कोस ही रही थी जिंदगी को...
कि कुछ शोर सुना...सिर उठाकर देखा तो...
वो नन्ही सी चिडिया आशियाना बना रही थी तिनके बटोर कर...
कुछ हिम्मत और खुशी उसे देखकर मिली ही थी कि...
तभी पेड से गिरती कुछ पत्तियां...
जैसे खो रही थी वो वजूद अपना...
फिर वही हताशा इक बार फिर मिली...
कुछ चीटियां भी दाने ला रही थी समेटकर...
उठाकर वजन भारी चढती जा रही थी वो मिट्टी के ढेरों पर...
जैसे कह रही हो मुझसे उठ अब यह निराशा यहीं छोडकर...
आसमां की ओर देखा तो फासले अनंत से लगे...
लगा जैसे मेरे सपनो की ऊँचाइयां भी इस आसमां जितनी है...
सोचा कि यह फासले कैसे पार करूंगी मैं...
फिर नजरें क्षितिज पर गयी और जबाव मिल गया...
टूटी हुयी पत्तियां भी मुस्कुराकर बोली कि वसंत का आना अभी बाकी है...
कि तू चल इन मुश्किलों का कारवां गुजरना अभी बाकी है...
इन अंधेरी रातों का सवेरा होना अभी बाकी है...
ढलती हुयी शाम का सूरज निकलना अभी बाकी है...
जो लोग ताने कस रहे है यूं तो दास्तां-ए-जिंदगी उनकी भी कुछ खास नही...
भटके हुए मुसाफिर हैं खुद की मंजिलों का उन्हे भी एहसास नहीं...
माना रास्ते तो अंधेरे है...पर मेहनत का जुगनू इन्हे भी चमकाएगा...
और जब मंजिलें मिलेंगी तुझको तो वो खुशियों का दौर फिर आयेगा... खुशियों का दौर फिर आयेगा...

Herat Udavat

#OpenPoetry कुछ जज्बात पहेली बारिश में मिले पहेले प्यार के नाम,,, । #नादानईश्क #RomanticPoem #hindipoetry #FirstLove #LoveInRain #romance

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मूछ का दाना अभी ही फूटा था,
जज्बातो का लहूमे सेहलाब उमड़ा था, 
बाइक पे सावर हम अकेले ही अपनी बारात लेके आये थे। 
निम के पेड के नीचे पनपती वो प्यार की मुलाकत आज भी मुजे याद है, 
वो पेहला सावन, वो बारिश की बुंदे आज भी बहुत खास है। 

सामने एक्टिवा पर आती दिखती हर लडकी
मानो हमारी ही दूल्हन थी,
नाखून चबाते बारिश में किया उसका इंतजार , 
आज भी मुजे याद है, 
वो पेहला सावन वो बारिश की बूंदे आज भी बहुत खास है। 

ओढ़ राखा था दूपट्टा तूमने, 
आंखो पे भी लगाया था खुबसूरत सा चश्मा, 
उस चश्मे के भीतर छूपा हसीन आंखों का काजल आजभी हमे याद है, 
वो पेहला सावन वो बारिश की बुंदे आज भी बहुत खास है। 

अभी तो हटाया था दूपट्टा मुह से तूमने
और ठंडी हवामे तुम्हारी जुल्फे लहराई थी,
चांद उतरा मानो धरती पे,
बादल ने सुरज की किरनें ढकवाई थी, 
कायनात पे आयी क़यामत आज तक हमे याद है, 
वो पेहला सावन, वो बारिश की बुंदे, आज भी बहुत खास है। 

वो सावन का जमके बरसाना,
वो बिजली का बेवजह चमकना
डर के मारे तेरा यू मुजसे लिपटना, 
आजभी मानो रोम रोम में दहकती एक आग है, 
वो पहेला सावन , वो बरिश की बूंदे आज भी वो बहुत खास है।

होठों को चूमा था उसके, बारिश की बूंदो ने, 
कुछ मोती ऊसके केसूं परभी गिरे थे, 
होठों से बेहती उन बूंदो को पीनेकी तलब आज भी आबाद है, 
वो पेहला सावन वो बूंदे आज भी बहुत खास है। 

अँखो के आंसु मे बारिष का घूलना, 
उसको जाते हूये दुर तक देखना, 
उसको पाने के लिए
दिल मे उठी हुयी तलब आज भी बरकारार है, 
वो पेहला सावन, वो बारिश की बूंद आज भी बहुत खास है। 

फ़िर से गुज़र रहा हूँ, उन्ही रस्तो पे बहोत सालो के बाद, 
मानो वही ठहर गया हूं में ऊस मुलाकात के बाद, 
निम के पेड के नीचे पनपे मेरे नादान ईश्क पर आज भी मुजे नाज़ हे,
वो पेहला सावन ,वो बरिश की बुंदे आज भी बहुत खास है।। #OpenPoetry 
कुछ जज्बात पहेली बारिश में मिले पहेले प्यार के नाम,,, । 
#नादानईश्क
#romanticpoem
#hindipoetry
#firstlove
#loveinrain
#romance
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