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Ashutosh Mishra

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Ashutosh Mishra

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Ashutosh mishra

#Politics

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ऐसी क्रीड़ा जो स्पष्ट दिखे, जैसे जल पर स्थिर तेल हो।
पर फिर भी जो हो समझ से बाहर, सोचने में सब फेल हो।

ये टोपियों का टोपियों के विरुद्ध अनोखा खेल है।
जहां बाद खेल के, टोपियों में ही आपसी मेल है।

टोपियां विभिन्न रंगों की, पहनने वाले भी रंग बदलते है।
और बाद जीत के जाने क्यूं ये चाल दूसरी चलते हैं।

ये टोपियां जो पहनी कम, पहनाई ज्यादा  जाती हैं।
हैं टोपियां जो इंसान को इंसान से अलग बताती हैं।

दर्शक गण हैं सुध-बुध खोए, कुछ तो लेटे बेहोश हैं। 
ये टोपियों की मिली भगत है उन्हीं का सारा दोष है।

                                            #आशुतोष_मिश्रा

©Ashutosh mishra #Politics

Ashutosh mishra

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श्री राम चले सब छोड़–छाड़।
संग वैदेही हैं बिन किए श्रृंगार।

भर कर अपने मन में विषाद।
करते हैं जानकी से वो वाद।

बोले अब क्या है मेरा काम।
है कलयुग ये, ना कि मेरा याम।

घर–घर में कलह है युद्ध यहां।
पावन धरती अब शुद्ध कहां।

मेरा काज तनिक ना शेष यहां।
अब बसते कई लंकेश यहां।

ना तरकश में मेरे इतने तीर।
की दूं मैं सबकी नाभि चीर।

यही शोक जो, हर क्षण मार रहा।
क्या विफल मेरा अवतार रहा ?

भर कर मन में पीड़ा अपार।
श्री राम चले सब छोड़–छाड़।।२।।

                       #आशुतोष_मिश्रा

Ashutosh mishra

#Stoprape

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गंगा–जमुना तहज़ीब कहां ?
मानवता नामक चीज़ कहां ?
बस द्वेष–गरल हो रहे अंकुरित।
वो प्रेम–सुधा के बीज कहां ?

वो चैन कि जाने नींद कहां ?
प्यारा अपना वो हिन्द कहां ?
हो रहा है देखो चीर हरण।
जाने बैठे गोविन्द कहां ?

                        #आशुतोष_मिश्रा #Stoprape

Ashutosh mishra

#Stoprape

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वास्तविकता ये है कि 
आत्याचार  के विरुद्ध 
ना बोलना भी एक अन्याय है।

और खुलेआम 
अपराधी हैं वो उतने ही, 
जितना कि सच पर 
पर्दा डालने वाले।

                 #आशुतोष_मिश्रा #Stoprape

Ashutosh mishra

#Hindidiwas

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जिस तरह कुछ नदियां
समुन्द्र में मिलने से पहले ही 
विलुप्त या सूख जाया करती हैं।

उसी तरह हर कहानी का अंत हो
ये अनिवार्य नहीं।

वैसे भी कुछ गुलाब बस 
किताबों में ही दफ़न हो जाया करते हैं, 
वो किसी को दिए नहीं जाते।

                       #आशुतोष_मिश्रा #Hindidiwas

Ashutosh mishra

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इन रुसवाइयों की इस कदर 
तो ज़रूरत ना थी।
तुम बस प्यार से मुस्कुराते 
हम मर जाते।

था प्यार समुन्द्र सा 
इसलिए हम डूब गए।
हां गर होता जो दरिया सा 
तो तैर कर पार कर जाते।

                          #आशुतोष_मिश्रा

Ashutosh mishra

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ना जाने कब और कैसे 
कोई दिल को इतना भा जाता है।
की उसकी छोडो,
हर उसके नाम के शख्स पर भी प्यार 
आता है। ❤

#आशुतोष_मिश्रा

Ashutosh mishra

#Forest

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तुम मेरे द्वारा लिखी गई उस नई 
कविता की तरह हो।
जिसे बार–बार पढ़ कर भी मेरा मन नहीं भरता।
                                          #आशुतोष_मिश्रा #Forest
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