Find the Best स्रोत Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutऊर्जा के स्रोत क्या है, ऊर्जा के स्रोत पर निबंध, सिद्धियों के स्रोत कितने हैं, परम्परागत ऊर्जा स्रोत की परिभाषा, आंकड़ों के स्रोत हे,
karan BANSAL
पुस्तक स्रोत है ज्ञान का ज्ञान स्रोत है मान- सम्मान का # Pari Krishnamurthy Prabhakar Kumar Guriya Kumari Shailesh Kumar
# Pari Krishnamurthy Prabhakar Kumar Guriya Kumari Shailesh Kumar
read morePoetry with Avdhesh Kanojia
मेरी दृष्टि ✍️अवधेश कनौजिया© #मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है।
#मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है।
read moreDushyant Joshi
"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है तो वह भी देवतुल्य बन जाता है। विश्वास के जाग्रत होते ही आत्मा में छिपी हुई शक्तियां प्रस्फुटित हो उठती हैं। हमारे अंदर के श्रेष्ठ विचार महत्वपूर्ण कार्य के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसके विपरीत अपने प्रति अविश्वास से तो शक्ति के स्रोत सूख जाते हैं और लोग भंडार के होते हुए भी दीन तथा दरिद्र ही बने रहते हैं।" 🌹
कवि मनीष
एक नदि थी बह रही, उछलती,मचलती, धरती माँ की प्यारी राज-दुलारी, खेत-खलिहान को थी सींचती, एक नदि थी बह रही, सब कहते थें उसे स्रोत जीवन का, वो थी माँ गंगा, सबसे बड़ा स्रोत थी जो कृषक के मेहनत का, वो जीवन थी इस धरातल का, आज भी वो है बहती, पर कहीं ज़िन्दा कहीं मुर्दा है बहती, और हमसे ये है कहती, मैंने दिया तुमको जीवन और तुमनें मुझे बनाया एक चिता जलती, हमारे लिए जिस गंगा नें जीवन का द्वार था खोला, उस गंगा को पुनर्जीवित करनें का आज भी है पास हमारे मौका, बस अब इसे हम प्रदूषित न करें, और इसकी स्वच्छता में सबका साथ दें, आज वो नदि भी यही है चाह रही, एक नदि थी बह रही, उछलती-मचलती, धरती माँ की प्यारी,राज-दुलारी, खेत-खलिहान को थी सींचती, एक नदि थी बह रही #कविमनीष #NojotoQuote #कविमनीष
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