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Jorwal
White कर रहा हूँ कौशिश,स्व को अपनाने की, खुद ही को खुद के सांचे मे ढाल रहा हूँ मै। रोज उठता हूँ,खुद की ठोकर से गिराया, कहने को सब संभाल रहा हूँ मैं।। ©Jorwal #Night #निज MODERATOR NJT05 Praveen Storyteller Anshu writer Santosh Narwar Aligarh Er.ABHISHEK SHUKLA
संजीव चाहर
Nojoto अपने अनुभवों को निज अनुभव कहकर *संजू* कब तक भ्रम मैं पालूंगा...? क्यूंकि निज अनुभवों को लिखने के लिए किसी न किसी भाषा का *संजू* सहारा तो जरूर लूंगा...?? मैंने सोचा *संजू* कोई नया गीत मैं गा लूंगा, गुनगुना लूंगा...? पर उसके लिए भी तो परचलित शब्दों को ही चुनूंगा...?? ईक मौन ही है *संजू* जो मेरा निजी हो सकता है। बाकी तो कण-कण इस ब्रह्मांड में सब जीव-जगत के लिए समान रुप से व्याप्त है।।🙏🧘🏻♂️ ©संजू #निज #अनुभव #WForWriters
manav raj(मानव)
आओ करे मातृ वन्दना निज मे शक्ति संचार करे। खुद को जाने खुद को साधे अन्तस का सृंगार करे। हम हे मनुज हम ईश अनुज खुद को जाने अभिमान करे छल छिद्र कपट को त्याग,मन के शोधन का ध्यान धरे।। आओ करे मातृ वन्दना निज में शक्ति संचार करे । *माँ *
*माँ *
read moreADARSH SAHU
लाख बड़े हो जाओ लेकिन कभी गुमान न करना तुम। हर ऊंचाई चढ़ते जाओ पर अभिमान ना करना तुम॥ जिसका धन ज्ञान परिश्रम और वक्त लगा तेरे होने में। उस अपने एक-एक खुदाया का अपमान न करना तुम॥ इल्म़ बढ़ाओ हुनर बढ़ाओ धन यश वैभव सब विकसाओ। जीवन में जो भी हो अपेक्षित वह सारे सुख साधन पाओ॥ लाख बड़े हो जाओ लेकिन मन में क्लेश न रखना तुम। उस अपने एक-एक खुदाया का अपमान न करना तुम॥ जो भी तुम पाते हो जग में तेरा केवल नहीं है इसमें। जाने किस-किसका रक्त लगा है तेरी हर एक सफलता में॥ उस रक्त की हर एक बूंद का प्यारे कर्ज नहीं भूलाना तुम। उसे अपने एक-एक खुदाया का अपमान न करना तुम॥ माता ने तुम्हें जन्म दिया है माँ धरती के रज पोषित हो। पिता का श्रम स्नेह लगा है और समाज से शिक्षित हो॥ धरती पर जहां भी जाओ निज मिट्टी को न भुलाना तुम। उस अपने एक-एक खुदाया का अपमान न करना तुम॥ मात-पिता गुरु भाई बंधु और स्नेही का मान सदा रखना। मिले दुखि या पीड़ित शोषित उसका ध्यान सदा रखना॥ निज राष्ट्र की उन्नति का परचम सारे जग में फहराना तुम। उस अपने एक-एक खुदाया का आपमान करना तुम॥ आदर्श साहू.....©
Kavi Swaroop Dewal Kundal
महर कर तूं मावड़ी मम दुःख करो निदान डाढी वाळी डोकरी सुत थारो अनजान कृपा कर कनियाण भव सागर दुख भंजना बाळो भोळो बाळ मैया चरण करूँ मैं वंदना रात दिन ध्यावों सकळ निश दिन राखों नेम निज सुत रह्यो मझधार में करनल भूल्या केम किरपा कर मुझ दीन पर दरशन दिज्यो आय ध्यावूं तुझ दिन रात करनल करजो सहाय चिन्ता मेटो चारणी निज मन म्हारी माय सुत थारो "स्वरूप" माँ थारा ही गुण गाय माँ करणी
माँ करणी
read moreVishal Parihar
मै निज उर के उदगार लिए फिरता हूँ मै निज उर के उदगार लिए फिरता हूँ है,यह अपूण॔ संसार न भाता मुझको मैं सपनो का संसार लिए फिरता हूँ #Angel
Shivam
पंदरह बाद के कृष्ण पक्ष के दिवस घूम के जब आएं पंदरह अंधियारी रातों में चाँद रहे पर गुम जाए निशा *पञ्चदश चाँद पे वो कितनी भारी होती होंगी पंदरह ही होती हैं पर कितनी सारी होती होंगी पंदरह उजली रातों में भी वो कितना खुश रहता है, सबने खुद से सोच लिया ना किसी ने उससे पूछा है माना चमक, चाँदनी, कई आकार का वो हो सकता है पर चमक, चाँदनी, शोहरत से कोई कितना खुश हो सकता है ? (पूरी कविता कैप्शन में।) #RDV19 पंदरह दिन पंदरह दिन जब चाँद विश्व में खूब चमकता भ्रमण करे, पंदरह दिन जब चाँद चांदनी पे निज अपनी घमंड करे पंदरह दिन जब अपनी कलाओं में खुद ही गोते खाए पंदरह दिन जब करे किसानी, जोते-खाए, खुशी उगाए
#RDV19 पंदरह दिन पंदरह दिन जब चाँद विश्व में खूब चमकता भ्रमण करे, पंदरह दिन जब चाँद चांदनी पे निज अपनी घमंड करे पंदरह दिन जब अपनी कलाओं में खुद ही गोते खाए पंदरह दिन जब करे किसानी, जोते-खाए, खुशी उगाए
read moreNisha khan
औरत को कोमल कहने वालों सुनलो मेरी बात, आओ आज तुम्हें बतलाऊं औरत की औकात। यदि औरत कोमल होती तो,प्रसव की पीड़ा कैसे सहती, अंतरिक्ष तक न वो पहुंचती घूंघट में सिमटी रहती, इंदिरा सी बन कर न करती वो देश पे बरसों राज। हाथों में तलवार थामकर न वो अंग्रेजों से लङती, निज सतीत्व की रक्षा हेतु,पद्मावती सा जोहर न करती, पन्ना बन निज सूत का ही न करती बलिदान। शब्दों में ही देखलो अंतर,नारी नर पर भारी है, राधा-श्याम और सिता-राम में भी,औरत की पहली बारी है नारी बिना न पूरी होती मर्दोंकी ये जात। औरत को बस देह न समझो,वो तो एक चिंगारी है इज्ज़त दो तो जान लूटा दे,वर्ना सिंघनी बन दहाङी है।
Shivam Pandey
माँ जैसी सरल है हिंदी, आधुनिकता में खोते मानव पर रवि उत्तम हो जाती है। निज संस्कृति से सुंदर पर संस्कार रम जाती है। निज परंपरा भूल स्वयं को पाश्चात्य तरफ ले जाते हैं। संस्कृति रुदन करती है पर हम खुश हो जाते हैं। वैदिकता पर जीते हैं तो संस्कृति तरुण हो जाती है। पर पश्चिमी जीवनशैली में भाषा गुम हो जाती है। #Hindidiwas #myhindi
Rahul tiwari
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। #हिंदी_दिवस हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
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