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ANURAG

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Ramkishor Azad

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Aditya Mandal

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ANURAG

Ramkishor Azad

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Indresh Dwivedi

आज सब मदर्स डे यानी कि मां का दिन मना रहे है
अपनी मां, नानी, दादी की तस्वीर हर जगह लगा रहे है
अरे कुछ तो ऐसे है भी जिन्हे कदर तक नही होती बुजुर्गो की
आज दिखावे के लिए देखो कितना उत्साह दिखा रहे हैं!!

यूं ही किसी से पूछ लिया मैंने की ये मदर्स डे क्यूं मानते हो
अपनी मां को सिर्फ एक दिन के लिए ही बस खास बनाते हो
अरे मां या बाप का कोई दिन नहीं बल्कि पूरा जीवन उन्ही का होता है
तो वो बोला अरे भाई तुम अपना काम करो ना हमे क्यूं ज्ञान सुनाते हो!!

पर मैने उसकी बात का बुरा नही लगाया
और अपना सवाल फिर से दोहराया
पहले तो भड़का फिर खुद को संभाल कर ये बोला

सुनो मदर्स डे दिखावे के लिए मनाते है
हम भी जमाने के साथ चलते है बस ये दिखाते है!!

और हां सच कहते हो तुम की मां बाप को सिर्फ एक दिन में नही बांध सकते
पर मेरे भाई लोगो के बीच में खुद को गंवार भी तो नहीं मान सकते!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #लाइक_सेयर_फोलो_प्लीज 

#MothersDay

Indresh Dwivedi

बरसात में आज फिर उसकी याद आई है 
या यूं कहूं कि बरसात अपने साथ ये सौगात लाई है
कुछ पुराने दर्द फिर से ताजा हुए है
ये बरसात मुझे फिर एक बार सताने आई है!!

ये सर्द हवाएं एक खूबसूरत हसीना
वो भीगी हुई लड़की और बारिश में पसीना
उसके होंठो की कपकपी और बालों से  टपकती बौछार
मुझे याद आ रहा है वो सितंबर का महीना!!

एकदम ऐसी ही तो हुई उस दिन बरसात थी 
वो हसीना भी उस दिन मेरे साथ थी
खूब भीगे थे उस रोज मस्ती में हम
और प्यार में हमारी वो आखिरी मुलाकात थी!!

जाने किसकी नजर मेरे प्यार को लगी
मूझपे जान लुटाने वाली ही मुझे छलने लगी
उसके धोखे ने तोड़ा मुझे इस कदर
हर हसीना अब फरेबी सी लगने लगी!!

टूटकर मैं था एकदम बिखर सा गया
जिक्र उसका हुआ मैं जिधर भी गया
बरसात ने आज फिर ये सितम कर दिया
उसकी याद में फिर से हूं मैं जैसे ठहर सा गया!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #लाइक_सेयर_फोलो_प्लीज 
#alone_forever

R samrat हरियाणा

इतना काबिल बनना है #लाइक_सेयर_फोलो_प्लीज

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