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Lotus banana (Arvind kela)
जब तक कोई व्यक्ति हमारे लिए #अन्य' या #भिन्न' व्यक्ति होता है, तब तक हम अपने भावों को भाषा के माध्यम से उस तक पहुँचाते हैं, लेकिन जैसे ही वह व्यक्ति हमारे लिए अन्य या भिन्न से #अनन्य' या #अभिन्न' हो जाता है, वैसे ही हमारी भाषा हमारे भाव के साथ जुड़ जाते हैं, हम आँखों और उँगलियों से भी अपने भाव व्यक्त करने लगते हैं .... भाषा में भाव हो या ना हो, किन्तु भाव की अपनी ही एक भाषा होती है, इसलिए जहाँ भाषा नहीं भाव की प्रधानता होती है वहीं 'आत्मीय' और 'प्रगाढ़' #सम्बन्ध होते हैं !!!!! ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ #alone
pandeysatyam999
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
read morePriya Gour
हिंदी दिवस वर्तमान में दुनिया के सारे देश अपनी मातृभाषा का प्रयोग अपने सारे औपचारिक,राजनीतिक और दैनिक कार्य में करते हैं केवल हमारा देश जो बाकी सब देशों की भाषाएं अपनाने पर लगा हैं। अपनी मातृभाषा का प्रभाव हमसे कम होता जा रहा है हां माना वर्तमान की आवश्यकता है अंग्रेजी या दूसरी अन्य देशों की भाषाएं ताकि हम सभी देशों से वार्तालाप आसानी से कर सके उनकी भाषाएं समझ सके जिससे देश और अपनी तरक्की के लिए भी अन्य भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को खोने नहीं देना चाहिए क्योंकि हमारे अलावा और कोई देश हिंदी का प्रयोग नहीं करते हैं हमे गर्व होना चाहिए अपनी मातृभाषा पर। हिंदी दिवस पर मेरी सबसे विनम्र अपील🙏है ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग करें। हाँ अन्य भाषाओं को सीखने और बोलने में कोई बुराई नहीं है,पर अपनी मातृभाषा को ना भूले। हम सभी यहां कहां से हैं किस जाति धर्म से हैं यह सब मायने नहीं रखता हम सब भारतीय हैं “हम सब एक हैं” हम इस भारतवर्ष का हिस्सा है और हमें अपनी मातृभाषा और मातृभूमि का हर हाल में सम्मान करना है किसी एक धर्म का समर्थन करने से अच्छा है आप इंसानियत धर्म का समर्थन कीजिए।🇮🇳 #HindiDiwas#मातृभाषा#हिंदी#मातृभूमि#भारतीय#Nojoto #Nojotohindi वर्तमान में दुनिया के सारे देश अपनी मातृभाषा का प्रयोग अपने सारे औपचारिक,राजनीतिक और दैनिक कार्य में करते हैं केवल हमारा देश जो बाकी सब देशों की भाषाएं अपनाने पर लगा हैं। अपनी मातृभाषा का प्रभाव हमसे कम होता जा रहा है हां माना वर्तमान की आवश्यकता है अंग्रेजी या दूसरी अन्य देशों की भाषाएं ताकि हम सभी देशों से वार्तालाप आसानी से कर सके उनकी भाषाएं समझ सके जिससे देश और अपनी तरक्की के लिए भी अन्य भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है, लेकिन
#Hindidiwas#मातृभाषा#हिंदी#मातृभूमि#भारतीय #nojotohindi वर्तमान में दुनिया के सारे देश अपनी मातृभाषा का प्रयोग अपने सारे औपचारिक,राजनीतिक और दैनिक कार्य में करते हैं केवल हमारा देश जो बाकी सब देशों की भाषाएं अपनाने पर लगा हैं। अपनी मातृभाषा का प्रभाव हमसे कम होता जा रहा है हां माना वर्तमान की आवश्यकता है अंग्रेजी या दूसरी अन्य देशों की भाषाएं ताकि हम सभी देशों से वार्तालाप आसानी से कर सके उनकी भाषाएं समझ सके जिससे देश और अपनी तरक्की के लिए भी अन्य भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है, लेकिन
read moreSweety Mamta
अक्सर कहती नही, पर महसूस करती है ये किताबे, हर रोज़ नयी उंगलियों के निशान ,हर रोज ये किताबे अपने पन्नो पर होने देती है स्पर्श , किसी अन्य उंगलियों से,,, इन किताबो का भी प्रेम निस्वार्थ है। कोई इन्हें प्रेम करे या ना करे , ये सबको एक नजरिये से ही मोह्हबत करती है।इसलिए
अक्सर कहती नही, पर महसूस करती है ये किताबे, हर रोज़ नयी उंगलियों के निशान ,हर रोज ये किताबे अपने पन्नो पर होने देती है स्पर्श , किसी अन्य उंगलियों से,,, इन किताबो का भी प्रेम निस्वार्थ है। कोई इन्हें प्रेम करे या ना करे , ये सबको एक नजरिये से ही मोह्हबत करती है।इसलिए
read moreKajalife....
जैसे इस प्रकृति की अन्य चीजें एक - दूसरे से प्रेम करती है , वैसा तुम मुझसे क्यों नही कर सकते ?? जैसे इस प्रकृति की अन्य चीजें खामोशी से एक दूसरे का साथ देतें हैं ,हर मुश्किल में एक - दूसरे के साथ भी रहते है ऐसा तुम मेरे साथ क्यों नही रहते ?? # साथ
# साथ
read moreshuny manthan
Success आत्म ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है। अन्य सारे सद्ज्ञान तो उस आत्म ज्ञान की ओर बढ़ने के साधन मात्र हैं। आत्म ज्ञान हो जाने पर मनुष्य को अन्य ज्ञानों की आवश्यकता नहीं रहती। #Success
मेरी आपबीती
गरीबी ©आराधना (अनुशीर्षक जरूर पढ़ें ) हम सब जानते है कि विकासशील देशों में बहुत ग़रीबी होती है ,रोजमर्रा की तरह बाजार गई थी तब ये दृश्य देख मेरा हृदय द्रवित हो उठा , अपना सब कुछ छोड़ छाड़ के पापी पेट के लिए कभी यहाँ तो कभी वहाँ इन लोगो को गुजारा करना पड़ता है । भारत देश में अब भी ऐसे कई सारे लोग है जो सड़कों पर रहकर अपना गुजारा कर लेते है । एक समय के भोजन के लिए पूरा दिन भीख मांगना , कठिन परिश्रम करना पड़ता है । उनके बच्चों का पाठशालाओ में दाखिला नही होता और उनकी इच्छा होते हुए भी वो पाठशाला जाने में असमर्थ है और जाते भी है तो छह महीने य
हम सब जानते है कि विकासशील देशों में बहुत ग़रीबी होती है ,रोजमर्रा की तरह बाजार गई थी तब ये दृश्य देख मेरा हृदय द्रवित हो उठा , अपना सब कुछ छोड़ छाड़ के पापी पेट के लिए कभी यहाँ तो कभी वहाँ इन लोगो को गुजारा करना पड़ता है । भारत देश में अब भी ऐसे कई सारे लोग है जो सड़कों पर रहकर अपना गुजारा कर लेते है । एक समय के भोजन के लिए पूरा दिन भीख मांगना , कठिन परिश्रम करना पड़ता है । उनके बच्चों का पाठशालाओ में दाखिला नही होता और उनकी इच्छा होते हुए भी वो पाठशाला जाने में असमर्थ है और जाते भी है तो छह महीने य
read moreManoj dev
कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म है आरक्षण मेरी कलम से---- आरक्षण दिवस पर विशेष----- हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए रखा की सदियों से शोषित एवं पीड़ित वर्ग के लोगों को समाज के अन्य वर्गों के समक्ष लाया जा सके। इस तथ्य से तो हम सब अवगत हैं पर आरक्षण का जो स्वरूप वर्तमान में है वह जासूसी उपन्यासों की तरह कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म बन गया है। जो जातियां ब्रिटिश काल में खुद को सवर्णों की श्रैणी का बताने में गर्व महसूस करती थी वही जातियां आज खुद को आरक्षण दिलाने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग या दलित शोषित करवाना
मेरी कलम से---- आरक्षण दिवस पर विशेष----- हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए रखा की सदियों से शोषित एवं पीड़ित वर्ग के लोगों को समाज के अन्य वर्गों के समक्ष लाया जा सके। इस तथ्य से तो हम सब अवगत हैं पर आरक्षण का जो स्वरूप वर्तमान में है वह जासूसी उपन्यासों की तरह कभी न खत्म होने वाला तिलिस्म बन गया है। जो जातियां ब्रिटिश काल में खुद को सवर्णों की श्रैणी का बताने में गर्व महसूस करती थी वही जातियां आज खुद को आरक्षण दिलाने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग या दलित शोषित करवाना
read morePnkj Dixit
#OpenPoetry 🇮🇳पं• चंद्रशेखर आजाद🇮🇳 🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳 पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल क
🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳 पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल क
read moreAmar Singh
अपनी मात्र भाषा हिंदी की वजाय किसी अन्य भाषाओं को उच्च और श्रेष्ठ समझना बिल्कुल वैसा ही है, जैसे अपनी माँ को माँ ना कहकर किसी अन्य की माँ को माँ कहना। अमर 'अरमान' भाव और भावनाओं की भाषा,हिंदी।
भाव और भावनाओं की भाषा,हिंदी।
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