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Vaibhav Kumresh
वीरता की ढाल शौर्य की तलवार हूँ कर्तव्य से भरा हुआ सिंह विकराल हूँ सृजन हूं प्रलय हूँ कर्म का कमल हूँ धर्म का शुभ फल हूँ मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ मैं अभ्यंकर शिव का वंशज हूँ ©Vaibhav Kumresh वीरता की ढाल शौर्य की तलवार हूँ कर्तव्य से भरा हुआ #सिंह विकराल हूँ सृजन हूं प्रलय हूँ #कर्म का कमल हूँ #धर्म का शुभ फल हूँ मैं #गर्वित रक्षकों का #वंशज हूँ
Vaibhav Kumresh
तुम शुभंकर शांत निर्मल शून्य की गहराइयों से युक्त हो तुम राग की गहराइयों से मुक्त हो तुम विनाश से परे अविनाशी शिव शंभू के वंशज हो ©Vaibhav Kumresh तुम #शुभंकर शांत निर्मल शून्य की गहराइयों से युक्त हो तुम राग की गहराइयों से मुक्त हो तुम विनाश से परे अविनाशी #शिव #शंभू के #वंशज हो #Shiva #shiv #aadiyogi #Shankar #jatadhaari
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
वंशज / Descendent वंशजों कि बात अब करता है कौन, तलवारें, लाठियाँ रहता मौन न लहू बहते परिवारों में ! ना अपशब्दों से होती गलियाँ चकाचौंध हर किसी के पाकेट में भरे हैं पैसे, फिर भी सबसे बड़ा हैं वो धौछ़ दादी-दादा से रहा सिर्फ नाता, गुपचुप आपस में सब है बतियाता सब को मोबाइल दिलोजान है भाता, भोजन विछावन पर हो जाता सब अपने-अपने में दिखता बैचेन, वंशजों कि बात करता है कौन... ©Anushi Ka Pitara #वंशज #descentdant😘😘😘 #AmitabhBachhan
#वंशज descentdant😘😘😘 #AmitabhBachhan
read moreYadav writes
#श्री_किरशनजी के #वंशज है हम #यदुवंशी कहलावें, #यादव ने दुनिया में #शेर कहके #बुलावें ! #Jai_yadav #Jai_madhav #devraj ©Yadav writes Yadav writes #touchthesky
Yadav writes #touchthesky
read morePoetry with Avdhesh Kanojia
हम श्रीराम चन्द्र के वंशज -------------------------------- शत्रु के द्वारा पिघल सकें जो हम ऐसे फौलाद नहीं। श्रीराम चन्द्र के वंशज हम किसी बाबर की औलाद नहीं।। देश भविष्य करेंगे स्वर्णिम माँ भारती के पारस हैं। काल से भी लड़ जाएँ हम ऐसा कुछ हममें साहस है। झुका सके कोई शत्रु हमें जो यह उसकी औकात नहीं। श्रीराम चन्द्र के वंशज हम किसी बाबर की औलाद नहीं।। फिर करेंगे उनको एक दुबारा जो अगल देश के खण्ड हैं। तूफान की दिशा बदल दें हम ऐसे अपने भुजदण्ड हैं।। लेंगे अधिकार झुका शत्रु को करते कभी फरियाद नहीं। श्रीराम चन्द्र के वंशज हम किसी बाबर की औलाद नहीं।। जो संकल्प लिया है हमने उसको कर के दिखाएंगे। गद्दार देश में भरे हुए जो उनको मार भगाएंगे।। निस्तेज शत्रु को कर देते हैं सिर्फ बनाते बात नहीं। श्रीराम चन्द्र के वंशज हम किसी बाबर की औलाद नहीं।। शत्रु के द्वारा पिघल सकें जो हम ऐसे फौलाद नहीं। श्रीराम चन्द्र के वंशज हम किसी बाबर की औलाद नहीं।। ✍️अवधेश कनौजिया© हम श्रीराम चन्द्र के वंशज -------------------------------- शत्रु के द्वारा पिघल सकें जो हम ऐसे फौलाद नहीं। श्रीराम चन्द्र के वंशज हम किसी बाबर की औलाद नहीं।। देश भविष्य करेंगे स्वर्णिम
हम श्रीराम चन्द्र के वंशज -------------------------------- शत्रु के द्वारा पिघल सकें जो हम ऐसे फौलाद नहीं। श्रीराम चन्द्र के वंशज हम किसी बाबर की औलाद नहीं।। देश भविष्य करेंगे स्वर्णिम
read moreRamesh Dixit
मै घोषणा करता हूँ कि मैं टैनगुरिया-पुरोहित वंश का ब्राह्मण हूँ मेरे वंशज आदि काल से ही "सूर्य-वंशी" क्षत्रियों के कुल पुरोहित है *भगवान राम-जनकसुता सीता*का परिणय-संस्कार मेरी 311 पूर्व की पीढ़ी के द्वारा ही सम्पन्न कराया गया था और श्रीराम के वंशज सूर्य-वंशी आज भी धरा पर विद्यमान है।
Rajat Singh
#OpenPoetry कल प्रभू श्री राम दिखे थे मुझको मेरे सपने में , बैठ के संग लक्ष्मण के फिर वो बोले मेरे सपने में की काश अगर मैं राम ना होता ,तो सीता का अपमान ना होता मां कैकेयी के हाथों से , पती मृत्यु का पाप ना होता मेरे अनुज भ्रात लक्ष्मण से , सुपर्णखा पे वार ना होता खुद मेरे पुत्रों लव और कुश से , अश्वमेघ में हार ना होता ये सुन के लक्ष्मण , बोल पड़े हे भाई , हे भाई मेरे राम सुनो - ना रावण हूँ मैं , ना राम ही हूँ , बस मेरे ज्येष्ठ भ्रात का छोटा सा अभिमान ही हूँ ना तुम जैसा पुरषोत्तम हूँ , ना उस जैसा ही ज्ञानी हूँ ना मुझको वन में जाना था ना शक्ति बाण ही खाना था ना पत्नी वियोग ही सहना था ना सुपर्णखा से , कुछ कहना था लक्ष्मण रेखा जो खींची थी वो बन्दिश नहीं वो रक्षा थी मेरी तो कुछ ना गलती थी , मुझको भी ताने मारे हैं हे भाई - मेरे राम कहो, कैसे ये तुमको पूजेंगे ये हनुमान कहाँ पाएंगे , जिनके सीने में राम बसें ये रावण के सब वंशज हैं ये रावण को ही पूजेंगे..... हे भाई मेरे राम - कहो कैसे ये तुमको पूजेंगे ये रावण के सब वंशज हैं , ये रावण को ही पूजेंगे अये रावण तू तो अमर रहे, श्री राम को सबने छोड़ दिया श्री राम बिठा के मंदिर में , रावण को खुल्ला छोड़ दिया तब जला के लंका आये थे , अब अपने ही घर की बारी है ना भाई भाई की सुनता है , ना पुत्र पिता से डरता है सब रावण के ही वंशज हैं , सब रावण से अभिमानी हैं सुपर्णखा के नाम पे ये , सीता को हर भी लाएंगे अपने झूठे आदर्शों को फिर , तुमको ये दिखलाएंगे गर प्रिय इतनी वो बहना थी , तो उसके पती को क्यों मार दिया? ये प्रश्न नहीं वो पूछेंगे , ना तुमको कुछ बतलायेंगे - रावण को श्राप तो ये भी था , गर करे दुराचार किसी स्त्री से तो सब सिर उसके फट जाएंगे सीता इसलिए सुरक्षित थी , सीता को हाथ लगाए ना रावण इतना नहीं अच्छा था पर ये रावण से ही ढोंगी हैं , ये रावण को ही पूजेंगे सब नष्ट भले ही हो जाए , ये लोभ ना अपना छोड़ेंगे ये रावण से ही लोभी हैं , ये रावण को ही पूजेंगे दस शीश तेरे ये क्यों काटें , एक शीश इनका भी इश्मे है सब रावण के ही वंशज हैं , सब रावण को ही पूजेंगे। #OpenPoetry #RavanKeVansaj
Ikram Ansari
जब मुगलों ने पूरे भारत को एक किया तो इस देश का नाम कोई इस्लामिक नहीं बल्कि 'हिन्दुस्तान' रखा, हाँलाकि इस्लामिक नाम भी रख सकते थे, कौन विरोध करता ? जिनको इलाहाबाद और फैजाबाद चुभता है वह समझ लें कि मुगलों के ही दौर में 'रामपुर' बना रहा तो 'सीतापुर' भी बना रहा। अयोध्या तो बसी ही मुगलों के दौर में। 'राम चरित मानस' भी मुगलिया काल में ही लिखी गयी। आज के वातावरण में मुगलों को सोचता हूँ, मुस्लिम शासकों को सोचता हूँ तो लगता है कि उन्होंने मुर्खता की। होशियार तो ग्वालियर का सिंधिया घराना था, होशियार मैसूर का वाडियार घराना भी था और जयपुर का राजशाही घराना भी था तो जोधपुर का भी राजघराना था। टीपू सुल्तान हों या बहादुरशाह ज़फर,,, बेवकूफी कर गये और कोई चिथड़े चिथड़ा हो गया तो किसी को देश की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई और सबके वंशज आज भीख माँग रहे हैं। अँग्रेजों से मिल जाते तो वह भी अपने महल बचा लेते और अपनी रियासतें बचा लेते, वाडियार, जोधपुर, सिंधिया और जयपुर राजघराने की तरह उनके भी वंशज आज ऐश करते। उनके भी बच्चे आज मंत्री विधायक बनते। यह आज का दौर है, यहाँ 'भारत माता की जय' और 'वंदेमातरम' कहने से ही इंसान देशभक्त हो जाता है, चाहें उसका इतिहास देश से गद्दारी का ही क्युँ ना हो। बहादुर शाह ज़फर ने जब 1857 के गदर में अँग्रैजों के खिलाफ़ पूरे देश का नेतृत्व किया और उनको पूरे देश के राजा रजवाड़ों तथा बादशाहों ने अपना नेता माना। भीषण लड़ाई के बाद अंग्रेजों की छल कपट नीति से बहादुरशाह ज़फर पराजित हुए और गिरफ्तार कर लिए गये। ब्रिटिश कैद में जब बहादुर शाह जफर को भूख लगी तो अंग्रेज उनके सामने थाली में परोसकर उनके बेटों के सिर ले आए। उन्होंने अंग्रेजों को जवाब दिया कि - "हिंदुस्तान के बेटे देश के लिए सिर कुर्बान कर अपने बाप के पास इसी अंदाज में आया करते हैं।" बेवकूफ थे बहादुरशाह ज़फर। आज उनकी पुश्तें भीख माँग रहीं हैं। अपने इस हिन्दुस्तान की ज़मीन में दफन होने की उनकी चाह भी पूरी ना हो सकी और कैद में ही वह "रंगून" और अब वर्मा की मिट्टी में दफन हो गये। अंग्रेजों ने उनकी कब्र की निशानी भी ना छोड़ी और मिट्टी बराबर करके फसल उगा दी, बाद में एक खुदाई में उनका वहीं से कंकाल मिला और फिर शिनाख्त के बाद उनकी कब्र बनाई गयी ! सोचिए कि आज "बहादुरशाह ज़फर" को कौन याद करता है ? क्या मिला उनको देश के लिए दी अपने खानदान की कुर्बानी से ? ऐसा इतिहास और देश के लिए बलिदान किसी संघी का होता तो अब तक सैकड़ों शहरों और रेलवे स्टेशनों का नाम उनके नाम पर हो गया होता। क्या इनके नाम पर हुआ ? नहीं ना ? इसीलिए कहा कि अंग्रेजों से मिल जाना था, ऐसा करते तो ना कैद मिलती ना कैद में मौत, ना यह ग़म लिखते जो रंगून की ही कैद में लिखा : लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में, किस की बनी है आलम-ए-नापायदार में। उम्र-ए-दराज़ माँग के लाये थे चार दिन, दो आरज़ू में कट गये, दो इन्तेज़ार में। कितना है बदनसीब 'ज़फर' दफ्न के लिए, दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में॥ 💐💐💐
mukesh verma
जाति ना पूछो वोटर क़ी( कविता ) -कुमार मुकेश- अनुशीर्ष में पढ़े.. #NojotoQuote "जाति ना पूछों वोटर की" (कविता) चुनावी घमासान से देश हल्कान पड़ा है हर चैराहे पर, क़िसी न क़िसी पार्टी का प्रत्यासी खड़ा है सभी दल राम के सहारे हो चले है नास्तिक नेता अब आस्तिक हो चले है चुनाव में हर नेता सड़क पर होता हैं
"जाति ना पूछों वोटर की" (कविता) चुनावी घमासान से देश हल्कान पड़ा है हर चैराहे पर, क़िसी न क़िसी पार्टी का प्रत्यासी खड़ा है सभी दल राम के सहारे हो चले है नास्तिक नेता अब आस्तिक हो चले है चुनाव में हर नेता सड़क पर होता हैं
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आज से 400 साल पहले अकबर ने प्रयागराज को इलाहाबाद कर दिया तब किसीको मिर्ची नहीं लगी..कोई memes नही बनाए.. अब आप कहेंगे 400साल पहले मोबाइल नहीं थे...अरे तो जब से मोबाइल मेम्स बनाए तब से आवाज़ क्यों नहीं उठाए की मुसलमान शासकों ने इलाहाबाद का नाम बदल दिया। पटना का कोई असली नाम बताए??पुराना नाम,ये भी बदला हुआ हुआ है मुगल शासकों का, मुजफ्फरपुर का पुराना नाम क्या था सोचिए जरा ,ये भी मुगल शासकों का बदला हुआ नाम है... आज गूगल पर खोजिए... उन लोगो ने हमारे देश के कई शहरों के नाम बदल दिए तो कोई आवाज़ उठाने
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