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`sanju sharan
छत्तीस घंटे काव्या तेज़ तेज़ कदमों से ऑफिस जा रही थी तभी किसी के स्पर्श से चौक जाती हैं और एक भारी आवाज़ सुनकर पीछे मुड़ती है_"क्यों लेडी रावण डर गई। अचरज से देखती है ईशान को और कहती है। आप यहां? हा काव्या मेरी पोस्टिंग कोलकाता हो गई है और तुम कहां जा रही हो। सिर झुकाए हुए काव्या कहती है_मैं भी ऑफिस ही जा रही हूं बैंक में काम करती हूं।। चलिए अच्छी बात है पर क्या आपके शहर में दोस्तो की खैरियत पूछी नहीं जाती, केवल मै ही बोले जा रहा हूं और आप चुप हैं क्या आप मुझसे बातें नहीं क
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अगर ज़िंदगी में कोई प्रॉब्लम आती है लेकिन उसका रास्ता निकाले पर भी ख़त्म नहीं होती है तो ये कहानी ज़रूर पढ़े एक कंपनी में जॉब के लिए इंटरव्यू होने वाले थे. बहुत सारे आवेदक अपने तमाम योग्यताओं के प्रमाणपत्र लिए इंटरव्यू शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे. वे अपने अपने विषय की अच्छी तैयारी करके आये थे और अपनी सफलता को लेकर पूरे आशान्वित थे. लेकिन आज का इंटरव्यू कुछ अलग प्रकार का होने वाला था. घंटी बजी और चपरासी ने सबसे पहले उम्मीदवार को इंटरव्यू कक्ष में भेजा. साक्षात्कारकर्ता ने युवक को सामनेवाली कुर्सी पर बिठाया और और उसकी फाइल देखने के बाद बोला, “आपकी क्वालिफिकेशन बहुत अच्छी हैं लेकिन आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिये.” मान लीजिये आप कहीं जा रहे हैं, आपकी कार टू सीटर है. आगे चलने पर एक बस स्टैंड पर आप देखते हैं कि तीन व्यक्ति बस के इंतजार में खड़े है. उन में से एक वृद्धा जो कि करीब 90 वर्ष की है तथा बीमार है. अगर उसे अस्पताल नहीं पहुँचाया गया तो इलाज न मिल सकने के कारण मर भी सकती है. दूसरा आपका एक बहुत ही पक्का मित्र है जिसने आपकी एक समय बहुत मदद की थी. तीसरी आपकी प्रेमिका है जिसे आप बेहद प्रेम करते है. अब आप उन तीनो में से किसे लिफ्ट देंगे क्यूंकि आपकी कार में केवल एक ही व्यक्ति आ सकता है ?” युवक ने एक पल सोचा फिर जवाब दिया ”सर मैं प्रेमिका को लिफ्ट दूंगा.“ साक्षात्कारकर्ता ने हैरानी से पूछा, “क्या ये बाकी दोनों के साथ अन्याय नहीं होगा ?” युवक ने जवाब दिया, “नो सर, वृद्धा तो आज नहीं तो कल मर ही जायेगी. दोस्त को मैं बाद में भी मिल सकता हूँ पर अगर मेरी प्रेमिका एक बार चली गई तो फिर मैं उससे दूबारा कभी नहीं मिल सकूंगा.” साक्षात्कार लेने वाले ने मुस्कुरा कर कहा – “वेरी गुड में तुम्हारी साफगोई सुन कर प्रभावित हुआ. अब आप जा सकते है.” “थैंक यू” कहकर युवक कमरे से बाहर निकल गया. इसके बाद अन्य प्रत्याशियों का नंबर आया. साक्षात्कार लेने वाले ने सभी से यही सवाल पूछा. सभी ने इसके विभिन्न उत्तर दिए. किसी ने वृद्धा को लिफ्ट देने की बात कही तो किसी ने दोस्त को लिफ्ट देने की बात कही. इस तरह इंटरव्यू आगे चलता रहा. जब एक प्रत्याशी से यही प्रश्न पूछा तो उसने उत्तर दिया “सर मैं अपनी कार की चाभी अपने दोस्त को दूंगा और उससे कहूंगा कि वो मेरी कार में वृद्धा को लेकर उसे अस्पताल छोड़ता हुआ अपने घर चला जाये. मैं उससे अपनी कार बाद में ले लूंगा और स्वयं अपनी प्रेमिका के साथ टैक्सी में बैठ क़र चला जाऊँगा. यह जवाब सुनकर इंटरव्यू लेने वाले अधिकारी ने उठकर उससे हाथ मिलाया और कहा, “गुड आंसर, यू आर सिलेक्टेड !” युवक ने ‘थैंक यू सर’ कहा और मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया. साक्षात्कार समाप्त हो चुका था. कई बार हम अपने सामने उपस्थित समस्या के एक ही पहलू को देखकर उसका हल खोजने लगते हैं जबकि उसका हल उसके सभी पहलुओं को एक साथ देखने और समझने में छुपा होता है. जीवन में किसी एक को साथ लेकर चलने के बजाय सभी को साथ लेकर चलने को प्राथमिकता देनी चाहिए.
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🌷प्रेमवश या वासना के लिए 🌷 एक युवक एक युवती से प्रेम करने लगा । प्रेम मे जोश अधिक होता है , होश कम । वह उससे विवाह की जिद करने लगा । समझदार अभिभावकों ने उस सम्बन्ध को ठीक नही समझा , सो रोका । पर युवक किसी की सुनना नही चाहता था । परेशान होकर एक सन्त के पास गया । सन्त ने पूछा ----- " भाई लडकी से विवाह करने मे तो बुराई नही ; परन्तु सोच लो , उसके पिता आदि नाराज हुए तो ?" युवक जोश मे भरकर बोला ------- " प्यार के लिए मैं कोई भी कुर्बानी दे सकता हूंँ।" सन्त हँसे , बोले , "बेटा ! प्यार तो तेरी माँ ने भी तुझे कम नही किया ; पिता, भाई आदि ने भी प्यार ही किया । उनके प्यार के लिए कोई कुर्बानी दी क्या ? ठीक से देख कुर्बानी प्यार के लिए कर रहा है या वासना के लिए ? " युवक को बोध हुआ । उसने सभी पक्षों पर विचार किया और शादी का विचार बदल दिया । पश्चिम की लुभावनी हवा में आजकल का माहौल कुछ इसी तरह का बना हुआ है । प्यार कम आकर्षण और वासना ज्यादा है । ऐसे मे अभिभावकों को चाहिए कि वें अपने बच्चों की प्रत्येक क्रिया पर प्रतिक्रिया करें । अन्यथा उनके साथ यही बात सिद्ध होगी कि ----- "फिर पछताए होत क्या जब चिडिया चुग जाए खेत ।" बच्चे फसल की तरह होते है , जिस प्रकार किसान अपनी फसल की रक्षा ओर देखभाल दिन रात करता है उसी प्रकार आज के अभिभावकों को अपने बच्चों की करनी चाहिए । ०१/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷प्रेमवश या वासना के लिए 🌷 एक युवक एक युवती से प्रेम करने लगा । प्रेम मे जोश अधिक होता है , होश कम । वह उससे विवाह की जिद करने लगा । समझदार अभिभावकों ने उस सम्बन्ध को ठीक नही समझा , सो रोका । पर युवक किसी की सुनना नही चाहता था । परेशान होकर एक सन्त के पास गया । सन्त ने पूछा ----- " भाई लडकी से विवाह करने मे तो बुराई नही ; परन्तु सोच लो , उसके पिता आदि नाराज हुए तो ?" युवक जोश मे भरकर बोला ------- " प्यार के लिए मैं कोई भी कुर्बानी दे सकता हूंँ।" सन्त हँसे , बोले , "बेटा ! प्यार तो तेरी म
🌷प्रेमवश या वासना के लिए 🌷 एक युवक एक युवती से प्रेम करने लगा । प्रेम मे जोश अधिक होता है , होश कम । वह उससे विवाह की जिद करने लगा । समझदार अभिभावकों ने उस सम्बन्ध को ठीक नही समझा , सो रोका । पर युवक किसी की सुनना नही चाहता था । परेशान होकर एक सन्त के पास गया । सन्त ने पूछा ----- " भाई लडकी से विवाह करने मे तो बुराई नही ; परन्तु सोच लो , उसके पिता आदि नाराज हुए तो ?" युवक जोश मे भरकर बोला ------- " प्यार के लिए मैं कोई भी कुर्बानी दे सकता हूंँ।" सन्त हँसे , बोले , "बेटा ! प्यार तो तेरी म
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स्टारप्लस के अनुसार आरोपी एक युवक को गोली मारता है पुलिस उसे पकड़ के ले जाती है जबकि बेचारा युवक घर में ही पड़ा तड़पता रहता है उसे अस्पताल को ले जाई बे😝
Pravesh Khare Akash
फादर्स डे (लघुकथा) 💐💐💐💐पी.एस.खरे "आकाश" आज सुबह से ही शर्मा जी तैयार होकर बैठे हुए थे।बार-बार दरवाजे की तरफ देखते कभी दीवार घड़ी की तरफ बेचैनी से देखते,चश्मा साफ करके चेहरे पर हाथ फेरते..ऐसा करते काफी देर हो गई तो रामजी ने पूछा.."अरे शर्मा जी क्या बात है, आज बड़ी बेचैनी दिख रही है चेहरे पे..किसका इंतजार है?" शर्मा जी ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा.."आज बेटा आने वाला है न..वही तो अकेला सहारा है मेरा..आज के दिन जरूर आता है मुझसे मिलने..."। रामजी ने आश्चर्य से कहा..."आज उसका जन्मदिन है क्या या आपका?" "नहीं.. नहीं, जन्मदिन नहीं.. आज फादर्स डे है न तो विश करने हर साल आता है और देखना" ...बात हलक में रह गयी और शर्मा जी तेजी से आगे बढ़े। मेन गेट पर एक बड़ी सी कार रूकी और एक युवा के साथ फलों की टोकरी लिए हुए दो लोग उतरे।शर्मा जी ने युवक का कंधा थपथपाया और आँखें साफ करके कुशल क्षेम पूछी। फलों की टोकरी प्रबंधक को देकर युवक बोला..."मैनेजर साहब, कई सोशल एक्टिविटी में बिजी रहने के कारण आज के दिन यहाँ आ पाना काफी मुश्किल हो जाता है,इसलिए पिताजी को इंटरनेट कनेक्शन के साथ ये लैपटॉप दे जा रहा हूँ जिससे आगे से वीडियो चैट के थ्रू बात करता रहूँगा और इस वृद्धाश्रम के लिए दान सामग्री मेरे सहयोगी दे जाया करेंगे।" मैनेजर के कमरे से बाहर निकल कर वह शर्मा जी के पास गया,गले मिला और हैप्पी फादर्स डे पापा बोलकर गाड़ी से धूल उड़ाता चला गया। फादर्स डे
फादर्स डे
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 12 - स्नेह जलता है 'अच्छा तुम आ गये?' माता के इन शब्दों को आप चाहें तो आशीर्वाद कह सकते हैं; किंतु कोई उत्साह नहीं था इनके उच्चारण में। उसने अपनी पीठ की छोटी गठरी एक ओर रखकर माता के चरण छुये और तब थका हुआ एक ओर भूमि पर ही बैठ गया। 'माँ मुझे देखते ही दौड़ पड़ेगी। दोनों हाथों से पकड़कर हृदय से चिपका लेगी। वह रोयेगी और इतने दिनों तक न आने के लिये उलाहने देगी।' वर्षों से पता नहीं क्या-क्या आशाएँ उमंगें, कल्पनाएँ मन में पाले हुए था वह। 'मैं मा
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 10 - नाम का मोह 'मुझे कोई आराधना बताइये! कोई भी अनुष्ठान बता दीजिये। मैं कठिन-से-कठिन अनुष्ठान भी कर लूंगा। महेश आज एक संत के पैर पकड़कर बैठ गया था। आस-पास के लोग कहते हैं कि मुनीश्वर महाराज सिद्ध संत हैं। वे जिसे जो बात कह देते हैं, वही हो जाती है। किसी को वे सीधे तो आशीर्वाद देते नहीं, कोई पूजा कोई पाठ, कोई अनुष्ठान बता देते हैं। लेकिन जिसे वे कुछ बता देते हैं, वह ठीक-ठीक उनकी आज्ञा का पालन करे तो उसका काम हो जाता है।
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 9 - भोले भगवान हरीश आज इस ज्येष्ठ की दोपहरी में बहुत भटका, बहुत से दफ्तरों के द्वार खटखटाये उसने, अनेक समाचार-पत्रों और दूसरे कार्यालयों में पहुँचा; कितने दिनों से चल रहा है यह क्रम; कौन गिनने बैठा है इसे। विश्वविद्यालय से एम० ए० करके अपने साथ अनेक प्रशंसा पत्र लिये भटक रहा है हरीश। 'काम नहीं है।' उसके लिए! एक एम० ए० के लिए क्या विश्व में कहीं काम नहीं है? वह अकेला है, घर पर और कोई नहीं; घर ही नहीं उसके तो; पर पेट है न! अकेले को भी तो भूख
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 17 - सात्विक त्याग कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन। संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।। (गीता 18।9)
read moreAbhay Shukla
हमें जरूरत है कुछ नौजवान युवक युवतियों की, युवक को कंधे से कंधा मिलाकर चल सके देश के निर्माण में,और युवतियां जो दुनियां को दिखा सकें कि भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ देश है आओ कंधे से कंधा मिलाकर चलें
आओ कंधे से कंधा मिलाकर चलें
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