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Rahul Sharma

ग्रीष्म ऋतु 

तप्ष ऊमस भीष्म ग्रीष्म महा व्याकुल हृदय 
जल जीवन सब छिन्न है, है तत्काल प्रलय
श्वास श्वास को भेदती, उष्म वायु प्रवाह 
इस ग्रीष्म यूं लगता है, सबकुछ होगा स्वाह  #ग्रीष्म #ग्रीष्मऋतु #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #yqbhaijan #kavita

Satish Chandra

aaaa #ग्रीष्म

#YQdidi - YourQuote Didi

#YQbaba

#SattyLove

दीपंकर

तुम हमारे मीत तरुवर #पेड़_हमारे_साथी #NatureLove

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तुम हमारे मीत तरुवर,
तुम हमारे गीत तरुवर,
हारता जब प्राण बाजी,
तुम दिलाते जीत तरुवर,
तुम हमारे मीत तरुवर.
ग्रीष्म का जब ताप अविचल,
दे हरित तुम छाऊं शीतल,
कलांत मन को शांत करता,
मधु रसीली प्रीत तरुवर,
तुम हमारे मीत तरुवर.
देवता हो देवता तुम ,
तुम तो बस देते ही रहते,
खुद को जला कर शीत में भी,
ग्रीष्म का अहसास देते,
तुमसे हमारी सभ्यता है,
तुम हमारी रीत तरुवर,
तुम हमारे प्रीत तरुवर.. तुम हमारे मीत तरुवर
#पेड़_हमारे_साथी
#naturelove

Ashish Bhawsar

एसी में बैठकर कांक्रीट के जंगल बनाने वालो,
तुम्हैं ग्रीष्म की तपन का "पता"क्या है ।

काश के हर पेड़ कटने से पहले ये पूछ पाता,
बता मेरी ""खता""क्या है। #ग्रीष्म#

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 9 - भोले भगवान हरीश आज इस ज्येष्ठ की दोपहरी में बहुत भटका, बहुत से दफ्तरों के द्वार खटखटाये उसने, अनेक समाचार-पत्रों और दूसरे कार्यालयों में पहुँचा; कितने दिनों से चल रहा है यह क्रम; कौन गिनने बैठा है इसे। विश्वविद्यालय से एम० ए० करके अपने साथ अनेक प्रशंसा पत्र लिये भटक रहा है हरीश। 'काम नहीं है।' उसके लिए! एक एम० ए० के लिए क्या विश्व में कहीं काम नहीं है? वह अकेला है, घर पर और कोई नहीं; घर ही नहीं उसके तो; पर पेट है न! अकेले को भी तो भूख

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
9 - भोले भगवान

हरीश आज इस ज्येष्ठ की दोपहरी में बहुत भटका, बहुत से दफ्तरों के द्वार खटखटाये उसने, अनेक समाचार-पत्रों और दूसरे कार्यालयों में पहुँचा; कितने दिनों से चल रहा है यह क्रम; कौन गिनने बैठा है इसे। विश्वविद्यालय से एम० ए० करके अपने साथ अनेक प्रशंसा पत्र लिये भटक रहा है हरीश। 'काम नहीं है।' उसके लिए! एक एम० ए० के लिए क्या विश्व में कहीं काम नहीं है? वह अकेला है, घर पर और कोई नहीं; घर ही नहीं उसके तो; पर पेट है न! अकेले को भी तो भूख

Parul Sharma

सूरज चिढ़ रहा है ।
प्रदूषण बढ़ रहा है।
          ग्रीष्म में धूप का कहर देखो
           कण-कण जल रही है।
जल संग्राहक सूख गये
सूखा व अकाल पड़ रहा है।
         ओजोन परत छलनी हुई 
          प्रकृति का तन जल रहा है।
हवायें आग है ध्वनि शूल है 
और प्रदूषण बेखौफ पल रहा।
पारुल शर्मा #सूरज#चिढ़#प्रदूषण#बढ़ना#ग्रीष्म#धूप#कहर#कण#जल #संग्राहक#सूख#सूखा#अकाल#ओजोन#परत#छलनी#प्रकृति#तन#हवा#आग#ध्वनि#शूल #बेखौफ#पलना 
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Himanshu Bhatt

ग्रीष्म ऋतु का संदेश ग्रीष्म ऋतु का संदेश देखो कितनी सुन्दर है प्रकृति है भला कौन इसका शिल्पी बिखरी सुंदरता पग-पग पर आखिर यह रचना है किसकी छः ऋतुएँ बारी-बारी से

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 ग्रीष्म ऋतु का संदेश ग्रीष्म ऋतु का संदेश

देखो कितनी सुन्दर है प्रकृति
है भला कौन इसका शिल्पी
बिखरी सुंदरता पग-पग पर
आखिर यह रचना है किसकी

छः ऋतुएँ बारी-बारी से

Anil Siwach

।।श्री हरी।। 13 - स्नान 'दादा! स्नान करेगा तू?' कन्हाई अग्रज के समीप दौड़ा-दौड़ा आया और वाम पार्श्व में खड़े होकर दोनों भुजाएँ भाई के कण्ठ में डालकर कन्धे पर सिर रखकर बड़े स्नेहपूर्वक पूछ रहा है। 'स्नान?' दाऊ ने तनिक सिर घुमाया। वे इस पूछने का अर्थ जानते हैं। श्यामसुंदर स्नान करना चाहता है। शैशव से यह जल पाते ही उसमें लोट-पोट होने में आनन्द मनाता रहा है।स्नान योग्य जल हो तो स्नान करने को इसका मन मचल पड़ता है। लेकिन मैया ने बार-बार मना किया है कहीं यमुना अथवा सरोवर में स्नान करने को। सखाओं को म

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।।श्री हरी।।
13 - स्नान

'दादा! स्नान करेगा तू?' कन्हाई अग्रज के समीप दौड़ा-दौड़ा आया और वाम पार्श्व में खड़े होकर दोनों भुजाएँ भाई के कण्ठ में डालकर कन्धे पर सिर रखकर बड़े स्नेहपूर्वक पूछ रहा है।

'स्नान?' दाऊ ने तनिक सिर घुमाया। वे इस पूछने का अर्थ जानते हैं। श्यामसुंदर स्नान करना चाहता है। शैशव से यह जल पाते ही उसमें लोट-पोट होने में आनन्द मनाता रहा है।स्नान योग्य जल हो तो स्नान करने को इसका मन मचल पड़ता है। लेकिन मैया ने बार-बार मना किया है कहीं यमुना अथवा सरोवर में स्नान करने को। सखाओं को म

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