Find the Best गड्ढे Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutचेहरे से गड्ढे कैसे मिटाए, गड्ढे meaning in english, गड्ढे इन इंग्लिश, गड्ढे, खुबानी गड्ढे,
गौरव दीक्षित(लव)
कम से कम ये #गड्ढे तो भर #दो #नगरपालिका वालों कई मर्तबा #गिर चुका हूं😍😍😘😘👇👇 कम से कम ये #गड्ढे तो भर #दो #नगरपालिका वालों कई मर्तबा #गिर चुका हूं😍😍😘😘👇👇
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read moreमलंग
....चुनावी गड्डा... एक गड्डा करे ,तो दूजा गड्डा भरे! नेता मेरे देश के, ये कैसी बात करे...!! रोडों के गड्ढे भरे नहीं जाने वो कौन से गड्ढे हैं भर रहे थे तुम जिनको वो तो अमीरों के अड्डे हैं! कुछ पैसे देकर किसानों को यूँ झुनझुना पकड़ा दिया पंचवर्षीय योजनाओं को रस्ता पहले ही दिखला दिया गऊ माता रस्ता ताक रही उसे सर पे कब बिठाओगे वो कट के अब भी बिक रही उसे वो मान कब दिलाओगे हुआ राम का वनवास ना पूरा तुम अज्ञात वास पूरा कर आये विदेश की धरती पर क्यों नूरा कुश्ती कर आये देख बाहुबली आज भी क्यूँ हर गरीब डरे नेता मेरे देश के ये कैसी बात करे.....!! बेरोजगारी जोरों पर है ना विश्वास ओरों पर है अच्छे दिन रास ना आये पैसा अब भी पास ना आये विकास रस्ता भूल चुका है शहरी झूला झूल चुका है निर्धन अब भी रोजगार ताके गरीब खाली बटुवा झांके अंतरिक्ष उड़ान से उसे क्या लेना झूठी शान से उसे क्या लेना वो तो दो वक्त की रोटी चाहे अच्छा भविष्य सुरक्षित बेटी चाहे कारोबार काहे ठप कराया काला धन भी वापस ना आया नोट बंदी काले नोट बंद कर ना पाई महिलाओं ने भी जमा पूँजी गवाँई चोर चौकीदार की बात पर अब हर चौकीदार डरे नेता मेरे देश के, ये कैसी बात करे। एक गड्डा करे, तो दूजा गड्डा भरे नेता मेरे देश के, ये कैसी बात करे। यह किसी के विरुद्ध नहीं लिखा गया है कृपया इसे एक आलोचना के रूप में ही लिया जाये। प्रजातंत्र में आलोचना जरूरी है जो उसे सही रास्ता दिखाती है। रचयिता:- बलवन्त रौतेला (B.S.R.) रूद्रपुर 04/04/2019 7:52 am
LalitPurohit
night quotes in hindi सपने पूरे करने के लिए चल दिये थे मंजिल की और बढ़ रहे थे रास्ते मे मिले कई गड्ढे विचार आया गड्ढे भी भरते चले पीछे आने वाले को आसानी हो मंजिल मिले या नही मिले दुआ तो मिले lalitpurohit28 #NojotoQuote #विचार #lalitpurohit28#lalitpurohit45 #nojotohindi #nojotoenglish #love #friend
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
"बिन फेरे हम तेरे -3" कल टटोला जब खुद को सैकड़ों गड्डों में सैकड़ों वीरानियाँ मिली,,,,,,,,, ठंड से ख़ुश्क पड़ गए है गड्डों में ख्वाहिशें मुझे खोदी जा रही थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, आज इन गड्ढों में फुरसत से बैठ के ख़्वाहिशों की खोदी हुई मिट्टी और खुशफैमियों का लेप बनाके भरना शुरू किया,,,,,,,,,,,, इक गड्ढे में था इक दोस्त पुराना जिसे अब उसके सच्चे दोस्त मिल गए थे ,,,,,,,,,भर डाला उसे के उसकी तलाश ख़त्म ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, इक गड्ढे में रख्खी थी ख्वाहिश गले लगने की टूट के रोना था और ये कहना था कि अब मैं हूँ ........ पर अब पापा नहीं हैं ............................,,,,,,,,,,,,,, कुछ गड्डों में ख़्वाहिश थी दुनिया घूमने की मैंनें गूगल मेप पे इनको दुनिया दिखा दी ,,,,,,,,,,,,,, कुछ गद्दों में मिली बचपनें की ख्वाहिशें जिनको कभी सेना में जाना था , ,,,,,,,,,,,,,,,,,, तो कभी तारों के पीछे जा के देखना था कि ये कौन सी रस्सी से लटकते रहते हैं ,,,,,,,,,,,,,, इक गद्दा था जिसमें से पानी भी रिस रहा था पास जाके देखा तो इक ख़्वाहिश रो रही थी ,,,,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,कि चलो देर से सही तुमने अपने बदन पे पड़ चुके गड्डों के लिए वक़्त तो निकाला वो पानी नहीं खुशी के आँसू थे उसके पगली के ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, सुनो तुम भी हो इन गड्डों में, कई परतें हटानी पड़ी मुझको इस ख़्वाहिशों वाली मिट्टी की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तब जा के तुम तक पहुँच सका इसको मैंनें उन तमाम लम्हों से भर डाला शायद थे हमारे या न मेरे न तेरे बिन फेरे हम तेरे बिन फेरे हम तेरे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©️✍️ सतिन्दर 15.01.19 #NojotoQuote बिन फेरे हम तेरे -3 "बिन फेरे हम तेरे -3" कल टटोला जब खुद को सैकड़ों गड्डों में सैकड़ों वीरानियाँ मिली,,,,,,,,, ठंड से ख़ुश्क पड़ गए है गड्डों में ख्वाहिशें मुझे खोदी जा रही थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, आज इन गड्ढों में फुरसत से बैठ के ख़्वाहिशों की खोदी हुई मिट्टी और खुशफैमियों का लेप बनाके भरना शुरू किया,,,,,,,,,,,,
बिन फेरे हम तेरे -3 "बिन फेरे हम तेरे -3" कल टटोला जब खुद को सैकड़ों गड्डों में सैकड़ों वीरानियाँ मिली,,,,,,,,, ठंड से ख़ुश्क पड़ गए है गड्डों में ख्वाहिशें मुझे खोदी जा रही थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, आज इन गड्ढों में फुरसत से बैठ के ख़्वाहिशों की खोदी हुई मिट्टी और खुशफैमियों का लेप बनाके भरना शुरू किया,,,,,,,,,,,,
read moreshivesh jha
उसके गाल में गड्ढे पर जाते हैं जब वो मुस्कुराती है वैसे तो अच्छा खासा चल रहा था मैं पर उसी गड्ढे के कारण लड़खड़ाया हूं कुमार शिवेश झा
Mukesh Poonia
Story of Sanjay Sinha कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह? वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं। अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम
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