Find the Best समर्थ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutसमर्थ का मतलब, समर्थ का पर्यायवाची, तोचि एक समर्थ मराठी चित्रपट, तोचि एक समर्थ चित्रपट, एकदाच दर्शन द्या हो स्वामी समर्थ,
Mukesh Poonia
26 jan republic day गणतंत्र दिवस की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं! इस महत्वपूर्ण दिन पर हमें एक समृद्ध और समर्थ भारत की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लेना चाहिए। ©Mukesh Poonia #26janrepublicday #गणतंत्र #दिवस की आपको और आपके परिवार को #हार्दिक #शुभकामनाएं! इस महत्वपूर्ण दिन पर हमें एक #समृद्ध और #समर्थ #भारत की दिशा में मिलकर काम करने का #संकल्प लेना चाहिए।
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जिस व्यक्ति को खुद पर भरोसा होता है, वह दूसरों का भरोसा भी कायम रखने में समर्थ होता है। . ©Mukesh Poonia #friends जिस #व्यक्ति को #खुद पर #भरोसा होता है, वह दूसरों का भरोसा भी #कायम रखने में #समर्थ होता है।
Ek villain
आधी आबादी का सशक्तीकरण एक लक्ष्य मात्र नहीं आपूर्ति समानता सतत विकास शांति और लोकतंत्र के उपलब्ध है कि आप रहता तो नहीं है यदि महिला सशक्तिकरण केवल सेवर दैनिक प्रावधानों वैधानिक नियम और महिलाओं केंद्र की योजनाओं के निर्माण तथा पर्यावरण प्रतिकूल होता है तो गुस्सा वैश्विक पटल पर दर्शकों में खड़ा यह बर्तन कब का समाप्त हो चुका होता महिला सशक्तिकरण समानता की प्राप्ति विशेष पर निर्भर करती है कि भारतीय महिलाओं को सशक्तिकरण एक शब्द मात्र नहीं है आपूर्ति अवधारणा है जिसके मुख्य घटक स्वास्थ्य शिक्षा स्वयं बन और नेतृत्व क्षमता का विकास है स्वास्थ्य शिक्षा महिला ना केवल अपने अधिकारों के प्रति सजग रहती है आपूर्ति एक स्वस्थ पीढ़ी के निर्माण में अपना योगदान भी देती है स्वास्थ्य जीवन के प्रति केवल चिकित्सा सुविधाएं की उपलब्धि से संभव नहीं आई है स्वच्छ वातावरण के निर्माण से संभव है महिलाओं के सबलीकरण का द्वारा स्वच्छता पर आकर खुलता है इस सभ्यता को स्वीकारते 15 2014 के लाल किले की प्राचीर से हुई महिला सशक्तिकरण की ओर से स्वर्ण सुनाई देते हैं खुले में शौच से मुक्ति महिलाओं के स्वास्थ्य और आत्मसम्मान से प्रत्यक्ष रुप से संबंधित है ©Ek villain #समर्थ भारत में आधी आबादी का योगदान होगा #election
Krishna B. Gautam
#हैप्पीदीवाली अब हर घर में सुंदर दिये जलें भर- भरकर लोगों में खुशियाँ बटें किसान-मजदूर भी खुलकर हँसे भाईचारे की एक नई इबारत लिखे पटाखे नहीं, नफरतों का रूप जले भारत में एक ऐसी भी दिवाली मने दीवाली एक ऐसी भी।।।। #दीवाली #दीपावली #दीपोत्सव #प्रकाशोत्सव #त्योहार #प्यार #भाईचारा #अपने #पटाखे #फुलझड़ी #किसान #मजदूर #साम्प्रदायिकता #कृष्णा #समर्थ Missti Pandit Zara Siddiqui priya gautam priya puhup aman6.1
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
मज़बूर वैसे तो मेरी मजबुरियाँ ,यह करतुत कर देगी!,,,,,,सोचने को तुमको भी "मजबुर "कर देगी,,,,, मजबूरी वह वक्त होता है कि """जब हम समर्थवान होते ,हमारे पास सबकुछ होता है फिर भी हम कुछ नही कर पाते,,,, सबलता की दुर्बलता को मजबूरी कहते है,,, या जब हम समर्थ व शक्ति शाली होते उस वक्त"""मौके नही होते"""
मजबूरी वह वक्त होता है कि """जब हम समर्थवान होते ,हमारे पास सबकुछ होता है फिर भी हम कुछ नही कर पाते,,,, सबलता की दुर्बलता को मजबूरी कहते है,,, या जब हम समर्थ व शक्ति शाली होते उस वक्त"""मौके नही होते"""
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 1 - जिन्हें दोष नहीं दीखते 'आप निर्दोष हैं। आराध्य का आदेश पालन करने के अतिरिक्त आपके पास ओर कोई मार्ग नहीं था।' आचार्य शुक्र आ गये थे आज तलातल में। पृथ्वी के नीचे सात लोक हैं - अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल , रसातल और पाताल। इनमें तीसरा लोक सूतल भगवान् वामन ने बलि को दे रखा है। उसके नीचे अधोलोंको का मध्य लोक तलातल मायावियों के परमाचार्य परम शैव असुर-विश्वकर्मा दानवेन्द्र मय का निवास है। सुतल में बलि की प्रतिकूलता का प्रयत्न करने वाले असुर
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 17 - सात्विक त्याग कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन। संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।। (गीता 18।9)
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 3 - मा ते संगोस्त्वकर्मणि 'जीवन का उद्देश्य क्या है?' जिज्ञासा सच्ची हो तो वह अतृप्त नहीं रहती। भगवान की सृष्टि का विधान है कि कोई भी अपने को जिसका अधिकारी बना लेता है, उसे पाने से वह वंचित नहीं रखा जाता। 'आत्मसाक्षात्कार या भगवत्प्राप्ति?' उत्तर तो एक ही है। यही उत्तर उसे भी मिलना था और मिला - 'यह तो तुम्हारे अधिकार एवं रुचिपर निर्भर करता है कि तुम किसको चुनोगे। यदि तुम मस्तिष्कप्रधान हो तो प्रथम ओर हृदयप्रधान हो तो द्वितीय।'
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 5 – जीवन का चौराहा 'आप कुछ व्यस्त दीखते हैं!' देवर्षि ने चित्रगुप्त की ओर देखा। 'भगवन!' आतुरतापूर्वक अपनी लेखनी एवं अनन्त कर्मपत्र एक ओर रखकर उठे वे जीवों के कर्मों का विवरण
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 8 - निर्माता 'कनूँ ! क्या कर रहा है तू?' भद्र ने पूछा समीप आकर। उसे कुछ आहट लगी थी गोष्ठ में और यह देखने आ गया था कि यहाँ कौन क्या कर रहा है। गायें, वृषभ, बछड़े-बछडियाँ सब अभी-अभी चरने को गयी हैं। कोई सेवक या सेविका अभी गोष्ठ स्वच्छ करने आयी नहीं है। केवल सद्य:प्रसूता गाये हैं अपने बच्चों के साथ और वे गोष्ठ के एक भाग में हैं। गोमय, गोमूत्र, गायों के खा लेने से बची घास जो उनके खुरों से कुचली है, पूरे गोष्ठ में फैली है। गोष्ठ इस समय अस्वच्छ है। ऐसे समय गोष्ठ में कन्हाई चुपचाप घु
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