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SarkaR
White इश्क जाहिर करना हर बार जरूरी नहीं कभी कभी धड़कने हर सवाल का जवाब देती है ©SarkaR #जाहिर
Rabindra Kumar Ram
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम #हक़ीक़त #फ़साना #हिज़्र #तिजारत #तसव्वुर #दहलीज #जाहिर
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम #हक़ीक़त #फ़साना #हिज़्र #तिजारत #तसव्वुर #दहलीज #जाहिर
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" मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो मिला जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्तियार करें , मुहब्बत की बात है फिर मुहब्बत की कौन सी बात करें . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो मिला जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्तियार करें , मुहब्बत की बात है फिर मुहब्बत की कौन सी बात करें . " --- रबिन्द्र राम #हिसाब #जाहिर #गुप्तगू #रंजूर #शक्ल #इख्तियार #मुहब्बत
Rabindra Kumar Ram
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
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" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम
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" क्या बताऊं की जाहिर करु जो दस्तरस रहा हूं मैं , ये माएल ही है तेरा जो क़दर तेरे जुस्तुजू रहा हूं मैं , बेशक तु बेखबर रहीं हाले-ए-दिल से तु वाकिफ हुआ करती थी , आज भी तेरे मुंतज़िर का अब ताबीर बना बैठा सा हूं कभी हलाते-ए-हिज्र और हुआ करती थी " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " क्या बताऊं की जाहिर करु जो दस्तरस रहा हूं मैं , ये माएल ही है तेरा जो क़दर तेरे जुस्तुजू रहा हूं मैं , बेशक तु बेखबर रहीं हाले-ए-दिल से तु वाकिफ हुआ करती थी , आज भी तेरे मुंतज़िर का अब ताबीर बना बैठा सा हूं कभी हलाते-ए-हिज्र और हुआ करती थी " --- रबिन्द्र राम #जाहिर #दस्तरस #माएल #जुस्तुजू #हाले-ए-दिल #हलाते-ए-हिज्र #मुंतज़िर #ताबीर
" क्या बताऊं की जाहिर करु जो दस्तरस रहा हूं मैं , ये माएल ही है तेरा जो क़दर तेरे जुस्तुजू रहा हूं मैं , बेशक तु बेखबर रहीं हाले-ए-दिल से तु वाकिफ हुआ करती थी , आज भी तेरे मुंतज़िर का अब ताबीर बना बैठा सा हूं कभी हलाते-ए-हिज्र और हुआ करती थी " --- रबिन्द्र राम #जाहिर #दस्तरस #माएल #जुस्तुजू #हाले-ए-दिल #हलाते-ए-हिज्र #मुंतज़िर #ताबीर
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" यूं ताल्लुक़ात कुछ जाहिर तो हो कहीं गैर-इरादतन , बात बेशक ना हो बात कुछ तो हो इस गमें-ए-रुसवाई में , मिलने - मिलाने का सिलसिला फिर कुछ यूं चल पड़ेगा , फ़कत जैसे की हमी हो सब के सब हमनवाई में . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं ताल्लुक़ात कुछ जाहिर तो हो कहीं गैर-इरादतन , बात बेशक ना हो बात कुछ तो हो इस गमें-ए-रुसवाई में , मिलने - मिलाने का सिलसिला फिर कुछ यूं चल पड़ेगा , फ़कत जैसे की हमी हो सब के सब हमनवाई में . " --- रबिन्द्र राम #ताल्लुक़ात #जाहिर #गैर-इरादतन #गमें-ए-रुसवाई #सिलसिला #फ़कत #हमनवाई
Rabindra Kumar Ram
" कटने को कट तो जायेंगे मेरे दिन इसी ख़याले-ए-हिज्र, बात जितनी जाहिर की जा सकती बताई हैं मैंने तेरे उलफ़ते-ए-हयात से , इक उम्र का आरसा गुजारी हैं मैंने तेरे बगैर, इक्तेफ़ाक से बाकी की और उम्र गुजार देंगे इसी ख़याले-ए-हिज्र में. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कटने को कट तो जायेंगे मेरे दिन इसी ख़याले-ए-हिज्र, बात जितनी जाहिर की जा सकती बताई हैं मैंने तेरे उलफ़ते-ए-हयात से , इक उम्र का आरसा गुजारी हैं मैंने तेरे बगैर, इक्तेफ़ाक से बाकी की और उम्र गुजार देंगे इसी ख़याले-ए-हिज्र में. " --- रबिन्द्र राम #ख़याले-ए-हिज्र #जाहिर #उलफ़ते-ए-हयात #उम्र
Rabindra Kumar Ram
" इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. " --- रबिन्द्र राम #इश्क़ #सलिके #इख्तियार
Raja Kumar
जो जाहिर करना पड़े वो दर्द कैसा और जो दर्द ना समझ सके वह हमदर्द कैसा ©Raja Kumar #जो#जाहिर#करना#पड़े