Find the Best प्रेत Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutअपराधबोध का प्रेत कहानी, मलयगिरि का प्रेत, जीवनाची प्रेत यात्रा, प्रेत आत्माएँ,
CM Chaitanyaa
कहते हैं जिनकी अंतिम इच्छा अधूरी रह जाती है, उनकी आत्मा भटकती रहती है इस जहाँ में कहीं, परंतु हम लोगों की तो ना जाने कितनी ही इच्छाएँ, अधूरी रह जाती हैं जीव पर्यन्त और बस हम ज़िंदा, ही प्रेत बने घूमते रह जाते हैं ! #प्रेत #इच्छाएँ #yqdidi #yqhindi #life #yqpoetry #sadquotes #yqbaba
Yudhisthir Choubisa
चलो चल चले हम अपने रस्ते कुछ दूर तुम जाओ कुछ कदम हम चले । मुड़के भी न देखना। सुना हे प्रेत पीछे ही चलते हे । तुमसे अच्छे तो प्रेत हे पथ चलते हे तुम ही बताओ अब किस घर को हम चलते हे । चलो चल चले हम चलो चल चले ।
चलो चल चले ।
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हिंदी साहित्यकारों की पदवी/उपनाम/अन्यनाम छायावाद का शलाका - निराला प्रगतिवाद का शलाका - नागार्जुन नयी कविता का शलाका - अज्ञेय कलम का जादूगर - रामवृक्ष बेनीपुरी प्रेषक : Hightech Hindi Youtube & Telegram Channel भाषा का जादूगर - शिवपूजन सहाय बिम्ब का जादूगर - माखनलाल चतुर्वेदी शब्दों का जादूगर - कमलेश्वर कठिन गद्य का प्रेत - अज्ञेय कठिन काव्य का प्रेत - केशव आधुनिक कविता के सुमेरु - जयशंकर प्रसाद
no writings
उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। रूठे को तो मना लिया जाये आसान है बेमतलब रूठे को मनाने का कभी मन नहीं माना था शायद उसी का साया था दबे पाँव मेरा पीछा कर रहा था और मुझे उस साये को मनाने की ज़िद कर रहा था | ये वो साया है जो अतीत में गलत फहमी या कह लो एक तरफी प्रें से भरा है इसीलिये ये शब्द आज भी आधा साया प्रेत का लेकर मेरे पीछे घूम रहा है शायद | तो क्या ये तेरे बेवजह रूठने की एेंठन लिये घूम रहा है या तुझसे कह न पाने के लिये प्रताड़ित कर रहा है | लेकिन मुझे ये साया अब कभी डराता नहीं नहीं क्योंकि ये बहुत बड़ी गलत फहमी का हिस्सा है प्रेत है ये बेवजह ही रूठने वाला प्रेत | ©️hittika #hindi
✍️ रोहित
भूत के सिर पै ताण्डव भूत-प्रेत उससे हमेशा दूर भागता है, भूल कर के भी नहीं नजदीक आता है। कोई भी चुड़ैल या पिशाच नहीं तँग करे, हर एक व्याधा से स्वयं बच जाता है। हर एक भूतनी, पिशाचिनी, चुड़ैल को भी, आर्यों के नाम से ही दौरा पड़ जाता है। आर्य समाज की शरण जिसको मिली है, भूत-प्रेत के सिरों पै ताण्डव मचाता है।। ---रोहित
✍️ रोहित
भूत के सिर पै ताण्डव भूत-प्रेत उससे हमेशा दूर भागता है, भूल कर के भी नहीं नजदीक आता है। कोई भी चुड़ैल या पिशाच नहीं तँग करे, हर एक व्याधा से स्वयं बच जाता है। हर एक भूतनी, पिशाचिनी, चुड़ैल को भी, आर्यों के नाम से ही दौरा पड़ जाता है। आर्य समाज की शरण जिसको मिली है, भूत-प्रेत के सिरों पै ताण्डव मचाता है।। -रोहित
Rohini Kulmethe
प्रेत सरणावर पडल होतं जाता जाता कुणी तरी त्याच्या साठी जीवण भर जळलं होतं श्वासापलिकडे त्याला कोणी आपलं होत जळता जळता त्याला ते कळलं होतं काय झुंज त्या आठवणीची जीवण जगताने त्याला छळलं होतं का कुणाला मागावा श्वास श्वास माझा अपुरा होता होतं नव्हत दिलं सर्व फक्त दिवा जळला होता आंसवांनी ओंजळ भरत होतं प्रेत सरणावर रडत होत जीवनभर होत्या आसवांच्या धारा घरात होता कलकलाहट सारा भाकरी मांगली थोडी तेव्हा पकण्यात तीला भारी वेळ होता
Divyanshu
"अंतर्जगत" ऊब गया हूँ जी - जीकर मैं, इस दुनिया में, कभी तो झलक दिखलाती वो दूसरी दुनिया, जहाँ छुपे अनेकानेक रहस्य, विचित्र प्राणी सब भूत-प्रेत जहाँ गहरी शांति, घोर अँधेरा, और वातावरण बिलकुल ठंडा,
"अंतर्जगत" ऊब गया हूँ जी - जीकर मैं, इस दुनिया में, कभी तो झलक दिखलाती वो दूसरी दुनिया, जहाँ छुपे अनेकानेक रहस्य, विचित्र प्राणी सब भूत-प्रेत जहाँ गहरी शांति, घोर अँधेरा, और वातावरण बिलकुल ठंडा,
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