Find the Best सिन्हा Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutशत्रुघन सिन्हा की उम्र कितनी है, सिन्हा जाति क्या है, सिन्हा के विवाह गीत, शारदा सिन्हा के गाना, सिन्हा के गाना,
saurabh sinha
...ख़्वाब कितने भी बड़े रखो समझौता दिल का मत करना अपने बढ़ने के ख़ातिर किसी के नफरतों में मत पड़ना #सौरभ #सिन्हा कुछ पंक्तिया
कुछ पंक्तिया
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अपनों के साथ अपनापन होता है गैरों के साथ होती है दूरियां आज मिलना भी नहीं चाहते आपस में एक दूसरे से लोग ना जाने कैसी बन गई मजबूरियां (#सौरभ #सिन्हा) कुछ पंक्तिया अपनों के लिए
कुछ पंक्तिया अपनों के लिए
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अतुल्य दिव्य परिधान ............................................ खाकी वर्दी देश की होती शान ये होता अतुल्य दिव्य परिधान खतरों से भी जो ना डरे जनमानस के लिए हमेशा खड़े हमेशा करते अमन चैन का आव्हान खाकी वर्दी देश की होती शान ये होता अतुल्य दिव्य परिधान होली ,दशहरा, और कई त्योहार हमारी खुशियों का इनपर दारोमदार ऐसे देश के सेवक देख होता अभिमान खाकी वर्दी देश की होती शान ये होता अतुल्य दिव्य परिधान रचना:- #सौरभ #सिन्हा एक कविता खाकी वर्दी के लिए
एक कविता खाकी वर्दी के लिए
read moreMukesh Poonia
Story of Sanjay Sinha कल दिल्ली से गोवा की उड़ान में एक सरदारजी मिले। साथ में उनकी सरदारनी भी थीं। सरदारजी की उम्र करीब 80 साल रही होगी। मैंने पूछा नहीं लेकिन सरदारनी भी 75 पार ही रही होंगी। उम्र के सहज प्रभाव को छोड़ दें, तो दोनों फिट थे। सरदारनी खिड़की की ओर बैठी थीं, सरदारजी बीच में और सबसे किनारे वाली सीट मेरी थी। उड़ान भरने के साथ ही सरदारनी ने कुछ खाने का सामान निकाला और सरदारजी की ओर किया। सरदार जी कांपते हाथों से धीरे-धीरे खाने लगे। फिर फ्लाइट में जब भोजन सर्व होना शुरू
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Story of Sanjay Sinha कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह? वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं। अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम
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Story of Sanjay Sinha कल दफ्तर से छुट्टी थी। पत्नी ने सुबह ही पूछ लिया था कि संजय, तुम्हारा कोई प्रोग्राम तो नहीं है न? मैंने बिना कुछ सोचे समझे कह दिया था कि आज मैं एकदम फ्री हूं। कोई काम नहीं। मेरे मुंह से इतना निकलना था कि पत्नी खुश हो गई। कहने लगी कि आज तुम मेरा एक काम कर दो। तुम मेरे साथ शाम को मेरी सहेली अर्चना के घर चलना। “अर्चना के घर? मेरा क्या काम?” “अर्चना की शादी की बात करने। अर्चना दुविधा में है कि शादी करे या न करे। तुम उसे समझा सकते हो। तुम उसे समझा सकते हो कि उसे अब
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Story of Sanjay Sinha स्कूल में मास्टर साहब मुझे पढ़ाते थे कि सूरज की किरणें जो धरती पर पहुंचती हैं वो आठ मिनट पुरानी होती हैं। ऐसी बातों पर मुझे हैरान होना ही होता था। “आठ मिनट पुरानी? मतलब सूरज की जिस पहली किरण को हम यहां सुबह-सुबह देखते हैं, महसूस करते हैं, वो पहले घटी हुई घटना है?” “हां, पर तुम इतना चौंक क्यो रहे हो, संजय सिन्हा?”“सर, ये तो बहुत ही हैरान करने वाली जानकारी है। सूरज का अतीत हमारा वर्तमान है।”“बिल्कुल सही। इसे समय कहते हैं।” संजय सिन्हा थोड़ा समझते, थोड़ा उलझते। मैं अपन
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Story of Sanjay Sinha मुझे कोलकाता बुलाया गया है बोलने के लिए। अपनी कहानी सुनाने के लिए। वहां माइक होगा, स्पीकर होंगे, लोग होंगे। मैं ढेरों लोगों को अपनी कहानी सुनाऊंगा। मैं सभी को ये बताऊंगा कि इस संसार में कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता। हर किसी एक को किसी न किसी का साथ चाहिए होता है। मैं लोगों को बताऊंगा कि इस संसार मे तन्हाई से बढ़ कर कोई और सज़ा नहीं। संभव हुआ तो उन्हें वो कहानी भी सुनाऊंगा जिसे कुछ साल पहले मैंने जिया था। दिल्ली के पासपोर्ट दफ्तर में कार्यरत उस कर्मचारी की कहानी सुनाऊंगा,
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Story of Sanjay Sinha आज जब आप ये पोस्ट पढ़ रहे होंगे, तब तक मैं कोलकाता के लिए उड़ चुका होऊंगा। एक तो मैं वैसे ही कम सोता हूं, पर कोलकाता जाने के लिए मैं आज सुबह और जल्दी जग गया। मुझे कोलकाता बुलाया गया है बोलने के लिए। अपनी कहानी सुनाने के लिए। वहां माइक होगा, स्पीकर होंगे, लोग होंगे। मैं ढेरों लोगों को अपनी कहानी सुनाऊंगा। मैं सभी को ये बताऊंगा कि इस संसार में कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता। हर किसी एक को किसी न किसी का साथ चाहिए होता है।मैं लोगों को बताऊंगा कि इस संसार मे तन्हाई से बढ़ कर को
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Story of Sanjay Sinha कल दफ़्तर से निकलने के बाद मैं राजीव के घर चला गया था। राजीव मेरा दोस्त है। कई दिनों से सोचता-सोचता कल चला ही गया। राजीव ने मेरा खूब स्वागत किया। बहुत साल पहले हम दोनों साथ-साथ जिम जाते थे। फिर उसने नया फ्लैट खरीद लिया और वहीं शिफ्ट हो गया, तो हमारी मुलाकात कम होने लगी। कई दिनों से मिलने की सोच रहा था और कल मैंने फोन किया कि मैं आ रहा हूं। राजीव के घर मैं सबसे मिला। सिर्फ अंकल जी नहीं मिले। मैंने पूछा कि पापा कहां हैं, तो राजीव ने बताया कि आजकल अपने कमरे में
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