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Pratibha Dwivedi urf muskan
*किशन कन्हैया* कंस के कारावास में कृष्ण लियो अवतार । मात-पिता के बंधन खोले पायो प्रेम दुलार । दो माँओं के लाल कहाये जनम लेत लीला दिखलाये । वसुदेव के बंधन खोले तुरंतईं नंदबाबा कैं आये । शिशु रूप में पूतना पछाड़े बालापन में अनगिन असुर संहारे खेल खेल में बासुकी नाग के ताता थैया कर फन कुचरई डारे । माटी खाकर मुख ब्रम्हांड दिखायो माता को अचरच में डारयो चीर चुराकर गोपियन के मर्यादा को पाठ पढ़ायो । राधा के सँग रास रचा कर प्रेम का जग को सार बतायो । गीता का उपदेश सुनाकर रीति नीति का ज्ञान करायो । दीन सुदामा गले लगाकर मित्रता का पाठ पढ़ायो । विदुरानी के हाथों छिलके खाकर भक्त की भक्ति का मान बढ़ायो । जय हो जय हो किशन कन्हैया लीलाधारी कृष्ण मुरारी । जनम दिवस की तुम्हें बधइयाँ नटवर नागर हे वंशीधारी । मुस्कान की इतनी ही अरज है सुन लीजो हे कृष्ण मुरारी। जैसी सबकी सुधि तुम लीनी खबर लेत रहियो हमारी । लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© ©Pratibha Dwivedi urf muskan #janmashtami #जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण #कान्हा #कन्हाई #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #नोजोटो Anupriya Sonika pal –Varsha Shukla gudiya Priya
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read morePrateek Dixit
कर गयी मन को तरंगित इक छुवन ,देह मेरी बाँवरी होने लगी। कृष्ण राधे से मिले गोरे हुए ,रधिका भी साँवरी होने लगी।। – डाം विष्णु सक्सेना। ©Prateek Dixit #जन्माष्टमी #कन्हाई #कन्हैया #साहित्य #हिन्दी #हिन्दीकविता ��#MereKhayaal #कविता #DearKanha Jyoti Prakash Maneesh singh {M.S.Thakur }
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read moreGeetu pandey
🌻हुकुम कन्हाई🌻 तेरे बिना मेरी हर ख़ुशी अधूरी है, जरा सोच तू मेरे लिए कितना जरूरी है.... #हुकुम #कन्हाई
Laxman 7877 Swami
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई आपको हिन्दी गीत - जन्म लिए कन्हाई | रही काली काली रात अंधियारी | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | उमड़ घुमड़ खूब बादल गरजे | चमक चमक चम बिजली चमके | आए गोद कान्हा देवकी माई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | करने कंस कसाई मामा मर्दन | आठवीं पुत्र दिये बासुदेव दर्सन | काली रात घनेरी बढ़ी आई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | बचाने कोप कंस अपने ललना | चले बासुदेव रख माथे पलना | जल यमुना गले बढ़ आई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | बन छतरी नाग बालक बरखा बचावे | कान्हा छुई चरण यमुना जल घटावे | छोड़ लाल अपना यसोदा कन्या उठाई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | होत भोर बाजे नन्द घर बजना | जन्म लिए श्याम सुंदर ललना | नाचे ग्वाल बाल गोकुला गाई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | पापी मामा कंस दुराचारी मारा | भय भूख दुख सब जन तारा | संग राधा गोपियाँ रास रचाई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | रचा महाभारत ले धनुधारी बीरा | किया नास पापी अधर्मी धरी धीरा | धर्म अधर्म पांडव कौरव हुई लड़ाई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | माथे मोर मुकुट मुख मुरली साजे | अंग पीतांबर नित्य मनमोहिनी बाजे | हरो हर पीड़ा किशन कन्हाई | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | खिले बृंदावन हर कली कली | छाए बहार तेरी नजर जिधर चली | करो कृपा हे श्री बाँके बिहारी | जेलखाना जब जन्म लिए कन्हाई | जय श्री कृष्ण
Anil Siwach
।।श्री हरिः।। 53 - श्याम भी असमर्थ आज फिर भद्र रूठ गया है। कन्हाई इसकी सुनता नहीं - इतना विलम्ब हो गया, इसके अरूण कोमल अधर सूखने लगे, उदर नीचा हो गया, यह क्षुधातुर है और भद्र की बात ही नहीं सूनता। ऐसा खेल में लगा है कि इसे अपने श्रान्त होने, क्षुधातुर होने का ध्यान नहीं। भद्र कहता है - 'अब चल, सब भोजन करें।' 'तू भूखा है? तुझे अभी से क्षुधा लगी है?' श्याम उलटे ही पूछता है - 'तू छीका नहीं लाया तो सुबल का छीका खा ले।' यह भी कोई बात हुई। भद्र अपनी क्षुधा के कारण कन्हाई को क्रीड़ा-विरमित होने को क
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।।श्री हरिः।। 52 - सखा सत्कार कन्हाई की वर्षगांठ है। इस जन्मदिन का अधिकांश संस्कार पूर्ण हो चुका है। महर्षि शाण्डिल्य विप्रवर्ग के साथ पूजन-यज्ञादि सम्पन्न कराके, सत्कृत होकर जा चुके है। गोपों ने, गोपियों ने अपने उपहार व्रजनव-युवराज को दे दिये हैं। अब सखाओं की बारी है। कन्हाई के सखा भी उपहार देगें; किन्तु ये गोपकुमार तो अपने अनुरूप ही उपहार देने वालें हैं। रत्नाभरण, मणियाँ, बहुमूल्य वस्त्र, नाना प्रकार के खिलौने तो बड़े गोप, गोपियाँ - दुरस्थ गोष्ठों के गोप भी लाते हैं; किन्तु गोपकुमारों का उपह
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।।श्री हरिः।। 51 - आज का दिन अत्यन्त दुस्सह, बड़ा क्लेशदायी है आज का दिन। सबसे बुरी बात यह है कि यह प्रत्येक महीने आया ही रहता है। ये ऋषि-मुनि पता नहीं क्यों यह बात नहीं मान लेते कि सब बालकों का जन्म-नक्षत्र एक ही दिन मना लिया जाया करे। अनेक बालकों के जन्म-नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब कन्हाई का ही जन्म-नक्षत्र अकेला क्यों पड़ता है? इसका जन्म-नक्षत्र क्यों दूसरों के साथ नहीं पड़ जाया करता? जब जन्म-नक्षत्र पड़ेगा, जिसका भी पड़ेगा, उसे उस दिन पूजा में लगना पड़ेगा। पूजा करना तो अच्छा है; किन्तु उस
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।।श्री हरिः।। 50 - ये असुर अभी कल तेजस्वी रोष में आ गया था। वह दाऊ का हाथ पकडकर मचल पड़ा था - 'तू उठ और लकुट लेकर मेरे साथ चल! मैं सब असुरों को - सब राक्षसों को और उनके मामा कंस को भी मार दूंगा।' नन्हे तेजस्वी को क्या पता कि कंस कौन है। वह राक्षसों का मामा है या स्वयं दाऊ का ही मामा है। कंस बुरा है; क्योंकि वह ब्रज में बार-बार घिनौने असुर भेजता है, इसलिए तेजस्वी उसे मार देना चाहता था। उसे कल दाऊ ने समझा-बहलाकर खेल में लगा लिया। लेकिन तेजस्वी की बात देवप्रस्थ के मन में जम गयी लगती है। अब यह आज
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।।श्री हरिः।। 49 - सेवक नहीं गोप-बालक जब भी दो दल बनाकर खेलना चाहते हैं, एक दल के अग्रणी दाऊ होगें और उनके सम्मुख दूसरे दल में विशाल ही आ सकता है; क्योंकि शरीर में वही दाऊ के समान है। कन्हाई और श्रीदाम की जोडी है। श्याम सदा विशाल के साथ रहता है। श्रीदाम को दाऊ के साथ रहना है। भद्र चाहे तो भी नन्दनन्दन उसे दूसरे पक्ष में जाने नहीं दे सकता। यह तो जब दो दल बनने लगेगें तभी पुकारेगा - 'मैं भद्र के साथ रहूंगा। सुबल, तोक मेरे साथ रहेगें।' फलत: भद्र की जोड़ में ऋषभ को और तोक के सम्मुख अंशु को दुसरे पक
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।।श्री हरिः।। 48 - गौ-गणना आज गोपाष्टमी है। ब्रज में आज गौ-पूजा होती है। श्रीब्रजराज आज कन्हाई की वर्षगांठ के समान ही भद्र की वर्षगाँठ पूरे उत्साह से मनाते हैं और यह सब होता है मध्यान्ह तक। सब हो चुका है। अब तो सूर्यास्त से पूर्व गौ-गणना होनी है। सम्पूर्ण ब्रज आज सुसज्ज है। प्रत्येक वीथी और चतुरष्क सिञ्चित, उपलिप्त, नाना रंगों के मण्डलों से सुचित्रित है। स्थान-स्थान पर मुक्तालड़िओं से शोभित वितान तने हैं। स्थान-स्थान पर जलपूरित पूजित प्रदीप एवं आम्रपल्लव-सज्जित कलश रखे हैं। प्रत्येक द्वार कदली
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