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लेख श्रृंखला
#कुछ_ख्याल #कुछ_ख्यालात_चाहते #समाज_की_हकीकत #सत्य_अल्फाज #नोजोतोहिंदी shayari on life Khushi_ bhaliyan31 puja udeshi angel rai Yuvika Shekhawat Ziya @Gudiya*****
read moreAndy Mann
White औरतें बिकीं तो तवायफ़ हुईं,,, मर्द बिके तो दूल्हे बन गये... ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत vineetapanchal Neel Sangeet... Sh@kila Niy@z MRS SHARMA
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White छुट्टियां खत्म हुई तो बच्चो से पूछा, "कौन कौन नानी के घर गया था "...? तो पता चला कि अब तो बच्चे दादी के घर भी जाने लगे है... ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत Bhanu Priya Krishna G I am MiraJ AARPANN JAIIN Yusuf Shayar New Ravi Ranjan Kumar Kausik MohiTRocK F44 Miss Anu.. thoughts Danish M Hardik Mahajan Neel poonam atrey Shayra vineetapanchal Ritu Tyagi Santosh Narwar Aligarh the greatest gunjan vinay panwar Anshu writer sonu kumar babra VIPUL KUMAR Arshad Siddiqui Poonam Ñådåñ•√} Niaz (Harf) Niaz (Harf) Sh@kila Niy@z sana naaz अदनासा- Neelam Modanwal .. KhaultiSyahi Munni Jack Sparrow Rameshkumar Mehra Mehra शीतल चौधरी(मेरे शब्
#समाज_की_हकीकत Bhanu Priya Krishna G I am MiraJ AARPANN JAIIN Yusuf Shayar New Ravi Ranjan Kumar Kausik MohiTRocK F44 Miss Anu.. thoughts Danish M Hardik Mahajan Neel poonam atrey Shayra vineetapanchal Ritu Tyagi Santosh Narwar Aligarh the greatest gunjan vinay panwar Anshu writer sonu kumar babra VIPUL KUMAR Arshad Siddiqui Poonam Ñådåñ•√} Niaz (Harf) Niaz (Harf) Sh@kila Niy@z sana naaz अदनासा- Neelam Modanwal .. KhaultiSyahi Munni Jack Sparrow Rameshkumar Mehra Mehra शीतल चौधरी(मेरे शब्
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*कहाँ गुम हो गए संयुक्त परिवार* *एक वो दौर था* जब पति, *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर* घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । पत्नी की *छनकती पायल और खनकते कंगन* बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे । बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था । *आज बेटा बाप से बड़ा हो गया, रिश्तों का केवल नाम रह गया* ये *"समय-समय"* की नही, *"समझ-समझ"* की बात है बीवी से तो दूर, बड़ो के सामने अपने बच्चों तक से बात नही करते थे *आज बड़े बैठे रहते हैं हम सिर्फ बीवी* से बात करते हैं! दादाजी के कंधे तो मानो, पोतों-पोतियों के लिए आरक्षित होते थे, *काका* ही *भतीजों के दोस्त हुआ करते थे ।* आज वही दादू - दादी *वृद्धाश्रम* की पहचान है, *चाचा - चाची* बस *रिश्तेदारों की सूची का नाम है ।* बड़े पापा सभी का ख्याल रखते थे , अपने बेटे के लिए जो खिलौना खरीदा वैसा ही खिलौना परिवार के सभी बच्चों के लिए लाते थे । *'ताऊजी'* आज *सिर्फ पहचान* रह गए और,...... *छोटे के बच्चे* पता नही *कब जवान* हो गये..?? दादी जब बिलोना करती थी, बेटों को भले ही छाछ दे पर *मक्खन* तो *केवल पोतों में ही बाँटती थी।* *दादी ने* *पोतों की आस छोड़ दी*, क्योंकि,... *पोतों ने अपनी राह* *अलग मोड़ दी ।* राखी पर *बुआ* आती थी, घर मे नही *मोहल्ले* में, *फूफाजी* को *चाय-नाश्ते पर बुलाते थे।* अब बुआजी, बस *दादा-दादी* के बीमार होने पर आते है, किसी और को उनसे मतलब नही चुपचाप नयननीर बरसाकर वो भी चले जाते हैं । शायद *मेरे शब्दों* का कोई *महत्व ना* हो, पर *कोशिश* करना, इस *भीड़* में *खुद को पहचानने की*, *कि*,....... *हम "ज़िंदा है"* या *बस "जी रहे" हैं"* अंग्रेजी ने अपना स्वांग रचा दिया, *"शिक्षा के चक्कर में* *संस्कारों को ही भुला दिया"।* बालक की प्रथम पाठशाला *परिवार* पहला शिक्षक उसकी *माँ* होती थी, आज *परिवार* ही नही रहे पहली *शिक्षक* का क्या काम...?? "ये *समय-समय* की नही, *समझ-समझ* की बात है! कुछ साल बाद हम दो ,हमारे दो के चक्कर में परिवार खत्म हो जाएगा । मामा रहेगा, तो मौसी नही होगी मौसी होगी तो मामा नही होगा चाचा होगा तो बुआ नही होगी बुआ होगी तो चाचा नही होगा । *काका ,काकी ,बड़े पापा बड़े मम्मी* *बुआ ,फूफा ,मामा मामी* *मौसी मौसा ,ताऊ ताई जी* *न जाने ऐसे कितने रिश्तों के* *संबोधन के लिए तरसेंगे ।।* ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत
Rudeb Gayen
मुझे कुछ आम सी बात करनी है, बड़ी नहीं आसान सी बात करनी है, ये देश दुनिया, इसपर हर कोई रो रहा है, एकता का मामला आज भी कहीं साँसे ले रहा है। लाशों का अम्बार लगा है, कीमत साँसों की लग रही है, आंसुओं के हर कतरें में कई तकलीफें बह रही है। बेरोजगारी ने कमर तोड़ा, महंगाई भी दे रही है उसका साथ, आज देखा बाप ढो रहा था अपने बेटे की लाश। किन बड़े मुद्दों पर बात करूँ मैं, अब कोई छोटा मुद्दा दिखता ही नहीं, बड़े मुद्दों पर बात करूँ मैं, इतनी मुझमें हिम्मत नहीं। किसी बड़े मुद्दें को उछाल दिया तो शायद आप ताली भी दे दोगे, लेकिन जिस हिसाब से धर्म संकट में हैं, मेरी राय को कोई रंग भी दे दोगे। आँखें खोलने की अब मुझमे हिम्मत नहीं, आवाज उठाऊँ ये मैं कर सकता नहीं, हर तकलीफों से आँखें फेरनी है। मुझे आज आम सी बात करनी है, मुझे आज आसान से बात करनी है। ©Rudeb Gayen #आम_सी_बात #समाज_की_हकीकत #nojoto #nojotohindi #nojotohindipoetry #rudebtalks
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read moreSurendra Bhagat
सफलता पा लेने पर मनुष्य के सारे कलंक धूल जाते हैं। ©Surendra Bhagat #समाज_की_हकीकत #BhaagChalo
Sushma
गलत सही कि परीभाषा भुला चुके हैं सब "क्योंकि वो गलत तो हम क्यों नहीं " - यहीं मानते हैं सब मन पे कहाँ काबू हैं किसी का, बस चलते जा रहे हैं सभी जाना कहाँ हैं, मंजिल क्या हैं कहाँ पता हैं किसी को... अपने फैंसले ख़ुद किया करो सोच विचार कर , वरना शिकार हो जाओगे किसी और के फैसले का.... ©Sushma #समाज_और_इनकी_सोच #समाज_और_संस्कृति #समाज_की_हकीकत #समाज_की_कड़वी_सच्चाई
Surendra Bhagat
अंदर बिखरा है बाहर मुस्कुरा रहा हैं, पिता है साहब फ़र्ज़ निभा रहा है, घर चला रहा है खर्चा उठा रहा है, अंदर टूट रहा है साहब हमें बना रहा है, बाप है साहब फ़र्ज़ निभा रहा हैं। ©Surendra Bhagat #समाज_की_हकीकत #samandar
रिंकी✍️
कभी कभी तन्हाइयो को दूर करने के लिए, भीड़ का सहारा लेती हूं मैं। लोगो के बीच भी कभी कभी , बहुत अकेली रहती हूं मैं। मुझे जो अच्छा लगता है वो नही, जो लोगो को अच्छा लगे , बस वही तो कहती हूं मैं। जैसे जीवन की कल्पना थी , वो कल्पना ही रह गई। लोग मुझे जैसे जीते देखना चाहते है, उसी तरह तो बस जीती हूं मैं। मुझे पता है सही हूँ मैं, लेकिन अपनी मर्जी की , कहाँ कर सकती हूं मैं। जब तक पीछे खड़ी हूँ तब तक सही गलत समझते है वही लोग, जब आगे बढ़ती हूँ मैं। न उठे कोई ऊँगली, समाज के मुताबिक जीती हूँ मैं। कैसी बेबसी है मेरी, मन की कुछ बोल नही सकती। बड़ी ही घुट घुट कर जीती हूँ मैं। जहाँ मैं , मैं नही , समाज के हाथों की कठपुतली हूँ मैं। जाने क्यों समाज, झूठी परम्पराओ से बांधती है मुझे। और न जाने क्यों इनसे डरती हूँ मैं। समाज की कठपुतली क्यो है हम? कभी कभी तन्हाइयो को दूर करने के लिए, भीड़ का सहारा लेती हूं मैं। लोगो के बीच भी कभी कभी , बहुत अकेली रहती हूं मैं। मुझे जो अच्छा लगता है वो नही, जो लोगो को अच्छा लगे ,
समाज की कठपुतली क्यो है हम? कभी कभी तन्हाइयो को दूर करने के लिए, भीड़ का सहारा लेती हूं मैं। लोगो के बीच भी कभी कभी , बहुत अकेली रहती हूं मैं। मुझे जो अच्छा लगता है वो नही, जो लोगो को अच्छा लगे ,
read moreChetan malviya
कभी औरत मजबूरी में घर से निकलती थी.., तो आज मर्द मजबूरी में घर पे बैठा है..।। #lockdowninindia #coronavirus #stayhomestaysafe #मर्द_औरत #समाज_की_हकीकत