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Sajan Kamble

देशात आले संकट ते निवारण करणे हा यांचा मान आहे,
सद्वैव हातावर घेऊन ते त्यांचा प्राण आहे ,
सर्वांचं रक्षण करणे ही त्यांची आण आहे,
झटत असतात ते आपल्या साठी याची सर्वांना जाणं आहे,
त्यांना ही त्यांच्या घरी खूप ताण आहे ,
पण देशाच्या हिता साठी हे सर्व विसरून आपले सर्वांचे रक्षण करणे ही त्यांची एक वेगळीच शान आहे,
त्यांच्या या सर्व कार्याला माझा हा एक सलाम आहे,
आणि पुन्हा एकदा सांगावस वाटत की तुमचा आणि तुमच्या कार्याचा सर्वांना खूप खूप अभिमान आहे.... #पोलिस #mumbaipolice

Attitude Line

Mairi AawaZ Suno

#पोलिस पर शर्म आती है

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शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब 
अब तो पोलिस से डर लगता है

अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है
चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है

अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से
कोई पत्थर आ जाए पैरों में
तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है

जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है
उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब

खाई है रिश्वत बे हिसाब
और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब

यही वक्त था तुम्हारे पास 
अपने किरदार को बदल देते साहब

इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे
ये मुल्क को बता देते साहब

पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा
ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब

हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा
हद कर दी तुमने तो देखो किसी को जान से ही धोडाला साहब

ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब
पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब

अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है
मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब
अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है

जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब
ऐसी पुलिस पे शर्म आती है

जो संविधान की बात ना करती
जो संविधान से कामना करती

उस पुलिस पे शर्म आती है
उस पुलिस पे शर्म आती है

( खान रिज़वान ) #पोलिस पर शर्म आती है

Mairi AawaZ Suno

#पोलिस से डर लगता है

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शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब 
अब तो पोलिस से डर लगता है

अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है
चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है

अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से
कोई पत्थर आ जाए पैरों में
तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है

जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है
उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब

खाई है रिश्वत बे हिसाब
और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब

यही वक्त था तुम्हारे पास 
अपने किरदार को बदल देते साहब

इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे
ये मुल्क को बता देते साहब

पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा
ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब

हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा
हद कर दी तुमने तो देखो किसी को जान से ही धोडाला साहब

ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब
पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब

अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है
मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब
अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है

जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब
ऐसी पुलिस पे शर्म आती है

जो संविधान की बात ना करती
जो संविधान से कामना करती

उस पुलिस पे शर्म आती है
उस पुलिस पे शर्म आती है

( खान रिज़वान ) #पोलिस से डर लगता है

Mairi AawaZ Suno

#पोलिस से डर लगता है

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शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब 
अब तो पोलिस से डर लगता है

अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है
चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है

अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से
कोई पत्थर आ जाए पैरों में
तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है

जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है
उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब

खाई है रिश्वत बे हिसाब
और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब

यही वक्त था तुम्हारे पास 
अपने किरदार को बदल देते साहब

इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे
ये मुल्क को बता देते साहब

पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा
ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब

हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा
हद कर दी तुमने तो देखो किसी को जान से ही धोडाला साहब

ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब
पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब

अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है
मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब
अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है

जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब
ऐसी पुलिस पे शर्म आती है

जो संविधान की बात ना करती
जो संविधान से कामना करती

उस पुलिस पे शर्म आती है
उस पुलिस पे शर्म आती है

( खान रिज़वान ) #पोलिस से डर लगता है

संजीव यादव

War and Peace  जब बूंद तेरी आँखों से आई हैं
तब याद पुलिस तुम्हे आई हैं।
अब ना एक पल कोसोगे मुझको
ये कैसी तूने कसम खाई हैं।
ये दिल ना जाने है कैसा
जो तेरे रहमत में आई है।
जब बूंद तेरी आँखों से आई हैं
तब याद पुलिस तुम्हे आई है।
                        - संजीव यादव #पोलिस

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