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lawkush verma student Verma

मनमोहक लाइन कालिका परसाद कवि द्वारादेहाती #अवधि#गोंडा

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Poetry with Avdhesh Kanojia

#अवधि #राम #शुभप्रभात #GoodMorning poetry #poem life निश्चय आपको सबु मिलै जो जो तुमहि सोहात। नित नव कीरति जश मिलै जब जब होय प्रभात।। ✍️अवधेश कनौजिया©

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शुभ प्रभात

निश्चय आपको सबु मिलै
जो जो तुमहि सोहात।
नित नव कीरति जश मिलै
जब जब होय प्रभात।। #अवधि #राम #शुभप्रभात #goodmorning #poetry #poem #life 

निश्चय आपको सबु मिलै
जो जो तुमहि सोहात।
नित नव कीरति जश मिलै
जब जब होय प्रभात।।

✍️अवधेश कनौजिया©

Mou$humi mukherjee

समय की सीमित सीमाओं से बाहर निकल कर सामने आई थी कि वह हो कहीं
मगर दूर तलक जायेगी और  अभी मेरी खोज रह गई बाकी
#अवधि  का सारांश

©inntzar Aaj bhi hain🍁 #experience #truth 

#moonlight

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 14 - कोप या कृपा 'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है। 'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
14 - कोप या कृपा

'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है।

'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

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