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तुषार"आदित्य"
नव दिन की नवरात्र,तीस दिन का रमज़ान प्रतिदिन का भजन हो या रोज़ की अज़ान। ना कोई पुराण की बाते,ना आयत-ए-कुरान बस उतना ही समझो,जिससे बन पाओ इंसान। नव दिन की नवरात्र,तीस दिन का रमज़ान प्रतिदिन का भजन हो या रोज़ की अज़ान। ना कोई पुराण की बाते,ना आयत-ए-कुरान बस उतना ही समझो,जिससे बन पाओ इंसान। #नवरात्र #रमज़ान #भजन #अज़ान #पुराण #कुरान #समझो #इंसान
Alok Vishwakarma "आर्ष"
शब्दों में झंकृत अन आहत, भावों से रिसता प्रयाण है । मनु काव्या कविता सुन कर, अस रोम रोम पुलकित पुराण है ।। #alokstates #प्रयाण #पुराण #कविता #बसस्टॉपकहानी #essentiallydeep #बोनसाईकोट #yqbabaquotes
आयुष पंचोली
"दशावतार" जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
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सनातन धर्म की देन "ग्रंथ" जिनमे छुपा हैं, ब्रह्मांड का हर राज। 4 वेद, 4 उपवेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण, 108 उपनिषद, 2 महाकाव्य, और 1 भगवद् वाणी का संकलन श्रीमद भगवद् गीता..!!!
4 वेद, 4 उपवेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण, 108 उपनिषद, 2 महाकाव्य, और 1 भगवद् वाणी का संकलन श्रीमद भगवद् गीता..!!!
read moreआयुष पंचोली
क्या सच मे होते हैं स्वर्ग या नरक, या यह सिर्फ एक कोरी कल्पना मात्र हैं...!? क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!? यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप मानते हैं की आत्मा होती हैं, तो यह भी आपको मानना पड़ेगा की नरक और स्वर्ग भी होते हैं। पर कहां होते हैं, यह विषय शोध का हैं। क्योकी अगर बात की जाये गीता के ज्ञान की तो आत्मा अजर अमर हैं, और वह एक शरीर त्यागकर दुसरा गृहण करती हैं। तो स्वर्ग और नरक का सवाल ही कहां आता हैं। इस हिसाब से गरूड पुराण मे सभी नरक यात्नाये, और 36 नरक सभी गलत हैं। और अगर गरुड़ पुराण मे व
क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!? यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप मानते हैं की आत्मा होती हैं, तो यह भी आपको मानना पड़ेगा की नरक और स्वर्ग भी होते हैं। पर कहां होते हैं, यह विषय शोध का हैं। क्योकी अगर बात की जाये गीता के ज्ञान की तो आत्मा अजर अमर हैं, और वह एक शरीर त्यागकर दुसरा गृहण करती हैं। तो स्वर्ग और नरक का सवाल ही कहां आता हैं। इस हिसाब से गरूड पुराण मे सभी नरक यात्नाये, और 36 नरक सभी गलत हैं। और अगर गरुड़ पुराण मे व
read moreआयुष पंचोली
कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो
जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो
read moreRuchi tiwari
India quotes भारत का अस्तित्व है़ भारतीयों का गुरूर है हमारी राष्ट्रभाषा खुद मे बेजोड़ है । बच्चों की कीलकारिया मासूमो की मुस्कान है। वेद पुराण का गुरूर हिन्दी धरती पर वरदान है। लिखा है वेद पुराण रामायण का सार है। गीत संगीत की दुनिया का ये ताज है। हमारी हिन्दी भाषा संस्कारों का दृार है। ताजमहल की ताज से बनी प्रेमकथाओ की जान है। हमारी राष्ट्रभाषा निजगौरव का खुद मे सम्मान है। शिश झुकाता उन्नति है हमारा ऐसे भाषा का जिसका जनक भगवान है। Bhasha
Bhasha
read moreSonu Mishra
इतवार मुबारक हो साहब आज इतवार है, वो इतवार जो 1843 में शुरू हुआ था. आज मेरा मन भी थोड़ा इतवारी हो रहा है. मन की भावनाएं कविता के लपटों में लिपट रही है. थोड़ा हिंदी थोड़ा उर्दू बनने का मन किया जा रहा है. महसूस ऐसा हो रहा है कि मैं उर्दू के समुंद्र में छलांग लगा लू. कुरान के हर उन पन्नो को पढ़ लू जिसमे शांति का पैगाम उकेरी गई हो. हमारे कुल के बेटे विद्यापति मिश्र ( बाबा नागार्जुन ) की तरह ब्राह्मणत्व के टैग से छुटकारा पा लू. अपना लू नागार्जुन की तरह बौद्ध धर्म. चूंकि रहनुमाओ ने काफी हुड़दंग मचा रखा है ब्राह्मण का हाथ स
आज इतवार है, वो इतवार जो 1843 में शुरू हुआ था. आज मेरा मन भी थोड़ा इतवारी हो रहा है. मन की भावनाएं कविता के लपटों में लिपट रही है. थोड़ा हिंदी थोड़ा उर्दू बनने का मन किया जा रहा है. महसूस ऐसा हो रहा है कि मैं उर्दू के समुंद्र में छलांग लगा लू. कुरान के हर उन पन्नो को पढ़ लू जिसमे शांति का पैगाम उकेरी गई हो. हमारे कुल के बेटे विद्यापति मिश्र ( बाबा नागार्जुन ) की तरह ब्राह्मणत्व के टैग से छुटकारा पा लू. अपना लू नागार्जुन की तरह बौद्ध धर्म. चूंकि रहनुमाओ ने काफी हुड़दंग मचा रखा है ब्राह्मण का हाथ स
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