Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best उर Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best उर Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutउरोज पर कविता, उर्दू शायरी in hindi, राहत इन्दौरी की उर्दू शायरी, उर्दू की शायरी, शायरी उर्दू इन हिंदी,

  • 17 Followers
  • 138 Stories

Ghumnam Gautam

होठों पर मुस्कान सजेगी,नयन सजल हो गाएँगे
जब आप पधारेंगे प्रियवर, उर-पुर में कँवल खिल जाएँगे

©Ghumnam Gautam #GateLight #होठ #मुस्कान
#नयन #उर #कँवल #ghumnamgautam

दिनेश कुशभुवनपुरी

Dr. Bhagwan Sahay Meena

#उर

read more

Dr. Bhagwan Sahay Meena

#उर

read more

Dr. Bhagwan Sahay Meena

#उर

read more

Vishal Parihar

#Angel

read more
मै निज उर के उदगार लिए फिरता हूँ 
मै निज उर के उदगार लिए फिरता  हूँ 
है,यह अपूण॔ संसार न भाता मुझको  
मैं सपनो का संसार लिए फिरता हूँ #Angel

Swåßhímåñ Sîñgh

स्नेहकिरण भर मन्द मन्द
अप्सरा की भाँति आती हो
मेरे उर के आलिन्द निलय
छवि से अपनी महकाती हो
प्रेयसी यादों को छोङ यहाँ
क्यों व्योम में तुम उङ जाती हो
मेरे उर को तुम चीर चीर
रूधिर से प्यास बुझाती हो ! #स्नेहकिरण

Pravin Kumar

read more
प्रिया  मिलन  के  भाव  समेटे,
जब  प्रियतम  की  ओर  चली।
उर  आनन्दित  मन में हलचल
खिल गई अलौकिक नेह कली ॥ 

नयन  निहारेंगें  उस  छबि को
अगम  अपार  स्नेह  भर   के।
हृदय  तृप्त  होगा  उस पल मेंं 
कर  गहि अंक  लगा  कर के॥

चाँद   पास  आता  धरती  के 
लहरें   तभी   उठा  करती हैं ।
आकुल मन  का मीत  बुलाये 
तब  उर  प्रीति  बढ़ा करती है ।।

सपने  भी  स्वर्णिम  हो  जाते 
यदि   बाँहों  में  वो  आ  जाये ।
उर की कली कली खिलती है 
नयनों  में  बसन्त  छा   जाये ।।

तुम  स्नेह  भरे  उर  को लेकर 
सपनों   में   उमड़ते  आते  हो ।
अन्तर  बाहर  को  भिगो भिगो
अस्तित्व  को  महका  जाते हो।।

अन्तर्मन  में   खिलते   गुलाब
मन  भ्रमर  देख  ललचाता  है ।
तन  मन  उपवन  बन  जाते हैं 
पल  पल  बसन्त  छा जाता है ।।

Krishu

#OpenPoetry

read more
#OpenPoetry पतझर के मौसम में समेट कर पत्तों को लगाई थी किसी ने आग,
पत्ते जलकर बन चूके थे राख।
वो राख उर-उर कर मेरी तरफ आ रही थी,
मेरे अकेलेपन में मुझे और अकेले होने का एहसास दिला रही थी।
मैने पूछा राख के एक कण से-
कि कोई चीज़ जलकर राख क्यों हो जाती है?
कहा उसने जलने से भावनाये जल जाती है,
और बिना भावनाओं के कोई राख के अलावा और हो भी क्या सकता है!
जलने से जलन होती है,
फिर भी क्यों पसंद है इंसान को जलना?
ये वर्तमान समय की एक अबूझ पहेली है।।
जलता आया है इन्सान आदिकाल से,
और जलना हर इंसान को पड़ता है।
लेकिन जला लेना,
क्या ये मानवता के जलते हुए दिए की बुझने कि निशानी नही?
मुझे इंतज़ार है उस सीतलता का-
जो कम कर सके मनुष्य की जलन,
क्यों समझ नही पाते हम मानव होने के महान उदेश्य को??
क्या उकसा रही हमे जलने को ये मंद मंद पवन??
      धन्यवाद।।
                                        -आयुष गिरि #OpenPoetry

Nikhil Vairaagi

अतीत

read more
उस अँधेरे के सन्नाटे में, कोई पीछा कर रहा था
डरा सहमा सा दबे पांव मैं, प्रकाश खोजने चला जा रहा था
सन्नाटे की गूँज चीख़ती, ...उस अंधियारी रातों में
जलती बुझती बत्ती,... कभी आगे कभी पीछे को
उजियारा देती मन को..., उस अंधियारी रातों में
भाग रहा था, पर किससे..? थी इक अबूझ पहेली ये
सुनो...कहा उसने, पर हमने भी अब ठानी ये
चाल बढ़ा दी निश्चय कर लिया, मुड़ कर देखूँगा ना अब
क्या व्यर्थ चला कौंधी अभिधा, मंज़िल क्यों नही आती ये
ठोकर खा कर चित्त को गिरा, आवाज़ सुनी अभिधा में पड़ा
एक बार तो देखो मुड़कर तुम, यूँ डरो नही... न भागो मुझसे
कितनी भी तुम चाल बढ़ा लो, कितना भी तुम दौड़ लगा लो
मेरे बिना मंजिल तो क्या तुम, राह भी भटकते रह जाओगे
कब तक भविष्य का साल ओढ़े तुम, मुझसे बचते रह पाओगे
कब तक भागोगे मुझसे, मैं उर का तुम्हारे हिस्सा हूँ
मैं अतीत तुम्हारी कोई बैर नही, मैं बिता तुम्हारा किस्सा हूँ
हूँ जो प्रिये मैं सिखलाती, आत्मग्लानि की राह बताती
देखो मेरे तुम अंग अंग को, महसूस करो जीवन रंग को
आत्मबोध होगा उर का, राहें भटकी मिल जायेंगी
होगा प्रवीण तू रस्ते का, अंतर्ज्योति जल जायेगी...। अतीत
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile