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Ghumnam Gautam
Priyanka Gahalaut
मेरे होंठो का.. तुम्हारे लबो को छुए जाने के ठीक पहले का ये अंतराल.. चुंबन से भी कहीं अधिक है चुम्बक सा इसमें कमाल.. पलकों के क्षैतिज पर डूबते सूरज सी आँखे मेरी तेरी.. और शर्म से हो जाये.. दोनों कपोल लाल.. ©Priyanka Gahalaut Meena Singh Meen #लबों #kiss #कपोल #सुर्ख #nojatohindi #nojatoquotes #nojatolove Shweta Srivastava Gargi
Meena Singh Meen #लबों #kiss #कपोल #सुर्ख #nojatohindi #nojatoquotes #nojatolove Shweta Srivastava Gargi
read moreKhetdan Charan
"तेरे मृदुल मृदुल कपोल" जीवन का संस्मरण है स्मरण उसे भूल जाना है मुश्किल, छूआ जिनको इन हाथों, होठों ने, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, उन आलिंगनों के मध्य रहकर, कांटे टूटे मैं रहा अकेला फूल, परिरंभणों के काल में मेरे थे, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, बीत जाने की चाह थी वहाँ, तेरी प्रकृति थी मेरे अनुकूल, जिन्होनें मुझसे किया प्रेमानुवाद, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, सौन्दर्यता की थी पराकाष्ठा वो, कर नहीं सकता उनका मोल, जिनको लगाकर अनुभूति हुई, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, अंबर जैसी स्वच्छता जिनकी, उनके आस पास न थी कोई धूल, मैं सिमटता रह गया उन पर, तेरे वे मृदुल मृदुल कपोल, khetdan charan #nojoto #love #shayri #shayri
हर्षित दीक्षित"हर्ष"
रफ़्ता-रफ़्ता आज मेरी गली में एक महताब छाया होगा, शायद! उस चांद से मिलने ख़ुद ख़्वाब आया होगा। क़तरा-क़तरा बहाया था आंखों से उस रूख़्सार-ए-जमाल के ख़ातिर मैंने, पर तलब ऐसी की अपने हाथों से किसी ने उसके नक़्श को सजाया होगा। दैर पर आतिश बहुत थी तब अक़ीदत उसकी देखी मैंने, मुन्तज़िर हूँ उसका जिसकी हया ने एक ना-चीज़ को पागल बनाया होगा। तक़ल्लुफ़ क्यों करूँ मैं उस महबूब की जिंदगी-ए-साज से, जिसके बस एक स्पर्श ने मुझे दीवाना बनाया होगा। बहुत मशग़ूल था वो चाँद अपने मन्सूब के ख़्यालों में, जिसकी लज्जत ने मेरे आरिज़ को बेइंतिहा महकाया होगा। गज़ल💕💕 शब्दार्थ👇👇 रफ़्ता-रफ़्ता- धीरे-धीरे क़तरा-बूँद रूख़्सार-गाल/कपोल जमाल-सौन्दर्य/खूबसूरती तलब-इच्छा नक़्श-निशान
गज़ल💕💕 शब्दार्थ👇👇 रफ़्ता-रफ़्ता- धीरे-धीरे क़तरा-बूँद रूख़्सार-गाल/कपोल जमाल-सौन्दर्य/खूबसूरती तलब-इच्छा नक़्श-निशान
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 42 - कुछ बात है आज कन्हाई वन में आकर बहुत थोड़ी देर खेलता रहा है। यह बालकों का साथ छोड़कर अकेले मालती-कुञ्ज में आ बैठा है। दाऊ तो प्राय: अकेले बैठ जाता है; किंन्तु कृष्ण इस प्रकार अकेले चुपचाप बैठे, यह इस चपल के स्वभाव के अनुकूल तो है नहीं। इसलिए अवश्य कुछ बात है। मालती ने चढ़कर तमाल को लगभग आच्छादित कर लिया है। नीचे से ऊपर तक इस प्रकार छा गयी है कि भूमि से तमाल के शिखर तक केवल हरित मन्दिर दीखता है। इसमें भीतर जाने का द्वार भी छोटा ही है। अवश्य इतने छिद्र मध्य में हैं कि वायु तथा
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