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कलम की दुनिया
तुम कहती हो, तुम पुरुष से नफरत करती हो न तो जो तुम्हारे बिना कहे तुम्हारी आंखों की आंसू को समझ लेता था वो तुम्हारा पिता, एक पुरुष ही है न तुम कहती हो तुम पुरुष से नफरत करती हो न तो जो तुमसे झगड़ा करता था और तुम्हारे लिए सबसे झगड जाता था वो तुम्हारा भाई, पुरुष ही है न तुम कहती हो तुम पुरुष से नफरत करती हो न तो जो थका हारा घर आता था फिर भी अपनी थकान भूलकर तुम्हारी शिकायतें, तुम्हारा गुस्सा सबकुछ सह लेता था वो तुम्हारा पति, पुरुष ही है न तुम कहती हो तुम पुरुष से नफरत करती हो न सही भी है जितना चाहे उतना नफरत करो न एक की गलती की सजा सबको मत दो न जिसने गलत किया उससे नफरत करो न उसकी पुरी प्रजाती से नफरत करना तो गलत है न ©कलम की दुनिया #पुरूष
Aleem Siddiqui
#पुरूष की #सफलता के पीछे एक #नारी का हाथ होता है,___💃☺️ #और #असफलता के पीछे किसी #कुँवारी का..😝😝🤣🤣🙈😂😜🤷♀️ ©Aleem Siddiqui #womanequality #Nojoto #Love #Song #viral #New #Music
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read moreShubham Bhardwaj
महिला है तो पुरूष मुस्कराता है। पुरूष के साथ महिला को सुकून आता है।। एक जमीन है तो एक आसमान सा है। बिना जमीन के आसमान टूट जाता है।। ©Shubham Bhardwaj #womanequality #महिला #है #तो #पुरूष #मुस्कराता #बिना #के #टूट
#womanequality #महिला है #तो #पुरूष #मुस्कराता #बिना #के #टूट
read moreशब्दवेडा किशोर
#पुरूष हो ना तुम....?? ओ पुरुष..सुनो तुम जन्मते हो तिमिर से प्रकाश में आते हो अनंत से इस छोटे से आकाश में उसी नन्हें बीज की तरह ज्यों निकलता हैं धरती की कोख़ से तुम भी तो जन्मे हो ऐसे ही माँ की कोख़ से फिर जीते हो तुम जीवन और उस एक जीवन में अनेक जीवन कभी शिशु तो कभी बालक कभी युवाशातो कभी पालक होते हो तुम कभी प्रौढ़ भी और वृद्ध भी किन्तु इस अंतराल में होते रहते हो तुम रूपांतरित होते रहते हो तुम प्रफ्फुलित अपने अंतर्मन में प्रेम को पाकर किन्तु जब जन्मतीं हैं बेटियाँ तब तुम क्यूँ डूब जाते हो शोक से इस भरे संसार में.... ओ पुरूष....ये वही स्त्री ही तो होती हैं जन्मे थे तुम जिसकी कोख़ से ऐसे के जैसे पल्लवित हुआ था बीज से निकला पौधा धरा के आँचल में जलधार से तुम्हें भी सींचा एक स्त्री ने अपने आँचल में सहेजकर अमृततुल्य दुग्ध की धार से उसने तो नहीं किया कोई भेद कभी तुम्हारे पुरुष होने पर तो तुमने कैसे पा लिया ये अधिकार ?? कैसे विकसित हुई हीनता की ये ग्रंथि ज्यों देखती हैं एक स्त्री में सिर्फ विकार सृष्टि के बीज मात्र होकर तुम क्यूँ दिखाने लगते हो अधिकार.... ओ पुरूष....कब तक मृत रहेंगी ये तुम्हारीं संवेदनाएं क्या कभी समझ सकोगे तुम एक स्त्री की वेदनाएं उसके मांस और मज़्ज़ा से निर्मित होता तुम्हारा बलिष्ठ शरीर क्या सह पाओगे अगाध प्रसव वेदना कभी जागकर देख लो पूरी रात किसी अस्थिर जीवन को आँचल में सहेजे रुदन और क्रंदन को ममता के लिहाफ़ में लपेटे घड़ी दर घड़ी साल दर साल करती हैं पोषित तब तक जब तक तुम रूपांतरित नहीं होते एक पुरूष में मत कर इतना घमंड खुद के पुरूष होनेपर और रखा कर समानता स्त्री और पुरूष के जन्म पर इस भागदौड़भरे जीवन में...... @शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #पुरूष_हो_ना_तुम
aviwrites_
रोता हुआ पुरुष इस सृष्टि का सबसे दुर्लभ दृश्य है... हे स्त्री! तुम चूमना उसकी आंखें और कहना 'तुम रो सकते हो' ©aviwrites_ #Kaarya #rona #cry #पुरूष #स्त्री