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विष्णुप्रिया
जागृति का अर्थ रंग रूप से विलग विभिन्न प्रदीपों में जल रही एक ही रूचि का बोध होना है । जिस तरह दीपक कोई भी हो, पर लौ बन जल रही अग्नि एक ही है, उसी तरह हम सब के भीतर एक ही परमात्मा है । #yqdidi #spirituality #आत्मबोध #विष्णुप्रिया #हिंदीqoutes
जिस तरह दीपक कोई भी हो, पर लौ बन जल रही अग्नि एक ही है, उसी तरह हम सब के भीतर एक ही परमात्मा है । #yqdidi #Spirituality #आत्मबोध #विष्णुप्रिया #हिंदीqoutes
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गृहस्थ और वैराग्य के मध्य उलझे कुछ विचार, कुछ भाव, कुछ मान्यताएं, और, उनका उत्तर खोजती मैं... इसी उधेड़बुन में यह कहनी रच गई... ' हिमाद्रि ' कैप्शन में पढ़े... हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो सका। और जिन लोगो ने दर्शन किये है, उनमें भी जिन्होंने हिमालय को अध्यातम की नजर से न देखा हो, वो शायद ही हिमालय की प्रतिष्ठा, उसके महात्म्य और रहस्यो को जानते होंगें। हर वर्ष कैलाश मानसरोवर, केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए लाखो लोग धार्मिक चार धाम की यात्रा करते है , फिर भी हिमालय की आत्मा कुछ एक के हृदय को ही छू पाती है, परिणामस्वरूप इस अनुभुती को प्र
हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो सका। और जिन लोगो ने दर्शन किये है, उनमें भी जिन्होंने हिमालय को अध्यातम की नजर से न देखा हो, वो शायद ही हिमालय की प्रतिष्ठा, उसके महात्म्य और रहस्यो को जानते होंगें। हर वर्ष कैलाश मानसरोवर, केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए लाखो लोग धार्मिक चार धाम की यात्रा करते है , फिर भी हिमालय की आत्मा कुछ एक के हृदय को ही छू पाती है, परिणामस्वरूप इस अनुभुती को प्र
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बुद्ध पूजन के लिए नही है, वो तो आत्मसात करने के लिए है । उनके जीवन को समझो, उनकी पूजा विधि को समझो, बाहर कुछ भी ढूंढना अर्थहीन है, अतः उन्हें स्वयं में खोज कर सृष्टि का कल्याण करना ही बुद्धत्व पाना है । #YQdidi #बुद्धपूर्णिमा #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
#yqdidi #बुद्धपूर्णिमा #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
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चलो पूजा करें बिन धूप और दिए के, आरती करे, भीतर समाहित उस शाश्वत कंपायमान ऊर्जा से, दीप दान करे, चेतना के समस्त रागों का सृष्टि की परिधि से, गुंजायमान करें, अंतस के अनाहत से स्वयं को... चलो जोड़े, हाथ नही, सृष्टि के स्रोत को स्वयं से..... जिस दिन मैंने यह अनुभव कर लिया कि, मैं सृष्टि से भिन्न नही, उस दिन मैं पूर्णतः विलुप्त हो जाएगा....और जीव अद्वैत.... फिर ईश्वर मंदिर में ही नही, हर् जगह दिखेंगे बाह्य भी और चर अचर के भीतर भी....😊😊😊 #yqdidi #पूजा #आरती #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
जिस दिन मैंने यह अनुभव कर लिया कि, मैं सृष्टि से भिन्न नही, उस दिन मैं पूर्णतः विलुप्त हो जाएगा....और जीव अद्वैत.... फिर ईश्वर मंदिर में ही नही, हर् जगह दिखेंगे बाह्य भी और चर अचर के भीतर भी....😊😊😊 #yqdidi #पूजा #आरती #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
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नित्य क्या है...? दो श्वासों के बीच की मध्यावस्था....!!! इंद्रजाल में समाहित... प्रत्येक जीवन में प्रतिबिम्बित, नृत्यरत नटराज का महा नृत्य, अंतस की..... दो पंक्तियों के मध्य का भरता अंतराल सा है... इंद्रजाल = ब्रह्माण्ड नृत्यरत नटराज = कंपायमान ऊर्जा दो पंक्तियाँ = ब्रह्म और स्व उपनिषदों में नाद को ही ब्रह्म बताया गया है, नाद वह ध्वनि है जो अनंत और अनादि है हम इसे अक्षर ब्रह्म ॐ के नाम से जानते है, इससे उत्पन्न होने वाला कम्पन ..... ही सम्पूर्ण सृष्टि का कारण मात्र है... इसलिए नटराज को आधार माना गया है... ब्रह्माण्ड इंद्रजाल है, इसकी तुलना मकड़ी के जाले से कर सकते है चहुँ दिशा में फैला हुआ जाला, उस पर गिरी ओस की बूँदे प्रत्येक बूंद में प्रतिबिम्बित जाला और अन्य बूँदे.... और ह
इंद्रजाल = ब्रह्माण्ड नृत्यरत नटराज = कंपायमान ऊर्जा दो पंक्तियाँ = ब्रह्म और स्व उपनिषदों में नाद को ही ब्रह्म बताया गया है, नाद वह ध्वनि है जो अनंत और अनादि है हम इसे अक्षर ब्रह्म ॐ के नाम से जानते है, इससे उत्पन्न होने वाला कम्पन ..... ही सम्पूर्ण सृष्टि का कारण मात्र है... इसलिए नटराज को आधार माना गया है... ब्रह्माण्ड इंद्रजाल है, इसकी तुलना मकड़ी के जाले से कर सकते है चहुँ दिशा में फैला हुआ जाला, उस पर गिरी ओस की बूँदे प्रत्येक बूंद में प्रतिबिम्बित जाला और अन्य बूँदे.... और ह
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मैंने देखा है, पारिजात के पुष्पों को अन्तस की कोख में, पल्लवित होते इनकी सुमधुर सुगंध, ने सहसा ही रोक लिया है मुझे, और मैं रुक गई हूं... स्थिर सी, बंद नयनों से भीतर उतरती, आँचल पसार....पूर्ण रात्रि... सातवें पहर की प्रतीक्षा में, जब झरेंगे, ये ब्रह्म रुपी पुष्प मेरी गोद में... #yqdidi #पारिजात #आत्मबोध #आध्यात्मिक #ब्रह्म #ध्यान कभी कभी मन अस्थिर सा होता है, हाँ सब कुछ जानते हुए....कुछ ऐसी ही परिस्थिति के मध्य हूं आज कल, जैसे मध्य में फंस गई हूं, रह है भी और नही....अजीब सी ही परिस्थिति है, सोचा था अब नही आऊँगी yq पर लिखने और पढ़ने का कोई अर्थ भी नजर नही आ रहा अब , पर... नही जानती थी कि, आप सब का इतना अनंत प्रेम है मुझ पर...... जाने आनजने दोष मेरा ही है इस मोह का, मुक्ति की चाह बंधन कब बन गई पता ही नही चला...... आप सब का अपार स्नेह पा कृतार्थ हुई हूं..💐💐❤️❤️ को
#yqdidi #पारिजात #आत्मबोध #आध्यात्मिक #ब्रह्म #ध्यान कभी कभी मन अस्थिर सा होता है, हाँ सब कुछ जानते हुए....कुछ ऐसी ही परिस्थिति के मध्य हूं आज कल, जैसे मध्य में फंस गई हूं, रह है भी और नही....अजीब सी ही परिस्थिति है, सोचा था अब नही आऊँगी yq पर लिखने और पढ़ने का कोई अर्थ भी नजर नही आ रहा अब , पर... नही जानती थी कि, आप सब का इतना अनंत प्रेम है मुझ पर...... जाने आनजने दोष मेरा ही है इस मोह का, मुक्ति की चाह बंधन कब बन गई पता ही नही चला...... आप सब का अपार स्नेह पा कृतार्थ हुई हूं..💐💐❤️❤️ को
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अन्तःसलिला मौन का एक स्वरुप और देखा, जब सब शान्त हो जाता है, भाव भी प्रवाहित नही होते...और ना अश्रु....शायद यह ही अन्तःसलिला होना है..... #yqdidi #फल्गु नदी #अन्तः सलिला #शिव #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
विष्णुप्रिया
हे, अग्नि तुम...!!! कैसे इतनी निश्छल हो कैसे सब संजोती हो, एक रूप में एकाकार कर, जलना तो फिर ठीक है, पर जल कर भी यह पवित्रता कहाँ से लाती हो... कैसे वैराग्य को जी, ग्रहण भोग से बचती हो... बोलो अग्नि... कैसे बाह्यमुखी हो अंतरमुखी रहती हो... कभी कभी सोचती हूं कि, अग्नि की यह पवित्रता, क्या उसके सब कुछ जला देने से ही आती है....हाँ निःसंदेह, सब जला कर एकतत्व जो कर देती है , तो क्या नश्वरता ही पवित्र है... फिर क्यों जीव मृत्यु से डरता है... जाने क्यों जलने की इच्छा प्रगाढ़ होती जा रही है....अग्निरूप धारण करने की...राख बन शिव से एक होने की.. #yqdidi #अग्नि #वैराग्य #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
कभी कभी सोचती हूं कि, अग्नि की यह पवित्रता, क्या उसके सब कुछ जला देने से ही आती है....हाँ निःसंदेह, सब जला कर एकतत्व जो कर देती है , तो क्या नश्वरता ही पवित्र है... फिर क्यों जीव मृत्यु से डरता है... जाने क्यों जलने की इच्छा प्रगाढ़ होती जा रही है....अग्निरूप धारण करने की...राख बन शिव से एक होने की.. #yqdidi #अग्नि #वैराग्य #आत्मबोध #विष्णुप्रिया
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मौन भी क्या है....?? आया मुस्कराया और जगा दिया.... Beena di Anukalp Tiwari Mayank Parashar शिवतत्वार्थ #Yqdidi #मौन #आत्मबोध #spirituality #विष्णुप्रिया
Beena di Anukalp Tiwari Mayank Parashar शिवतत्वार्थ #yqdidi #मौन #आत्मबोध #Spirituality #विष्णुप्रिया
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स्व से बंधित मैं, अहम् द्वेष से परिपूर्ण समस्त रागों को स्वाह कर और सत्व में कर विलीन ; दीप्त प्रह्लाद कुसुमित हो हो नव चेतन में, चित्त अन्तर्लीन.... हिरण्यकश्यपु और प्रह्लाद दो दृष्टिकोन है, जहाँ..... ★ हिरण्यकश्यपु लड़ता है, और प्रह्लाद जोड़ता है । ★ हिरण्यकश्यपु इन्द्रियों का भोग करता है , और प्रह्लाद इन्द्रियनिग्रह की बात करता है । ★ हिरण्यकश्यपु के लिए सारा संसार भी प्रयाप्त नही है, जबकि प्रह्लाद कामना रहित संतुष्ट है । ★ हिरण्यकश्यपु ईश्वर और जीव में एक्य नही देख पा रहा है, परंतु प्रह्लाद जीव जगत और ईश्वर में एक्य देख पा रहा है । जीव और जगत का सम्बन्ध वैसा ही है, जैसे दृष्टा और दृश्य का, जीव - दृष्टा है, कर्ता है, और भोक्ता है
हिरण्यकश्यपु और प्रह्लाद दो दृष्टिकोन है, जहाँ..... ★ हिरण्यकश्यपु लड़ता है, और प्रह्लाद जोड़ता है । ★ हिरण्यकश्यपु इन्द्रियों का भोग करता है , और प्रह्लाद इन्द्रियनिग्रह की बात करता है । ★ हिरण्यकश्यपु के लिए सारा संसार भी प्रयाप्त नही है, जबकि प्रह्लाद कामना रहित संतुष्ट है । ★ हिरण्यकश्यपु ईश्वर और जीव में एक्य नही देख पा रहा है, परंतु प्रह्लाद जीव जगत और ईश्वर में एक्य देख पा रहा है । जीव और जगत का सम्बन्ध वैसा ही है, जैसे दृष्टा और दृश्य का, जीव - दृष्टा है, कर्ता है, और भोक्ता है
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