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KRISHNA
#उल्फत की #जंजीर से डर #लगता है कुछ #अपनी ही #तकदीर से #डर लगता है जो #जुदा करते हैं #किसी को किसी #से #हाथ की बस #उसी लकीर से #डर लगता #है 😭😭😭 ©KRISHNA
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं , तेरे हिज़्र में दिन और रात का गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते ज़िक्र तेरा आज भी हैं , ऐसे भी इस रुसवाई में ना जिये भला तो क्या करें , मलाल हैं अब तेरे बाद मलाल अब कुछ भी ना रह जायेगा , तिश्नगी हैं अब मलाल कुछ भी तेरे बगैर मलाल कुछ भी नहीं रह जायेगा , रूह-ए-ख़्वाबीदा हूं जाने कब से इस उल्फत में तुझे मेरा ख्याल जाने कब आयेगा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,
*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,
read moreAmbika Mallik
उल्फ़त उल्फ़त इबादत है ,रुह में उतर जाएगी। कभी आजमाना नहीं ये बिखर जाएगी। हर किसी से सौदा होता नहीं इश्क का, पुर्व जन्म की इनायत है जिंदगी संवर जाएगी। अम्बिका मल्लिक ✍️ ©Ambika Mallik #उल्फत 0 Anil Ray वंदना .... Rameshkumar Mehra Mehra Gyanendra Kumar Pandey एक अजनबी NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Anshu writer Niaz (Harf) Bhardwaj Only Budana Andy Mann vineetapanchal Aditya kumar prasad Disha Kirti Pandey Bhavana kmishra poonam atrey Raj Guru Gulshan_Dwivedi Rakesh Srivastava R K Mishra " सूर्य " Kushal - कुशल Umme Habiba प्रज्ञा Poonam Suyal Lalit Saxena meri_diary(R*) कवि संतोष बड़कुर
#उल्फत 0 Anil Ray वंदना .... Rameshkumar Mehra Mehra Gyanendra Kumar Pandey एक अजनबी NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Anshu writer Niaz (Harf) Bhardwaj Only Budana Andy Mann vineetapanchal Aditya kumar prasad Disha Kirti Pandey Bhavana kmishra poonam atrey Raj Guru Gulshan_Dwivedi Rakesh Srivastava R K Mishra " सूर्य " Kushal - कुशल Umme Habiba प्रज्ञा Poonam Suyal Lalit Saxena meri_diary(R*) कवि संतोष बड़कुर
read moreparas Dlonelystar
गर नहीं याद कीसीको उल्फत शराफत है हर साँस ही तलब गर धुआं हो पर जले न कोई हाँ शायद वही है नाम मोहब्बत ©paras Dlonelystar #addiction #parasd #उल्फत #धुआं
#addiction #parasd #उल्फत #धुआं
read moreSamEeR “Sam" KhAn
ऐ इश्क़ ये सब दुनिया वाले बेकार की बातें करते हैं पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार की बातें करते हैं हर दिल में छुपा है तीर कोई हर पाँव में है ज़ंजीर कोई पूछे कोई इन से ग़म के मज़े जो प्यार की बातें करते हैं उल्फ़त के नए दीवानों को किस तरह से कोई समझाए नज़रों पे लगी है पाबंदी दीदार की बातें करते हैं भँवरे हैं अगर मदहोश तो क्या परवाने भी हैं ख़ामोश तो क्या सब प्यार के नग़मे गाते हैं सब यार की बातें करते हैं ©SamEeR “Sam" KhAn #उल्फत #पायल #इश्क
Shubham Bhardwaj
उल्फत के चिरागों को,हरदम जलाये रखना। आयेंगे हम जरूर, बस महफिल सजाये रखना।। ©Shubham Bhardwaj #chaandsifarish #उल्फत #के #चिराग #को #हर #पल #जला
अर्पिता
उल्फ़त में हैं ये जिन्दगी, समझ भी नहीं आ रहा, और समझाने भी नहीं आ रहा, पता नहीं क्या होता जा रहा हैं। कोई कह नहीं पा रहा, कोई सुनना चाह रहा, यह उलझन है या सुलझ रहा, पता नही क्या होता जा रहा। दिख सभी को सब रहा, पर जताना कोई नहीं चाह रहा, उल्फ़त में है ये जिन्दगी, पता नही क्या होता जा रहा।। ©अर्पिता #उल्फत
Rabindra Kumar Ram
" अब जहाँ जिस हालाते-ए-हिज्र में मैं रहू, बस दस्तूरे-ए-इश्क़ अब कुछ भी हो मैं सिर्फ और सिर्फ तेरा मैं रहू, कुछ शिकायते दिल से लगा के बैठ भी जाऊ तो क्या, इतनी उल्फत नागवार ना होगी कहीं जिस आसार से तुझे चाहता मैं रहूं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " अब जहाँ जिस हालाते-ए-हिज्र में मैं रहू, बस दस्तूरे-ए-इश्क़ अब कुछ भी हो मैं सिर्फ और सिर्फ तेरा मैं रहू, कुछ शिकायते दिल से लगा के बैठ भी जाऊ तो क्या, इतनी उल्फत नागवार ना होगी कहीं जिस आसार से तुझे चाहता मैं रहूं . " --- रबिन्द्र राम #हालाते-ए-हिज्र #दस्तूरे-ए-इश्क़
Rabindra Kumar Ram
" चल उसे एकदफ़ा एकतलाह कर तो दू, मैं हु तेरे शहर में तुझे खबर कर तो दू, रंजिशों का क्या कुछ कब क्या कर जाऊ, मुझे अभी उल्फत के कुछ और सलीके सिखने हैं " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " चल उसे एकदफ़ा एकतलाह कर तो दू, मैं हु तेरे शहर में तुझे खबर कर तो दू, रंजिशों का क्या कुछ कब क्या कर जाऊ, मुझे अभी उल्फत के कुछ और सलीके सिखने हैं " --- रबिन्द्र राम #एकतलाह #शहर #खबर #रंजिशों #उल्फत #सलीके