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अदनासा-
A@
*स्नान से तन की शुद्धि, ध्यान से मन की शुद्धि और दान से धन की शुद्धि होती है। जो दूसरों को हानि पहुंचा कर अपना हित चाहता है वह मूर्ख, अपने लिए दुख के बीज बोता है.!!* ©V. Aaraadhyaa #स्नान Dark
#स्नान Dark
read moreAnjali Raj
जैसे विवाहों में चढ़ता है बान। वैसे ही सर्दी में होता है स्नान। 😆😆😆😆😆 #अंजलिउवाच #YQdidi #विवाह #स्नान #सर्दी
#अंजलिउवाच #yqdidi #विवाह #स्नान #सर्दी
read moreLata Sharma सखी
बेटा प्यारी मैय्या नहलाती हो क्यों तुम इतनी सर्दी में, जम जाऊंगी देखो मैया मैं देखो इतनी सर्दी में, पानी डालो ज्यादा सा साबुन कम लगाना तुम, साबुन लगाकर छोड़ न देना मैया इतनी सर्दी में। 😆😆😜😜 मैय्या बेटे मेरे हफ्ते से न नहाया अब चुपकर तू नहाले, गर्म पानी करके मैं लाई नखरा थोड़ा कम दिखाले, साबुन लगा न छोडूंगी सुन ले तुझको इस सर्दी में, मगर तन पर जो मैल हो गया जरा इसको तू छुडाले। 🤣🤣🤪😆😜😜🤭 ©सखी #सर्दी #स्नान #पानी #माँ #बेटा
pandeysatyam999
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
read moreNiranjan Jha
मईया के करियौ श्रृंगार श्रृंगार हे!सखिया, मईया करियौ श्रृंगार।। अछिजल सँ हुनक पैर पखारु। दूध सँ करियौ स्नान, स्नान हे!सखिया मईया करियौ श्रृंगार।। लाल वसन हुनका यतन सँ ओढाबू। मांग सेनुर भरू लाल लाल हे! सखिया मईया करियौ श्रृंगार।। अक्षत-चानन, आरो गंगा जल अड़हुल, दुईब बेलपात बेलपात हे! सखिया मईया करियौ श्रृंगार।
Raju
जब कोई स्त्री रास्ते से जा रही हो चाहे छोटे कपडे पहने हो या अजीब सा वस्त्र पहने हो या वो कहीं स्नान कर रही हो या कपड़े बदल रही हो या किसी से एकांत में बात कर रही हो तो क्यों पुरुषों को उलझन होती है क्यों उनके भीतर बैचनी होने लगती है। वो तो अपनी सहजता से चल रही है स्नान कर रही है। तो पुरुषों को क्यों परेशानी होती है। ये कष्ट पुरुषों का है क्यों उनके भीतर बैचेनी हो रही है। मुश्लिम में अपने भीतर के बेचैनी का ईलाज ना करके स्त्री को पर्दे में नकाब में डाल दिया तो क्या उनकी बेचैनी कम हो गयी है। नही वो और कामुक हो गये। ""ईलाज किसका होना चाहिये था और किसका हो रहा है।"" इस अवस्था में पशु हमसे ठीक दिख रहे है। ""जो सत्य पुरुष होगा वो अपने भीतर का ईलाज करेगा ना किसी दूसरों को छिपाएगा य पर्दे में रखेगा।""" मन का ईलाज होना चाहिए कि ये बेचैनी हममे कहाँ से जन्म ले रही है। #fact of life
#Fact of life
read moreआयुष पंचोली
दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, जो किसी मे भेद नही करती। जात, पात, रंग-भेद, ऊंच, नीच, साधु, राक्षस किसी मे भी नही। और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही। पता नही क्यो, मगर मेरी नजर मे तो दुनिया मे सबसे पवित्र संस्कार मृत्यू और पवित्र स्थान श्मशान ही हैं। क्योकी वह स्थान जहां सारे बंधन छूट जाये, जो ज्ञान और वैराग्य जगाये , जहां सत्य की पहचान हो वह कभी अपवित्र नही हो सकता। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, जो किसी मे भेद नही करती। जात, पात, रंग-भेद, ऊंच, नीच, साधु, राक्षस किसी मे भी नही। और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही। पता नही क्यो, मगर मेरी नजर मे तो दुनिया मे सबसे पवित्र संस्कार मृत्यू और पवित्र स्थान श्मशान ही हैं। क्योकी वह स्थान जहां सारे बंधन छूट जाये, जो ज्ञान और वैराग्य जगाये , जहा
दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, जो किसी मे भेद नही करती। जात, पात, रंग-भेद, ऊंच, नीच, साधु, राक्षस किसी मे भी नही। और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही। पता नही क्यो, मगर मेरी नजर मे तो दुनिया मे सबसे पवित्र संस्कार मृत्यू और पवित्र स्थान श्मशान ही हैं। क्योकी वह स्थान जहां सारे बंधन छूट जाये, जो ज्ञान और वैराग्य जगाये , जहा
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