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i am Voiceofdehati

#आपरेशन #बच्चे #प्रकृति लूट मार का खेल है, आपरेशन १००में १५-२० हो तो चलता है, लेकिन ९० बच्चे आपरेशन से ही हों यह एक तरह से प्राइवेट अस्पतालों के कमाई का जरिया है। मैंने सीखा है कि अगर आपके पास रूपए हैं तो डिलीवरी आपरेशन से ही होगी और अगर रुपए नहीं हैं तो डिलीवरी नार्मल होगी। सब कामर्शियल हो गया है। #प्रकृति_की_ओर_लौटो

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आजकल गर्भवती महिलाओं को बच्चे आपरेशन से ही होते हैं, 
नार्मल डिलीवरी बहुत कम हो रही है।

क्या प्रकृति ने अपने नियम ही बदल दिए
कि अब प्राकृतिक रूप से बच्चे पैदा ही नहीं हो सकते।
 —Quote Writer #आपरेशन #बच्चे #प्रकृति 
लूट मार का खेल है, आपरेशन
१००में १५-२० हो तो चलता है,
लेकिन ९० बच्चे आपरेशन से ही हों यह एक तरह से प्राइवेट अस्पतालों के कमाई का जरिया है।
मैंने सीखा है कि अगर आपके पास रूपए हैं तो डिलीवरी आपरेशन से ही होगी
और अगर रुपए नहीं हैं तो डिलीवरी नार्मल होगी।
सब कामर्शियल हो गया है।
#प्रकृति_की_ओर_लौटो

लवगुन हिन्दू

प्रकृति प्रेम......... nojoto पर मेरी पहली कविता #Nature #प्रकृति_प्रेम #प्रकृति_की_ओर_लौटो Love #NatureLove #true

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ashvath

ये पंछी ये नदियां ये पेड़ ये पौधे,
दे रहे हैं उसकी जुबानी ए इंसान तेरी ना चलेगी हुक्मरानी,
ये सूरज ये चांद है उसकी ही निशानी  ए इंसान तेरी ना चलेगी हुक्मरानी।

© ashvath #प्रकृति_की_ओर_लौटो 

#Trees

SAURABH YADAV

हे नायब दुनिया के नायब परिन्दे।
खुद के अहम में  तुमने अपने ईश को भुला दिया। 
मांगो रे भीख अपने ईश के चरणों में शीश नवा कर।
उसी के चरणों में तेरे अस्तित्व की रक्षा हैं।
अब भी वक्त है सम्भल जा रे परिंदे।
नही तो वक्त ,बेवक्त , तू भी ख़ाक होता नजर आएगा।

#प्रकृति की ओर लौटो

©SAURABH  YADAV
  #प्रकृति_की_ओर_लौटो

SAURABH YADAV

हे नायब दुनिया के नायब परिन्दे।
खुद के अहम में  तुमने अपने ईश को भुला दिया। 
मांगो रे भीख अपने ईश के चरणों में शीश नवा कर।
उसी के चरणों में तेरे अस्तित्व की रक्षा हैं।
अब भी वक्त है सम्भल जा रे परिंदे।
नही तो वक्त ,बेवक्त , तू भी ख़ाक होता नजर आएगा।

#प्रकृति की ओर लौटो

©SAURABH  YADAV
  #प्रकृति_की_ओर_लौटो

Vipendra Singh

#बचपन बहुत खूबसूरत था बचपन, जबकि हम छोटे थे बहुत शरारती, उस वक़्त हमारी 5 या 6 गर्लफ्रेंड्स थीं, और अपनी उम्र छोड़ो अपने से बड़ी उम्र के लोग भी हमसे डरते थे। क्योंकि हम मारने तोड़ने में बचपन से बहुत तेज़ थे जो हाथ में आ जाए मार दिया करते थे फिर चाहे कुछ भी हो। सारा दिन घर से बाहर धूप,छां,जंगल,खेतों में और नदी के किनारे बीतता था। जानवरों पंछियों के साथ रहना खेलना बहुत पसंद था। अक्सर जब देर शाम घर आते तो दरवाजा बंद होता तो हम चुपके से पिछली दीवाल या ताऊ के पाइप के सहारे छत पर जाकर सो जाते। सुबह उठते

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#बचपन
बहुत खूबसूरत था बचपन, जबकि हम छोटे थे बहुत शरारती, उस वक़्त हमारी 5 या 6 गर्लफ्रेंड्स थीं, और अपनी उम्र छोड़ो अपने से बड़ी उम्र के लोग भी हमसे डरते थे।

क्योंकि हम मारने तोड़ने में बचपन से बहुत तेज़ थे जो हाथ में आ जाए मार दिया करते थे फिर चाहे कुछ भी हो।

सारा दिन घर से बाहर धूप,छां,जंगल,खेतों में और नदी के किनारे बीतता था। जानवरों पंछियों के साथ रहना खेलना बहुत पसंद था।

अक्सर जब देर शाम घर आते तो दरवाजा बंद होता तो हम चुपके से पिछली दीवाल या ताऊ के पाइप के सहारे छत पर जाकर सो जाते। सुबह उठते

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