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S K Sachin उर्फ sachit
मेरी नई पुस्तक ©S K Sachin उर्फ sachit #गजल#पुस्तक#हिन्दी
अदनासा-
अदनासा-
विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C2v758gPbrC/?igsh=bjYxczZlYXBlMm51 #हिंदी #किताब #पुस्तक #ज्ञान #अच्छादोस्त #सौरभद्विवेदी #प्रियमित्र #Instagram #Facebook #अदनासा
read moreकथायति
पुस्तक अगर हाथ में लो, तो अपना विवेक को भी साथ में लो । तब ही जीवन की शोभा बढ़ेगी। वरना सिर्फ पुस्तकों की अलमारी की शोभा बढ़ेगी ©कथायति #BooksBestFriends #पुस्तक #Nojoto #nojotohindi #Book #nojohindi
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read morePratibha Dwivedi urf muskan
*संवेदना या किताबी ज्ञान महत्वपूर्ण क्या??* किताबी ज्ञान से ज्यादा जरूरी है जीवन का व्यवहारिक ज्ञान..जिसे समझने के लिए व्यक्ति का संवेदनशील होना जरूरी है क्योंकि संवेदनाओं के बिना व्यक्ति को पढ़ना नामुमकिन है.. अगर पढ़ा-लिखा उच्च डिग्री धारी व्यक्ति समझदार होता ...तो देश दुनियाँ समाज, परिवार कहीं पर भी बँटवारा या अलगाव नही होता । आजकल हर घर में कोई एक तो पढ़ा-लिखा मिल ही जायेगा ... फिर भी घरों में महाभारत चालू है , तानों की छींटाकशी चालू है .. क्योंकि पढ़-लिखकर लोगों ने घर फोड़ना ही सीखा है । सिर्फ इसलिए क्योंकि वे संवेदना हीन हो गये हैं ।इनको धन की भाषा तो समझ आती है किन्तु मन की भाषा समझने में निरे मूर्ख हैं । *असल ज्ञानी वो होता है जो सबको जोड़कर रखता है ।* आजकल कहने को चार भाई हैं लेकिन हैं सब लावारिस ... बदकिस्मती से लावारिस सड़कों पर अकेले रहते हैं लेकिन आजकल की पढ़ी-लिखी जनता घरों में अकेली रहती है वो भी भरा पूरा परिवार होते हुए सिर्फ धन के लालच में ,तो हुए ना लावारिस,, घर बड़ा है और मर रहे अंत में प्यासे अकेले... सुनसान घर में,लास उठाने म्यूनिसिपैलिटी वाले आते हैं.. अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखों के यही हाल हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि उनकी संवेदनाएँ मर चुकीं हैं । जबकि किताबें गढ़ी इसलिए गई कि लोगों में मानवता आये .. लेकिन इनको पढ़कर लोग चालाकी सीख गये । जिससे धोखा देना , झूठ बोलना , जालसाजी करना इन्हें आ गया और संवेदनहीन हो गये । ✍️ प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान © सागर मध्यप्रदेश भारत ( 07 जुलाई 2023 ) #shabd #किताब #पुस्तक #ज्ञान #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचित #नोजोटो Anupriya Anshu writer Pallavi Srivastava Geeta Modi Neha
#shabd #किताब #पुस्तक #ज्ञान #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचित #नोजोटो Anupriya Anshu writer Pallavi Srivastava Geeta Modi Neha
read moreBenZil (बैंज़िल)
एक पुस्तक था मै, लोग पढ़ते गए और भूलते गए मेरा उनवान मेरा प्राक्कथन मेरा आभार पत्र मेरी अनुक्रमणिका और प्रथम शब्द भी जो मेरे प्रथम पृष्ठ की प्रथम पंक्ति का था! बाकी सब याद रहा उनको... ©BenZil (बैंज़िल) #Books #पुस्तक
Pratibha Dwivedi urf muskan
*ग्रंथ/पुस्तकें/किताब* किताबें तो बहुत पढ़ीं सबने, सब पढ़े-लिखे हो गये... मगर सीखा क्या???? चालबाज़ी मक्कारी,बेईमानी, झूठ ,कपट , निंदा... आपसी प्रेम भाईचारा, सद्भाव,देश प्रेम, ईश भक्ति भी उसी किताब में थी , लेकिन पढ़ना ही भूल गए... नतीजा क्या हुआ.. अपने ही भाई बहनों से लड़ते हो , घर को महाभारत का मैदान बना देते हो , धर्म के नाम पर देश में खून खराबा करते हो .... क्या इसीलिए पढ़ाई की थी??....ऐसी पढ़ाई व्यर्थ है। इससे अच्छा तो अनपढ़ होते... लानत है भई ऐसे पढ़े-लिखों पर जो अफसर तो बन गये लेकिन जिम्मेदार नागरिक न बन सके , घर के होनहार सुपुत्र/सुपुत्री न बन सके ... पढ़ लिख कर बूढ़े मां-बाप को अकेला छोड़ अपनी दुनियाँ में रम गए ... अपने ही वतन में घोटाला करके विदेशों में बसे गये ,अँग्रेजी में गिटपिट क्या करने लगे सनातन संस्कृति ही भूल गए !! घोर आश्चर्य की बात है इतने अच्छे ग्रंथों के होते हुए भी मानवता,अमन, शांति, शिष्टाचार, नैतिकता, सद्भावना धार्मिकता नहीं सीख सके ... लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश भारत ( 18 मई 2023 ) ©Pratibha Dwivedi urf muskan #kitaabein #किताबें #पुस्तक #ज्ञान #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचित #नोजोटो Ayesha Aarya Singh Vandana Mishra Shakuntala Sharma Ankita Tantuway Meenakshi Sharma
#kitaabein #किताबें #पुस्तक #ज्ञान #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचित #नोजोटो Ayesha Aarya Singh Vandana Mishra Shakuntala Sharma Ankita Tantuway Meenakshi Sharma
read moreSankranti
क्या मैं इतनी बुरी हूं.... पुस्तक सोई पुस्तकालय में बोली इतने दिन चुप रहने के बाद आज वो अपना मुंह खोली मुस्किल से कोई मुझे ले जाता है वो भी रख मुझे टेबल पर सामने मेरे सो जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं एक जगह रखे रखे थक जाती हूं एक बार भी तो वो मुझे खोलकर देख ले इसके लिए तरस जाती हूं जब वो बाहर जाता फोन साथ ले जाता जब वापस आता फोन में लग जाता वो तो मेरा ख्याल ही भूल जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं मददगार..., इतनी काम की हूं फिर भी क्यों लगती बेकार हूं कुछ तो देख मुझे अजीब सी शक्ल बनाते जैसे लिखा हो मुझमें ऐसा कुछ जिसे देख वो डर जाते क्या मैं इतनी बुरी हूं.... ©Sankranti #पुस्तक