Find the Best मोटर Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutबैठ जा मोटर में, बैठूंगी मोटर कार में, मंगाती मोटर का जोड़ीदार, विद्युत मोटर का सिद्धांत, मोटर प्रयोग,
puja udeshi
मोटर नहीं तो क्या हुआ क़ोई गम नहीं अपनी साइकिल ही अच्छी हैं ना पेट्रोल खाती हैं ना एक्सीडेंट करवाती हैं पैरो से चलती हैं मौज करवाती हैं 😂 ©Puja Udeshi #मोटर #POOJAUDESHI
Vijendra Bajiya
एक कहानी अपनी सी बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया .. इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ... जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है .....
एक कहानी अपनी सी बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया .. इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ... जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है .....
read morericket
गाढ़ी मोटर चलते हैं रोड पे गाड़ी मोटर चलते हैं रोड पे लड़किया धोखा देती हैं फ़ोन पे गाढ़ी मोटर चलते हैं रोड पे
गाढ़ी मोटर चलते हैं रोड पे
read moreRiyaz Ahmad(उत्साही)
कटेगा चालान तो आएंगी पापा की परियाँ भी ज़द में यहाँ सिर्फ अब्बा के हरामखोरो के पास ही स्कूटर थोड़ी हैं #मोटर वाहन एक्ट😮# #NojotoQuote # follow me on nojoto
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read moreआवारा ✍️Think
#OpenPoetry उलझन तो उस दिन भी क्लच और ब्रेक में बहुत आयी थी, पेडल की जगह गेयर ने ली थी, फिर मैंने चाबी घुमाई थी। उस समय मानो दिमाग के दो हिस्से थे, इक में जोश भरा तो दूसरे में डर की गहराई थी। हाथ काप रहा था और पैर जमीं को नाप रहे थे, मानो मेरी खुद से ही लड़ाई थी। बैठ कर डरने से अच्छा, जाने कहा से मुझमें कुछ करने की हिम्मत अाई थी। फिर मैंने कलच दवाया, मोटर साइकिल को सेल्फ स्टार्ट दिया। एक्सीलेटर घुमाया और धीरे धीरे क्लच को भी आराम दिया। भागी फिर मोटर साइकिल मेरी, पहली बार कितनी ही लड़खड़ाई थी। थोड़ी आड़ी, थोड़ी तिरछी, मैंने ऐसे पहली बार मोटर साइकिल चालाई थी।। #OpenPoetry #motorcycle #himmat #story
#OpenPoetry #motorcycle #himmat #story
read moreChandna Gusain
#OpenPoetry घ्याल मच्युं यख मन्ख्युं कु , भिबडाट च मोटर कारु कु घ्याल मच्युं यख मन्ख्युं कु , भिबडाट च मोटर कारु कु.! तेरी मयलु बँसुरी बौण भुलु . नीच युं शहरु बजारु कु जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा , जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा . तेरु गौं देखणु होलु तेरु बाटु , रमणा होला गोर डांडो मा तेरु गौं देखणु होलु तेरु बाटु , रमणा होला गोर डांडो मा.! खोजणा होला त्वेथे तेरा अपडा , तु कख अलझी यख कांडो मा.! यख रिश्ता नाता नी मन्दु क्वी. हो ओ होओओओओओओओ यख रिश्ता नाता नी मन्दु क्वी , बस नजर च गेडी गाँठयूं मा जा लौट जा डांडी काठ्युं मा. , जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!! . को मलासलु लाटा मुन्डी तेरी , को पेलु भुकी चोंठी पकडी को मलासलु लाटा मुन्डी तेरी , को पेलु भुकी चोंठी पकडी.! क्वी नी सुणदु खैरी केकी , लिजा अपडी पीडा अफु दगडी खोटी हैंसी हैंसदन बैर ,,,,,,,,,,,,,,, होओ ओहहहहह खोटी हैंसी हैंसदन बैर , छन पित्त पक्याँ यख जिकुड्यु मा जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा. , जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!! . छन लोग कमाणा दिन रात , नी बगत द्वी गप्पा खाणा कु छन पलंग बिछ्यां यख कमरों मा , नी टेम घडेकु सीणा कु .! हर्च्युं चा दिनु कु चैंन भुलु ,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,होओ ओहहहह हर्च्युं चा दिनु कु चैंन भुलु , बिरडी चा नींद यख रात्युं मा जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा. जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!! . वो मयलु पराण वा मनख्यत , नी राई यखे हव्वा पाणी मा वो मयलु पराण वा मनख्यत , नी राई यखे हव्वा पाणी मा.! यख मनखी मशीन व्हेगे भुल्ला , दिन रात च खैंचा ताणी मा क्या सोची ऐ तु यख लाटा ,,,,, ,,,,,,,,,,,होओ ओहहहहहह क्या सोची ऐ तु यख लाटा ,, त्वे लोग बैठाला आँख्युं मा जा लौट जा डांडी कांठ्यूं मा. जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!! . गीत :- नरेंद्र सिंह नेगी जी . ... एल्बम :- छिबड़ाट , #जालोटिजा_डांडी_काठयो_मा
Madan Pal
बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया .. इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ... जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है ..... आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था .... जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे ... मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी .... पता तो चले कितना माल छुपाया है ..... माँ से भी ... इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को.. जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है .... मैंने जूता निकाल कर देखा ..... मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था ... जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था .. और मुझे जाना ही था घर छोड़कर ... जैसे ही कुछ दूर चला .... मुझे पांवो में गिला गिला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था .... पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था ..... जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी ..... मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये .... मैंने पर्स खोला, एक पर्ची दिखाई दी, लिखा था.. लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ? दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा था उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना ...... ओह....अच्छे जुते पहनना ??? पर उनके जुते तो ...........!!!! माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो ... और वे हर बार कहते "अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे .." मैं अब समझा कितने चलेंगे ......तीसरी पर्ची .......... पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये ... पढ़ते ही दिमाग घूम गया..... पापा का स्कूटर ............. ओह्ह्ह्ह मैं घर की और भागा........ अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी .... मैं घर पहुंचा ..... न पापा थे न स्कूटर .............. ओह्ह्ह नही मैं समझ गया कहाँ गए .... मैं दौड़ा ..... और एजेंसी पर पहुंचा...... पापा वहीँ थे ............... मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया .. .....नहीं...पापा नहीं........ मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल... बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है.. वो भी आपके तरीके से ...।। "माँ" एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है... और "पापा" एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है.... . Always Love Your Parents💕 https://bit.ly/dpstatus
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 12 - प्रार्थना का प्रभाव 'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।' इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।
read moreLokesh gangwar SI
https://youtu.be/TrX2L4h4GC0 मैं जो इधर से चला जा रहा था बो भी उधर से चली आ रही थी बो झुक_झुक दुपट्टा उठाने का आलम बो रुक_रुक के गाड़ी चलाने का आलम शराफ़त मोहब्बत शराफत जबानी गजब कर रहा था दुपट्टे का रंग भी जिसे देखकर कर मैं चकरा गया था
https://youtu.be/TrX2L4h4GC0 मैं जो इधर से चला जा रहा था बो भी उधर से चली आ रही थी बो झुक_झुक दुपट्टा उठाने का आलम बो रुक_रुक के गाड़ी चलाने का आलम शराफ़त मोहब्बत शराफत जबानी गजब कर रहा था दुपट्टे का रंग भी जिसे देखकर कर मैं चकरा गया था
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