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पथिक..
"मेरी हस्ती मिटा कर तू क्या खाक जी पायेगा ये समय का चक्र है बाबू जो कल फिर लौट कर आयेगा आज शायद मैं मिट रहा हूँ कल वक़्त तुझको भी मिटायेगा... ©पथिक.. #चक्र#समय का
BANDHETIYA OFFICIAL
चक्र तुम्हारा फख्र की चीज है, वक्त वही है,बख्त वही, कमबख्त दिल ने समझा कहां, वृत्ति, प्रवृत्ति, निवृत्ति, वृत्त ही, कालचक्र,वो भाग्यचक्र सब रीझ है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #चक्र सब है।
#चक्र सब है।
read moreDeepak Kumar Katariya
Preeti Karn
तुम मोहपाश मैं बीत राग.... प्रीति #समय #चक्र #तुम #धुरी #YourQuoteAndMine Collaborating with Anuup Kamal Agrawalमाफी के साथ🙏🙏🙏 Collaborating with Anamika Ghatak Collaborating with Nidhi Agarwal
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read moreTara Chandra
दूर क्षितिज पर प्रेम पिपासु, वर्षण को आतुर बादल, जल बाणों की बौछारों से, धरा आह्लाद करें बादल।। आन्दोलित हो अपनी सारी, सम्पत्ति वार दिये बादल, यही समर्पित प्रेम निशानी, खुद को मिटा चले बादल।। धरती भी ऋण सिर ना धारे, फिर पोषित करती बादल, देख आसमां पर फिर से, छा कर उभरे हैं बादल।। ✍️... ©Tara Chandra Kandpal #चक्र
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। अरा इव रथनाभौ संहता यत्र नाड्यः स एषोऽन्तश्चरते बहुधा जायमानः। ओमित्येवं ध्यायथ आत्मानं स्वस्ति वः पाराय तमसः परस्तात् ॥ रथ के चक्र की नाभि में जुडे़ हुए अरों की भाँति जहाँ नाड़ियाँ एकत्रित हो जाती हैं, 'वह' ही है जो अन्तर में विचरण करता है,- 'वही' बहुविध रूप में जन्म लेता है। 'आत्मा' का 'ओम्', के रूप में ध्यान करो, तथा अन्धतमस् से परे उस पार जाने का तुम्हारा मार्ग मंगलमय (स्वस्ति) हो। Where the nerves are brought close together like the spokes in the nave of a chariot-wheel, this is He that moves within, -there is He manifoldly born. Meditate on the Self as OM and happy be your passage to the other shore beyond the darkness. ( मुण्डकोपनिषद् २.२.६ ) #मुण्डकोपनिषद् #upnishad #चक्र #chakra #आत्मा #soul #ईश्वर #परमात्म
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। यज्ञ इन्द्रमवर्धयद्यद्भूमिं व्यवर्तयत् । चक्राण ओपशं दिवि ॥ पद पाठ य꣣ज्ञः꣢ । इ꣡न्द्र꣢꣯म् । अ꣣वर्धयत् । य꣢त् । भू꣡मि꣢म् । व्य꣡व꣢꣯र्तयत् । वि꣣ । अ꣡व꣢꣯र्तयत् । च꣣क्राणः꣢ । ओपश꣢म् । ओ꣣प । श꣢म् । दि꣣वि꣢ ॥ (यज्ञः) परोपकार के लिए किये जानेवाले महान् कर्म ने (इन्द्रम्) परमात्मा को अर्थात् उसकी महिमा को (अवर्धयत्) बढ़ाया हुआ है। परमात्मा के यज्ञ कर्म का एक दृष्टान्त यह है (यत्) कि (दिवि) द्युलोक में (ओपशम्) सूर्यरूप मुकुट को (चक्राणः) रचनेवाला वह परमात्मा (भूमिम्) भूमि को (व्यवर्तयत्) सूर्य के चारों ओर घुमा रहा है ॥ (Yajna:) The great deeds performed for benevolence have increased (Indram) the divine, that is, his glory (Avardhyat). A parable of the Yajna Karma of the divine is (Yat) that (Divya) in the dulok (opsham) is the creation of the sun (crown) in the sun (Chakraanah). ( सामवेद मंत्र १२१ ) #सामवेद #वेद #सूर्य #चक्र #भूलोक
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। तमेकनेमिं त्रिवृतं षोडशान्तं शतार्धारं विंशतिप्रत्यराभिः। अष्टकैः षड्भिर्विश्वरूपैकपाशं त्रिमार्गभेदं द्विनिमित्तैकमोहम्॥ ऋषियों ने एक चक्र या पहिया देखा जिसमें एक नेमि है, तीन वृत्त हैं, सोलह सिरे या अन्त-भाग हैं, पचास अरें हैं, बीस प्रत्यरे हैं, छः अष्टक हैं, भिन्न-भिन्न रूपों का एक पाश है जिसके द्वारा तीन भिन्न-भिन्न मार्गों पर वह चालित होता है तथा उसके मोह के दो निमित्त हैं। The sages saw the wheel of Brahman, which has one felly, a triple tire, sixteen end-parts, fifty spokes with twenty counter-spokes and six sets of eight; which is driven along three different roads by means of a belt that is single yet manifold; and whose illusion arises from two causes. ( श्वेताश्वतरोपनिषद् १.४ ) #श्वेताश्वतरोपनिषद् #उपनिषद #ब्रह्म #चक्र
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read moreMDM THINK
कैसा ये चक्र दुनिया मे सब जिते है कोई हसता है कोई रोता है कोई सोता है कोई खाता है कोई खेलता है कोई गाता है कोई जितता है कोई हारता है कोई पैदा होता है कोई मरता है और भी कितना कुछ होता है इसके बावजुद इंसान जिते जिते ही खत्म होता है ये जीवन का कैसा चक्र हैं जिससे आज तक कोई समझ ना पाया हैं MDM THINK #poem #Life #nojoto #mdmthink #Poetry #Quote #story #THINK #JINDAGI #चक्र Vikas Kumar Thakur Sangita Gupta Rakesh Kumar Ray Tripti Rai Mukund Mohan