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अश्लेष माडे (प्रीत कवी )

भयाण शांतता

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आमचं तासंतास बोलणं ही कधी-कधी निष्फळ ठरतं. जेव्हा मनातलं मनातच राहून जातं. तिचं आणि माझही. 
तिने मनातलं ओळखावं, भावना समजावं, अबोल न राहता व्यक्त व्हावं. असं काहीतरी मनात असतं माझ्या, पण तेव्हा बोलणं संपून जातं, आणि मनातलं मनातच राहून जातं.. पण त्या गप्पांना अर्थ नसतोच मुळी. जिथे भावना ओळखता येत नाही.. त्या बोलण्यात एक भयाण शांतता असल्यासारखं वाटतेय. भयाण शांतता

कवि राहुल पाल 🔵

#सामाजिक_समालोचना #आंधी चली है #विरति की ,सुख न रहेंगे #संग ! #डोर तोड़ #अनजान पथ ,उड़कर चली #पतंग !! #स्वार्थ के ही सब सगे ,बिन स्वार्थ न कोई #नात ! जैसे #पंछी आद्र #विटप से ,#पतझड़ में उड़ जात !!

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आंधी चली है विरति की ,सुख न रहेंगे संग !
डोर तोड़ अनजान पथ ,उड़कर चली पतंग !!

स्वार्थ के ही सब सगे ,बिन स्वार्थ न कोई नात !
जैसे पंछी आद्र विटप से ,पतझड़ में उड़ जात !!

चलनी चलत समाज की , दौलत ,रूप निथार !
धर्म निकले जात है ,अधर्म को  मिला अधिकार !!

राजनीति के जातं में पिसता ,जवान औ किसान !
धर्म ,जाति,वर्ण और वर्ग में उलझा आज इंसान !!

मन्दिर ,मस्जिद की मंजिले ,कितनी आलीशान !
मुझे मिला घर नही ,प्रभु तुझे इतना बड़ा मकान !! #सामाजिक_समालोचना 

#आंधी चली है #विरति की ,सुख न रहेंगे #संग !
#डोर तोड़ #अनजान पथ ,उड़कर चली #पतंग !!

#स्वार्थ के ही सब सगे ,बिन स्वार्थ न कोई #नात !
जैसे #पंछी आद्र #विटप से ,#पतझड़ में उड़ जात !!

कवि राहुल पाल 🔵

#सामाजिक_समालोचना #आंधी चली है #विरति की ,सुख न रहेंगे #संग ! #डोर तोड़ #अनजान पथ ,उड़कर चली #पतंग !! #स्वार्थ के ही सब सगे ,बिन स्वार्थ न कोई #नात ! जैसे #पंछी आद्र #विटप से ,#पतझड़ में उड़ जात !!

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आंधी चली है विरति की ,सुख न रहेंगे संग !
डोर तोड़ अनजान पथ ,उड़कर चली पतंग !!

स्वार्थ के ही सब सगे ,बिन स्वार्थ न कोई नात !
जैसे पंछी आद्र विटप से ,पतझड़ में उड़ जात !!

चलनी चलत समाज की , दौलत ,रूप निथार !
धर्म निकले जात है ,अधर्म को  मिला अधिकार !!

राजनीति के जातं में पिसता ,जवान औ किसान !
धर्म ,जाति,वर्ण और वर्ग में उलझा आज इंसान !!

मन्दिर ,मस्जिद की मंजिले ,कितनी आलीशान !
मुझे मिला घर नही ,प्रभु तुझे इतना बड़ा मकान !! #सामाजिक_समालोचना 

#आंधी चली है #विरति की ,सुख न रहेंगे #संग !
#डोर तोड़ #अनजान पथ ,उड़कर चली #पतंग !!

#स्वार्थ के ही सब सगे ,बिन स्वार्थ न कोई #नात !
जैसे #पंछी आद्र #विटप से ,#पतझड़ में उड़ जात !!

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