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Dpoonam4
सभी को गणगौर की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌹💝🌹🙏 ©Dpoonam4 #gangour #Festival #true ❤️ #trend #Love
Ganesh joshi
Happy Gangour ©Ganesh joshi #gangour #Happy #Shankar #Bholenath #Gori
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read moreNeelam jangir
शिवजी का रूप है ईशर गौरा का रूप है गणगौर परम प्रेम का त्यौहार है आया आई है आज हमारे घर गणगौर करके आज सोलह शृंगार मनाऊंगी खुशी से गणगौर हर जन्म की प्रीत बंधेगी बन जाएगी ईशर- गौर जैसी जोड़ी हमारी M&N ©Neelam jangir✳️ Happy gangour #gangour #गणगौर #Hindi #Nojoto
Dpoonam4
PRATIK BHALA (pratik writes)
जिम्मेदार नागरिक MY FIRST POETRY IN RAJASTHANI LANGUAGE FIRST POEM IN RAJASTHANI LANGUAGE. गणगौर (Festival of isarji and gouriji) त्यौहार इसर (शिवजी ) और गौरी (पार्वती माता ) का है. होलिका दहन के दूसरे दिन माँ गौरी अपने मायके आती है और चैत्र नववर्ष के बाद आने वाली तृतीय तीज को इसरजी गौरीमाई को लेने अपने ससुराल आते है मतलब पुरे 18 दिन यह त्यौहार चलता है. इसर जी ससुराल रहते है इसलिए इन्हे जवाई समझा जाता है.जिसमे लोक पारम्परिक गीत से गणगौर का उत्साह झलकता है. सुहागन और क़वारी लड़कियां दोनों इस का व्रत करती है. और अच्छे और मनचाहा पति का आशीर्वाद माँ गौरी से मांगती है. होलिका दहन के दूसरे दिन जावारा बोया जाता है,अर्थात दो कुंडी में मिट्टी और गेहूं को बोया जाता है और 18 दिनों में जावारा आजाते है जिसमे गेहूं की सुखी लकड़ी को लगाकर उसे इसर और गौर माता का रूप दिया जाता है. इन लोकगीतों में अपने परिवार के नाम भी लिए जाते है. मेरा मानना है की हम जितना हमारे संस्कृति से जुड़ेंगे उतना भावी जीवन समृद्ध होगा. मेरे घर जो गीत गाये जाते है उसमें कुछ है 1. गौर गौर गोमती इसरा पूज्या पार्वती 2. मेहंदी लो जी मेहंदी लो 3. आज बिनोरो इसरदास जी रों 4. गौर ये गणगौर माता खोल दो काँवड. 😅रोज माँ बोलती है तो सबको घर में याद हो गये गीत 🚩🚩🚩🚩बस यही कहूंगा अपनी संस्कृति सिखाओ और धर्म बचाओ तो कल जाकर युवा पीढ़ी हमारी सभ्यता परंपरा को जानेगी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏. ©PRATIK BHALA (pratik writes) FIRST POEM IN RAJASTHANI LANGUAGE. गणगौर (Festival of isarji and gouriji) त्यौहार इसर (शिवजी ) और गौरी (पार्वती माता ) का है. होलिका दहन के दूसरे दिन माँ गौरी अपने मायके आती है और चैत्र नववर्ष के बाद आने वाली तृतीय तीज को इसरजी गौरीमाई को लेने अपने ससुराल आते है मतलब पुरे 18 दिन यह त्यौहार चलता है. इसर जी ससुराल रहते है इसलिए इन्हे जवाई समझा जाता है.जिसमे लोक पारम्परिक गीत से गणगौर का उत्साह झलकता है. सुहागन और क़वारी लड़कियां दोनों इस का व्रत करती है. और अच्छे और मनचाहा पति का आशीर्वाद माँ गौरी स
FIRST POEM IN RAJASTHANI LANGUAGE. गणगौर (Festival of isarji and gouriji) त्यौहार इसर (शिवजी ) और गौरी (पार्वती माता ) का है. होलिका दहन के दूसरे दिन माँ गौरी अपने मायके आती है और चैत्र नववर्ष के बाद आने वाली तृतीय तीज को इसरजी गौरीमाई को लेने अपने ससुराल आते है मतलब पुरे 18 दिन यह त्यौहार चलता है. इसर जी ससुराल रहते है इसलिए इन्हे जवाई समझा जाता है.जिसमे लोक पारम्परिक गीत से गणगौर का उत्साह झलकता है. सुहागन और क़वारी लड़कियां दोनों इस का व्रत करती है. और अच्छे और मनचाहा पति का आशीर्वाद माँ गौरी स
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