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पूर्वार्थ
🌷🌿भावनाओं की अर्थी लिये मैं अकेलें कब तक चलूं दो कांधे गर मेरे हैं तो दो तुम्हारे कांधे की उम्मीद मैं क्यों न करूं? क्या तुम नहीँ जानते कि मृत भावनायें शव के लिये सहेजकर रखे गए सफ़ेद कपड़े की भेंट चढ़ जाती हैं। आख़िर मृत सम्बन्धो की कांवर खोखले रिश्तों का जाल लिये मैं कब तक चलूं? मैं श्रवण नहीं हूँ वज्र कलेजा है मेरा सब कुछ सहती हूँ लेकिन फ़िर भी निभाती हूँ अब तुम्हारे अहंकार के आगे विश्वास का कद धूमिल होने लगा है मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का कोई भी जतन तुम नहीं छोड़ते डरती हूँ अगर किसी दिन धैर्य की ईंट दरक गई तो तुम्हारा क्या होगा? ©पूर्वार्थ #भावना #अर्थी
माखन GAMING
मेरी #अर्थी पर साली जी डाल देना, अपना लाल दुपट्टा कफ़न समझ कर, आराम से सो सकूंगा_कब्र में, हाय ! #हाथ में तेरा दामन समझ कर ©माखन GAMING #jijasali
अविनाश पाल 'शून्य'
शायद इसीलिए शहर में कहीं भी छप्पर नहीं मिलते, यहाँ तो अर्थी के लिये कन्धे भी बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। #स्वरचित © #छप्पर #शहर #अर्थी #शायद #इसीलिए #शून्य #कन्धे
इकराश़
अक्सर हम जो चाहते हैं हमें नहीं मिलता, मिलता है तो बस एक एकाकीपन जो लील लेता है सब कुछ आपके अंदर का, और छोड़ देता है बस एक निर्वात जो जो भीतर बाहर से आपको खोखला, और उजाड़ कर देता है और फिर, कोई ख़्वाहिश नहीं ज़िंदा बचती है, जो आपको फिर से जीने की वजह दे दे और आप बन के रह जाते हो बस, एक ज़िंदा लाश।। और आपके अरमान, आपकी अर्थी।।। अक्सर कुछ ऐसा ही होता है ज़िन्दगी के साथ। बस एक ख़्याल है। #YqBaba #इकराश़नामा #YqDidi #गद्य #लाश #अर्थी
Vivek Singh
दुनियां में सबसे जादा वजन बाप की अर्थी में होता है साहब जो एक बार उठाए तो कंधे ताउम्र भारी रहते हैं। ©Vivek Singh #दुनियां में सबसे जादा वजन #बाप की #अर्थी में होता है #साहब जो एक बार उठाए तो कंधे #ताउम्र भारी रहते हैं। #miss #you #dad ...
kumar ramesh rahi
जज़्बातों में बहती है तन्हाई मेरी ज़िंदगी खोज रही.... ये बेवफ़ाई मेरी टूटकर बिछड़ना तो यूं मुश्किल रहा बड़े अरमानों से ये अर्थी सजाई मेरी रिश्तों को छू कर देख लिया हमने इनमें कितनी भरी है.... रूसवाई मेरी आंसुओं को जज़्ब कर लिया मैंने बिखेरकर क़िस्मत क्यों आज़माई मेरी ज़ख़्म तो यह सूखने से रहा 'राही' अब नहीं इस दिल की कोई दवाई मेरी ©kumar ramesh rahi #मेरेजज़्बात #तन्हाई #आँसू #जिंदगी #अर्थी #यादें #kumarrameshrahi #lost
#मेरेजज़्बात तन्हाई #आँसू जिंदगी #अर्थी #यादें #kumarrameshrahi #lost
read moreRoopanjali singh parmar
वो जो जीवन भर चार लोगों का डर दिखाया जाता है। वह चार लोग जो बहुत चिंतित होते हैं, आपके हर एक निर्णय को लेकर। क्या वह चार लोग अर्थी को काँधा देने आते हैं। मेरे विचार से.. नहीं! बताया था ना, मेरा स्वभाव जिज्ञासु है। मगर आप जवाब मत देना, मुझे कभी-कभी बातों का अंत नहीं भाता। #roopkibaatein #roopanjalisingh #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #roop #nojoto #रूपकीबातें #अर्थी #चारलोग #DesertWalk
#roopkibaatein #Roopanjalisinghparmar #Roop nojoto #रूपकीबातें #अर्थी #चारलोग #DesertWalk
read moreNeha Singh
आज फिर एक दुल्हन को संवारते देखा है मैंने...!! आज फिर लाखों अरमानों की अर्थी को उसने दिल में सजाया होगा..!! #अरमान #दुल्हन #अर्थी
PREM HANS KUMAR
प्रेम हंस कुमार जिला 🙏🙏2 मिनिट निकाल कर ज़रूर पढ़े 🙏🙏 ससुर के आखिरी शब्द थे," मेरी बहु नहीं ,तुम मेरा बेटा हो"! भारतीय समाज में नारी की स्थिति अधिक संतोषजनक नहीं है, शादी के बाद यदि स्त्री को किसी कारणवश पति द्वारा त्याग दिया जाता है तो, या तो ससुराल वाले भी उसे त्याग देते हैं, या वह स्त्री ही ससुराल छोड़ कर चली जाती है। ऐसे में यह किस्सा बहुत ही प्रेरणादायक और अपनेआप में अनोखा है।यह कहानी है, करनाल के न्यू चार चमन निवासी नीतू अरोड़ा जी की, जिन्होंने पुत्रवधू होते हुए भी पुत्र से अधिक कर्तव्य निभा कर साबित कर दिया कि रिश्ते केवल नाम और खून के नही अपितु प्यार और अपनेपन के भी होते हैं।मंगतराम जी के पुत्र एवं नीतू जी के पति हर्षदीप ने अपने पिता, पत्नी और दो बेटियों को छोड़कर दूसरी स्त्री के चक्कर में परिवार से किनारा कर लिया, लेकिन पुत्रवधू ने ससुर की बेटे की तरह सेवा कर रिश्तों की दिल छू लेने वाली कहानी लिख दी। नीतू ने तय किया वह बुजुर्ग को अकेला और निराश्रित छोड़कर नहीं जाएगी। वहीं रहेगी। उनके साथ। बेटा बन कर। वह अपनी दो बेटियों के साथ बुजुर्ग ससुर के साथ ही रहीं।नीतू जी अपने ससुर मंगतराम जी की पिछले दस वर्ष से सेवा सुश्रूषा कर रही थीं। मंगतराम जी का बेटा हर्षदीप जब दूसरी महिला के लिए घर छोड़ गया तो मंगतराम ने भी उससे अपने पुत्र होने का हक छीन लिया। उन्होंने बेटे को घर से बेदखल कर दिया और अपनी सारी संपत्ति अपनी पुत्रवधू व अपनी दो पोतियों के नाम कर दी। इतना ही नहीं उन्होंने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपने निधन के बाद मुखाग्नि का अधिकार भी अपनी पुत्रवधू को ही दिया, जिसे नीतू ने पूरा किया। 80 वर्षीय बुजुर्ग ससुर मंगतराम का गत दिवस लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अर्थी उठाते समय नीतू खुद आगे आई और ससुर की अर्थी को कंधा दिया। पिता तुल्य ससुर के चले जाने से वह गमजदा थीं। आंखों में आंसू थे, लेकिन वह पूरी मजबूती से अर्थी को लेकर श्मशान घाट पहुंची। उन्हें मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार की हर परंपरा निभाई।करनाल की यह घटना देश की पहली घटना होगी कि पुत्रवधू ने ससुर की अर्थी को कंधा दिया, मुखाग्नि दी। अब अस्थियों के विर्सजन और रस्म पगड़ी की तैयारी कर रही है।ऐसे प्रेरणादायक किस्से हमें बताते हैं कि रिश्ते किसी नाम या खून के मोहताज नही होते बस दिलों में अपनेपन का भाव होना चाहिए। मरौना
मेरी कलम
मौत को लगा गले अपनी अर्थी लगाए बैठे है जो दिए दर्द उन्होंने, उन्हें सजाएं बैठे हैं, वो वफ़ा-ए- इश्क़ मोहब्बत में रंग भरने की बात करते हैं और हम चार कँधे अर्थी के लिए उधार लिए बैठे है #jindgi