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mast malang

बात उस समय की जब इन्सान आदिमानव था, थोड़ा भोला,अज्ञानी, थोड़ा दानव था,, अपनी हस्ती और मस्ती में मगन रहता था, बिना वस्र पूर्णतः नग्न रहता था ,, ना घमंड ना अपमान ना सत्कार होता था, क्या उस समय भी औरतों का बलातकार होता था,, #आदिकाल

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बात उस समय की जब इन्सान आदिमानव था, 
थोड़ा भोला,अज्ञानी, थोड़ा दानव था,,
अपनी हस्ती और मस्ती में मगन रहता था, 
बिना वस्र पूर्णतः नग्न रहता था ,,
ना घमंड ना अपमान ना सत्कार होता था, 
क्या उस समय भी औरतों का बलातकार होता था,, बात उस समय की जब इन्सान आदिमानव था, 
थोड़ा भोला,अज्ञानी, थोड़ा दानव था,,
अपनी हस्ती और मस्ती में मगन रहता था, 
बिना वस्र पूर्णतः नग्न रहता था ,,
ना घमंड ना अपमान ना सत्कार होता था, 
क्या उस समय भी औरतों का बलातकार होता था,,
#आदिकाल

Deepika

#LearnIndia #हिंदी #साहित्य का #इतिहास Part-2 #प्रथम #रचना / #आदिकाल हिंदी साहित्य के बारे में और अधिक जानकारी के लिए सब्सक्राइब करें मेरा यूट्यूब चैनल- https://www.youtube.com/channel/UCfSGpvOT5fOcLuI-JjU9wxw

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Pooja Singh Rajput 🎓

त्रैतायुग में धर्म के तीन पैर थे। इस युग में पाप की मात्रा 25% और 
पुण्य की मात्रा 75% थी। द्वापर में धर्म के दो पैर ही रहे। इस युग में 
पाप की मात्रा 50% और पुण्य की मात्रा 50% थी। कलिकाल में धर्म के 
पैरों का कोई नामोनिशान नहीं है। इस युग में पाप की मात्रा 75%
 और पुण्य की मात्रा 25% ही रह गए है।
-pooja singh rajput✍🍁 #वैदिककाल#भगवान#आनादीकाल#आदिकाल#कर्म#निशाचर#युग

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