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Neha Gupta
माँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे विद्या दायिनी, हंस वाहिनी हैं, सरस्वती मां वीणा लेकर हाथ में आई है, खुशियां के साथ कमल पुष्प पर विराजी सरस्वती माँ तू ही गीत की सागर है, तू ही सूर की दाता है, सरस्वती जी वीणावादिनी हैं। उनके वीणा वादन से संगीतमय जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है ************************************************** मानव द्वारा सरस्वती जी को पूजन सौभाग्य माना गया है। बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं, हैप्पी बसंत पंचमी. ***************************************************** कमल के लफ़्ज़ ©Neha Gupta या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिदैवै सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥' बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के पावन पर्व और ऋतुराज बसंत के आगमन हो गई है हार्दिक शुभकामनाएं सबको बधाई हो #kavita #Thoght_of_the_day #qutoes #SaraswatiPuja #sarawati_maa #puja #बसंत_पंचमी
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिदैवै सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥' बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के पावन पर्व और ऋतुराज बसंत के आगमन हो गई है हार्दिक शुभकामनाएं सबको बधाई हो #kavita #Thoght_of_the_day #qutoes #SaraswatiPuja #sarawati_maa #puja #बसंत_पंचमी
read moreTheHoelySaint
हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ। सुनो बात मेरी अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँ, बड़ी मस्त्मौला। नहीं कुछ फिकर है, बड़ी ही निडर हूँ। जिधर चाहती हूँ, उधर घूमती हूँ, मुसाफिर अजब हूँ। न घर-बार मेरा, न उद्देश्य मेरा, न इच्छा किसी की, न आशा किसी की, न प्रेमी न दुश्मन, जिधर चाहती हूँ उधर घूमती हूँ। हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ! जहाँ से चली मैं जहाँ को गई मैं – शहर, गाँव, बस्ती, नदी, रेत, निर्जन, हरे खेत, पोखर, झुलाती चली मैं। झुमाती चली मैं! हवा हूँ, हवा मै बसंती हवा हूँ। चढ़ी पेड़ महुआ, थपाथप मचाया; गिरी धम्म से फिर, चढ़ी आम ऊपर, उसे भी झकोरा, किया कान में ‘कू’, उतरकर भगी मैं, हरे खेत पहुँची – वहाँ, गेंहुँओं में लहर खूब मारी। पहर दो पहर क्या, अनेकों पहर तक इसी में रही मैं! खड़ी देख अलसी लिए शीश कलसी, मुझे खूब सूझी – हिलाया-झुलाया, गिरी पर न कलसी! इसी हार को पा, हिलाई न सरसों, झुलाई न सरसों हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ! मुझे देखते ही अरहरी लजाई, मनाया-बनाया, न मानी, न मानी; उसे भी न छोड़ा – पथिक आ रहा था, उसी पर ढकेला; हँसी ज़ोर से मैं, हँसी सब दिशाएँ, हँसे लहलहाते हरे खेत सारे, हँसी चमचमाती भरी धूप प्यारी; बसंती हवा में हँसी सृष्टि सारी! हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ! What does the air say? 👀 bachpan yaad aa gya :p #TheHoelySaint #Inkheart #thoughts #nojoto #nojotohindi #nojototales #hindi #wod #qanda #childhood #hawa #air #story #poem #poetry
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read moreअनुभव Gorakhpuriya
वो बारिश की कुछ बूंदे और खुशनुमा बसंत ऋतु का आगमन कितना सुंदर लगता है, जब खेतों की तरफ देखो तो चारों ओर बस हरे-हरे गेंहू के पौधे और पीले-पिले सरसों के फूल और उसपर मंडराते हुए भवरे जिसे देखकर मन खुशनुमा हो जाता है, पगडंडियों पर दौड़ना, सरसों के फूलों को तोड़ना, उसपर से भवरों को उड़ाना तितलियों को पकने की कोशिश करना, और घास चरते हुए जानवर पक्षियों के अंदर कुछ अलग ही जुनून पेड़ो पर नए-नए पत्ते, और हरे-भरे फूलों का खिलना कितना सुंदर लगता है। #NojotoQuote अच्छा लगता है #anubhavgorakhpuriya
अच्छा लगता है #anubhavgorakhpuriya
read moreRajesh Raana
सरसों फूली पिली पिली , गेहूं की बालियां सपनीली, पेंच दे रही ज़िन्दगी लेकिन , उड़ी अपनी पतंग रंगीली । (१) आओ मिलकर ख़ाब गिनाए, किसके ज्यादा किसके कम । उम्मीदों की डोरी से बंधकर, उड़े अपनी पतंग हरदम । (२) हैं ज़िन्दगी गर पथरीली , तो पत्थरचट्टा क्यों न उगाये । सबकी ख्वाहिश है फूलों की , हम तुम काँटो को रिझाये । (३) है धुंआ अगर ज़िन्दगी तो , इसको छल्लों में उड़ाए । है ज़िन्दगी अगर पतंग तो , सातवे आसमान पर उड़ाए । (४) जीवन सुखदुख भरी टोकरी , अपनी पसंद की खुशियां छाँटे । जिस तक न पहुँची है अब तक , उस तक त्योहारों के पल बांटे , आओ तिलगुड़ लड्ड़ू , गुझिया बांटे ।। (५) (आप सब स्नेहीजन को मकर संक्रांति , पोंगल , बिहू , लोहड़ी पर्व की हार्दीक हार्दीक शुभ कामनाएं ) मकर संक्रांति #सरसों फूली पिली पिली , #गेहूं की #बालियां #सपनीली, #पेंच दे रही #ज़िन्दगी लेकिन , #उड़ी अपनी #पतंग #रंगीली । (१) आओ मिलकर #ख़ाब गिनाए, किसके ज्यादा किसके कम ।
Nitish Sagar
छठ पूजा Read in caption👆 HAPPY CHHATH POOJA हम बिहारी ना तो दुर्गापूजा में ज्यादा खरीदारी करते हैं ना दिपावली में। हमसब छठ पूजा में खरीदारी करते हैं। छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा त्योहार है। ये अब बिहार में भी नहीं भारत देश के अलग-अलग हिस्सों में भी अब होने लगा है। देश की बात छोड़िए जनाब ये अब विदेशो में भी होने लगा है, जो बिहारी अपने गांव नहीं आ सकते वो जहां रहते हैं वहीं छठ पुजा मनाते हैं। जरूरी नहीं कि आप नदी, तालाब में ही छठ पुजा मनाओ। Swimming pool या एक छोटे से गड्ढे में पानी डालकर आप छठ पूजा कर सकते हैं। अगर आपके
HAPPY CHHATH POOJA हम बिहारी ना तो दुर्गापूजा में ज्यादा खरीदारी करते हैं ना दिपावली में। हमसब छठ पूजा में खरीदारी करते हैं। छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा त्योहार है। ये अब बिहार में भी नहीं भारत देश के अलग-अलग हिस्सों में भी अब होने लगा है। देश की बात छोड़िए जनाब ये अब विदेशो में भी होने लगा है, जो बिहारी अपने गांव नहीं आ सकते वो जहां रहते हैं वहीं छठ पुजा मनाते हैं। जरूरी नहीं कि आप नदी, तालाब में ही छठ पुजा मनाओ। Swimming pool या एक छोटे से गड्ढे में पानी डालकर आप छठ पूजा कर सकते हैं। अगर आपके
read moreAbhijeet
आइये घुमा रहा हूँ आपको शहर और गाँव में। फर्क है सिर्फ इतना, जैसे दोपहर और छावं में। है छटा बिखरी हुई गाँव का, सब अनमोल है। शहर का तो कुछ नहीं, यहाँ पर मीठे बोल है। ले मांथो पे टोकरी चलती है किसानों की टोलियां। तभी तो खेतो में लहलहाते है, गेहूँ की बालियाँ।
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