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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 7 - निष्ठा की विजय 'मैं महाशिल्पी को बलात्‌ अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
7 - निष्ठा की विजय

'मैं महाशिल्पी को बलात्‌ अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 7 - सब में भगवान 'हम कहाँ जा रहे हैं?' सभी के मन में यही प्रश्न था। सभी के मुख सूख गये थे। वे दुर्दान्त, निसर्गतः क्रूर दस्यु, जिन्होंने कभी किसी की करुण प्रार्थना एवं आर्त चीत्कार पर दया नहीं दिखायी, आज़ इस समय बार-बार पुकार रहे थे - 'या खुदा! या अल्ला!' दस्युपोत था वह। उन्होंने रात्रि के अन्धकार मॅ सौराष्ट्र के एक छोटे ग्राम पर आक्रमण किया। बडी निराशा हुई उन्हें। पता नहीं कैसे उनके आक्रमण का अनुमान ग्रामवासियों ने कर लिया था। पूरा ग्राम

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
7 - सब में भगवान

'हम कहाँ जा रहे हैं?' सभी के मन में यही प्रश्न था। सभी के मुख सूख गये थे। वे दुर्दान्त, निसर्गतः क्रूर दस्यु, जिन्होंने कभी किसी की करुण प्रार्थना एवं आर्त चीत्कार पर दया नहीं दिखायी, आज़ इस समय बार-बार पुकार रहे थे - 'या खुदा! या अल्ला!'
दस्युपोत था वह। उन्होंने रात्रि के अन्धकार मॅ सौराष्ट्र के एक छोटे ग्राम पर आक्रमण किया। बडी निराशा हुई उन्हें। पता नहीं कैसे उनके आक्रमण का अनुमान ग्रामवासियों ने कर लिया था। पूरा ग्राम

Mo k sh K an

आँखों में कितने अरमान ले कर शहादत की राह को उसने चूमा होगा और आज भगत सिंह यह सोचता होगा कि वो राह यहाँ आती थी!! सतलज बंट गई चनाब छंट गई ननकाना साहेब सरहद से दूर है

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आँखों में कितने अरमान ले कर 
शहादत की राह को उसने चूमा होगा
और आज भगत सिंह यह सोचता होगा 
कि वो राह यहाँ आती थी!! 

सतलज बंट गई 
चनाब छंट गई 
ननकाना साहेब सरहद से दूर है

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 7 - सब में भगवान 'हम कहाँ जा रहे हैं?' सभी के मन में यही प्रश्न था। सभी के मुख सूख गये थे। वे दुर्दान्त, निसर्गतः क्रूर दस्यु, जिन्होंने कभी किसी की करुण प्रार्थना एवं आर्त चीत्कार पर दया नहीं दिखायी, आज़ इस समय बार-बार पुकार रहे थे - 'या खुदा! या अल्ला!' दस्युपोत था वह। उन्होंने रात्रि के अन्धकार मॅ सौराष्ट्र के एक छोटे ग्राम पर आक्रमण किया। बडी निराशा हुई उन्हें। पता नहीं कैसे उनके आक्रमण का अनुमान ग्रामवासियों ने कर लिया था। पूरा ग्राम जन शुन्य था। भवनों के द्वार खुले पड़े थे।

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|| श्री हरि: ||
7 - सब में भगवान

'हम कहाँ जा रहे हैं?' सभी के मन में यही प्रश्न था। सभी के मुख सूख गये थे। वे दुर्दान्त, निसर्गतः क्रूर दस्यु, जिन्होंने कभी किसी की करुण प्रार्थना एवं आर्त चीत्कार पर दया नहीं दिखायी, आज़ इस समय बार-बार पुकार रहे थे - 'या खुदा! या अल्ला!'
दस्युपोत था वह। उन्होंने रात्रि के अन्धकार मॅ सौराष्ट्र के एक छोटे ग्राम पर आक्रमण किया। बडी निराशा हुई उन्हें। पता नहीं कैसे उनके आक्रमण का अनुमान ग्रामवासियों ने कर लिया था। पूरा ग्राम जन शुन्य था। भवनों के द्वार खुले पड़े थे।

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