Find the Best एकाग्रता Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutस्वामी विवेकानंद एकाग्रता, अभ्यासात एकाग्रता कशी वाढवावी, मनाची एकाग्रता,
Anuradha T Gautam 6280
Ek villain
एकाग्रता मालूम ही प्रयासों से संभव नहीं हो पाती बल्कि यह भी तब विकसित होती है जब किसी कार्य को बौद्ध पूर्ण ढंग से किया जाता है तथा उसके पूर्ण होने पर आनंद ही प्रबल अनुभूति होने लगती है कार्य की संपदा में अनुभव हो रही है आनंद की सुख होती है वास्तव में ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को उसके आंतरिक शक्ति से जोड़ती है इस कारण में कार्य किया जा रहा होता है तब उसमें स्वयं का आनंद ले आने लगता है लोगों को अपने बचपन के दिन अवश्य यादव होंगे एक बच्चा केवल आनंद से सराबोर रहता है तब वह अनावश्यक रूप से दौड़ते हुए एक दिल्ली को पकड़ने का प्रयास करता है जब तक वह और सब कुछ भूल जाता है उसका सारा ध्यान तितली पकड़ने में लगा रहता है ऐसी स्थिति में यह बच्चा एक ग्रह भाव में जाकर अपने कार्य को संपन्न करता है एक ग्रह का तात्पर्य नहीं है कि हम चुपचाप खाली बैठ जाएं और अपने आपको विचारों से मुक्त कर ले यह कुछ ना कुछ करें एक ताकतवर होकर कार्य को संपन्न करने से है जो उस कार्य के प्रति रुचि का उत्पन्न करता है जब कार्य के प्रति रुचि उत्पन्न होती है ऐसे कार्य संपन्न हो जाते हैं बल्कि उस में संपन्न होने के उपरांत दोनों ही स्थितियों में अभूतपूर्व आनंद की अनुभूति होती रहती है ©Ek villain #एकाग्रता मनुष्य जीवन में #Travel
Deepak Dilwala
एकाग्रता प्रयास दृढनिश्चय इन तीन शब्दों से हम अपना भविष्य बेहतर कर सकते हैं। ©Deepak "dilwala" #भविष्य #प्रयास #एकाग्रता #दृढनिश्चय #सफलता #कोशिश #Lines #बेहतर #तलाश सत्यप्रेम
Rohit Unique
मन को स्थिर रखने के लिए एकाग्रता की जरूरत होती है तभी किसी कार्य को करने में हम खरा उतर सकते है।। #एकाग्रता
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
ब्रह्मचारिणी शब्द दो पदों से मिलके बना है ।ब्रह्म= बड़े लक्ष्य में ।चारिणी = तन्मय ।ऐसे ही एकाग्रता का भी यही अर्थ होता है जैसे एक= अर्थात एक अपने लक्ष्य ही को, अग्रता=माने अधिक अर्थात समस्त ब्रह्मांड से भी अधिक मूल्यवान फील करना।अर्थात माँता अपने (एक)परम लक्ष्य भगवान शिव में इतनी (अग्र)तन्मय हो गई की शरीर की आवश्यक चीजों जैसे भोजन फल पानी पत्ते हवा आदि ग्रहण के लिए भी शरीर को प्रेरित करने का ख्याल नही आया परंतु लगभग सभी साइट्स पर लिखा है की ब्रह्म=तप के आचरण के कारण ब्रह्मचारिणी नाम हुआ पर महाभारत में कहा है कि मन एवं इंद्रियों की एकाग्रता ही श्रेष्ठ तप है।"मनसश्चेंद्रियाणां ह्यैकाग्रयं परमं तपः" एक= अर्थात एक अपना लक्ष्य ही को, अग्रता=माने अधिक अर्थात समस्त ब्रह्मांड से भी अधिक मूल्यवान (अपना लक्ष्य )फील करना ही परं (श्रेष्ठ)तप है। माँ ब्रह्मचारिणी के नाम का रहस्य
माँ ब्रह्मचारिणी के नाम का रहस्य
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।
read morePrashant Trivedi
मेरा मन लें किनारे आ ताप लें अग्नि सी पावन में मुझें उमंगित मे तन तेरा मन मेरा मुझें तरंगित हूँ साथ तुझसें सुकून एकांत मैं #एकांत#एकाग्रता#सुकून#त्याग#प्यार#सागर
SucceSS StuDY IQ
"मौन" ना सिर्फ सामने वाले को हराता है...!! बल्कि एकाग्रता भी बढ़ाता है...!!!" "मौन" ना सिर्फ सामने वाले को #हराता है, बल्कि #एकाग्रता भी बढ़ाता है...!!!" #Nojoto #Suvichar #SucceSS #StuDY #IQ
Anil Siwach
।।श्री हरिः।। 34 - अन्वेषण 'तू क्या ढूंढ़ रहा है?' जब कोई कमर झुकाकर भूमि से दृष्टि लगाए एक-एक तृण का अन्तराल देखता धीरे-धीरे पद उठाता चले तो समझना ही होगा कि उसकी कोई वस्तु खो गयी है और वह उसे ढूंढ रहा है। साथ ही वह वस्तु बहुत छोटी होनी चाहिये, जो तृणों की भी ओट में छिप सके। कन्हाई कमर झुकाये एक-एक पद धीरे-धीरे उठाता चल रहा है। इस चपल ऊधमी के लिये इस प्रकार पृथ्वी पर नेत्र गड़ाकर चलना सर्वथा अस्वाभाविक है। ऐसी क्या वस्तु इसकी खोयी है कि इतनी शान्ति से, इतनी स्थिरता एकाग्रता से लगा है अन्वेषण
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